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प्रमाणित बीज के नाम पर किसानों से धोखा, बर्बाद होने के कगार पर फसल - बालोद में किसानों की फसल बर्बाद

बालोद के लाटाबोड़ क्षेत्र में किसानों ने खेतों में जिस प्रमाणित बीज को बोया था. वह बीज पूरे खेत में 10 प्रतिशत ही उपजा है. बाकी 90 प्रतिशत दूसरे किस्म के बीज की उपज है. शिकायत के बाद कृषि विभाग की टीम खेतों में फसल की जांच करने पहुंची.

fraud with farmers in balod
किसानों से धोखा
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Published : Oct 27, 2020, 5:15 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 6:33 PM IST

बालोद: लाटाबोड़ क्षेत्र के किसान प्रमाणित बीज के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. धान कटाई का समय आ चुका है, तब उन्हें पता चला कि जिस किस्म का बीज उन्होंने खरीदा था, वह बीज पूरे खेत में 10 प्रतिशत ही उपजा है. बाकी 90 प्रतिशत अन्य उपज है. वह भी बीमारियों की चपेट में है. ग्राम लाटाबोड़ के किसान सुभाष दास साहू, कुमार साहू समेत ऐसे कई किसान हैं जिन्हें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

प्रमाणित बीज के नाम पर किसानों से धोखा

किसानों ने बताया कि एक ओर सरकार किसानों के हित की बात करती है, तो दूसरी तरफ इस तरह की प्रशासनिक लापरवाही से किसान परेशान हैं. किसानों ने समस्या की जानकारी प्रशासन को दी है. जिसके बाद मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी और बीज निगम की टीम मौके पर जांच के लिए पहुंची.

जिस किस्म बीज खरीदे थे वह मिला सिर्फ 10 प्रतिशत

कृषक सुभाष दास साहू ने बताया कि उसने बीज निगम के डीलर से आईआर 64 किस्म की धान के बीज की खरीदी की गई थी और उसे लगभग 5 एकड़ में बोया गया. फसल के लिए काफी मेहनत की, लेकिन जब पौधे निकलने शुरू हुए तब उम्मीद धरी की धरी रह गई. दरअसल, पूरे खेत के 10% हिस्से में ही उनका मन चाहा किस्म के धान की पैदावार हुई है. बाकी 90% यहां अन्य किस्म के धान दिखाई दे रहे हैं. जिसकी क्वालिटी बेहद खराब है और बीमारियों की चपेट में है. ऐसे में पूरी फसस बर्बाद होने की कगार पर है.

पढ़ें- बेमेतरा: चना और गेहूं के बीज नहीं मिलने से परेशान अन्नदाता, सरकारी दफ्तरों के काट रहे चक्कर

जांच के लिए पहुंचे अधिकारी

शिकायत के बाद कृषि विभाग के अधिकारी और बीज निगम की टीम, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक के साथ फसल की जांच के लिए पहुंचे. वैज्ञानिकों ने खेत में बारी-बारी जाकर सभी पहलुओं की जांच की गई और बताया गया कि आगे जांच रिपोर्ट पूरी की जाएगी. इसके बाद ही आगे का फैसला लिया जाएगा. अधिकारियों का यह भी कहना था कि फसल को बीमारी की चपेट में होने के कारण भी ऐसी समस्या आ सकती है.

क्या है कृषि वैज्ञानिकों की राय

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक के आर साहू ने बताया कि अभी हम जांच कर रहे हैं. एक खेत की फसल को नुकसान हुआ है और एक खेत की फसल काफी अच्छी है. उन्होंने कहा कि बीज के पैकेट का भी अवलोकन किया जाएगा. उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

बीज निगम ने बताई बीमारी को वजह

बीज निगम ने जांच के दौरान कहा कि बीमारियों का प्रकोप ज्यादा है इसलिए हम इस सिरे से जांच करेंगे. उन्होंने कहा कि जिले में बीज के संदर्भ में एकमात्र यहीं शिकायत आई है. कहीं से और कोई शिकायत नहीं आई है. जबकि लाटाबोड़ में दो से तीन किसान ऐसे हैं जिन्होंने इस संबंध में शिकायत की है.

पढ़ें- बालोद: तेज बारिश से धान खराब, किसान हो रहे परेशान

किसान ने बताई समस्या

पीड़ित किसान धनेश्वर साहू ने बताया कि उन्होंने सुभाष साहू से आईआर 64 की नर्सरी खरीदी गई थी. जिसमें अलग-अलग धान की बालियां आ रही है. किसान कृष्ण कुमार साहू ने बताया कि उन्होंने सरोना का धान का बीज खरीदा था. लेकिन फसल उन्हें समझ नहीं आ रही है. वे काफी परेशान हैं.

किसानों का छलका दर्द

पीड़ित किसान सुभाष दास साहू ने बताया कि जब इस तरह की शिकायत आई तो उन्होंने कृषि विभाग से इसकी शिकायत की. किसी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह बीज निगम का मामला है. बीज निगम वाले के पास जाइए. वे बीज निगम वालों के पास गए और संबंधित विभाग जाकर उन्होंने आवेदन दिया. उन्होंने बताया कि वे पूरी तरह ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. यदि फसल काटते भी हैं तो उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा.

बालोद: लाटाबोड़ क्षेत्र के किसान प्रमाणित बीज के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. धान कटाई का समय आ चुका है, तब उन्हें पता चला कि जिस किस्म का बीज उन्होंने खरीदा था, वह बीज पूरे खेत में 10 प्रतिशत ही उपजा है. बाकी 90 प्रतिशत अन्य उपज है. वह भी बीमारियों की चपेट में है. ग्राम लाटाबोड़ के किसान सुभाष दास साहू, कुमार साहू समेत ऐसे कई किसान हैं जिन्हें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

प्रमाणित बीज के नाम पर किसानों से धोखा

किसानों ने बताया कि एक ओर सरकार किसानों के हित की बात करती है, तो दूसरी तरफ इस तरह की प्रशासनिक लापरवाही से किसान परेशान हैं. किसानों ने समस्या की जानकारी प्रशासन को दी है. जिसके बाद मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी और बीज निगम की टीम मौके पर जांच के लिए पहुंची.

जिस किस्म बीज खरीदे थे वह मिला सिर्फ 10 प्रतिशत

कृषक सुभाष दास साहू ने बताया कि उसने बीज निगम के डीलर से आईआर 64 किस्म की धान के बीज की खरीदी की गई थी और उसे लगभग 5 एकड़ में बोया गया. फसल के लिए काफी मेहनत की, लेकिन जब पौधे निकलने शुरू हुए तब उम्मीद धरी की धरी रह गई. दरअसल, पूरे खेत के 10% हिस्से में ही उनका मन चाहा किस्म के धान की पैदावार हुई है. बाकी 90% यहां अन्य किस्म के धान दिखाई दे रहे हैं. जिसकी क्वालिटी बेहद खराब है और बीमारियों की चपेट में है. ऐसे में पूरी फसस बर्बाद होने की कगार पर है.

पढ़ें- बेमेतरा: चना और गेहूं के बीज नहीं मिलने से परेशान अन्नदाता, सरकारी दफ्तरों के काट रहे चक्कर

जांच के लिए पहुंचे अधिकारी

शिकायत के बाद कृषि विभाग के अधिकारी और बीज निगम की टीम, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक के साथ फसल की जांच के लिए पहुंचे. वैज्ञानिकों ने खेत में बारी-बारी जाकर सभी पहलुओं की जांच की गई और बताया गया कि आगे जांच रिपोर्ट पूरी की जाएगी. इसके बाद ही आगे का फैसला लिया जाएगा. अधिकारियों का यह भी कहना था कि फसल को बीमारी की चपेट में होने के कारण भी ऐसी समस्या आ सकती है.

क्या है कृषि वैज्ञानिकों की राय

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक के आर साहू ने बताया कि अभी हम जांच कर रहे हैं. एक खेत की फसल को नुकसान हुआ है और एक खेत की फसल काफी अच्छी है. उन्होंने कहा कि बीज के पैकेट का भी अवलोकन किया जाएगा. उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

बीज निगम ने बताई बीमारी को वजह

बीज निगम ने जांच के दौरान कहा कि बीमारियों का प्रकोप ज्यादा है इसलिए हम इस सिरे से जांच करेंगे. उन्होंने कहा कि जिले में बीज के संदर्भ में एकमात्र यहीं शिकायत आई है. कहीं से और कोई शिकायत नहीं आई है. जबकि लाटाबोड़ में दो से तीन किसान ऐसे हैं जिन्होंने इस संबंध में शिकायत की है.

पढ़ें- बालोद: तेज बारिश से धान खराब, किसान हो रहे परेशान

किसान ने बताई समस्या

पीड़ित किसान धनेश्वर साहू ने बताया कि उन्होंने सुभाष साहू से आईआर 64 की नर्सरी खरीदी गई थी. जिसमें अलग-अलग धान की बालियां आ रही है. किसान कृष्ण कुमार साहू ने बताया कि उन्होंने सरोना का धान का बीज खरीदा था. लेकिन फसल उन्हें समझ नहीं आ रही है. वे काफी परेशान हैं.

किसानों का छलका दर्द

पीड़ित किसान सुभाष दास साहू ने बताया कि जब इस तरह की शिकायत आई तो उन्होंने कृषि विभाग से इसकी शिकायत की. किसी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह बीज निगम का मामला है. बीज निगम वाले के पास जाइए. वे बीज निगम वालों के पास गए और संबंधित विभाग जाकर उन्होंने आवेदन दिया. उन्होंने बताया कि वे पूरी तरह ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. यदि फसल काटते भी हैं तो उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा.

Last Updated : Oct 27, 2020, 6:33 PM IST
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