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बालोद: वन विभाग की अच्छी पहल, घर-घर जाकर ग्रामीणों से खरीद रहा वनोपज - बालोद

लॉकडाउन के बीच सारे काम बंद पड़े हैं. ऐसे में वनांचल में रहने वालों के पास वनोपज बेचने की समस्या खड़ी हो गई है, लेकिन इस बीच बालोद के वन विभाग ने अच्छी पहल की है. वन विभाग घर-घर जाकर लोगों से वनोपज संग्रहित कर रहा है.

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वनोपज संग्रहण
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Published : Apr 11, 2020, 11:12 AM IST

बालोद: लॉकडाउन के कारण जिले के लघु वनोपज संग्राहक बाजार तक अपना माल नहीं ले जा पा रहे हैं. ऐसे में वन मंडल अधिकारी ने एक अहम फैसला लेते हुए एक अच्छी पहल की है. जिसके तहत वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी गांव-गांव, गली-मोहल्ले तक जाकर वनोपज खरीद रहे हैं. इससे शासन का समर्थन मूल्य वनोपज संग्राहकों को मिल पा रहा है.

घर-घर जाकर वन विभाग खरीद रहा वनोपज

वनोपज संग्रह करने वाले वनांचल क्षेत्र के लोगों को वन विभाग की यह पहल रास आ रही है क्योंकि अब आसानी से वे अपने संग्रहित वनोपज को बेच पा रहे हैं और उन्हें उचित मूल्य भी मिल पा रहा है और जो समस्या बाहर बाजार में ले जाकर बेचने से होती थी उससे भी अब उन्हें निजात मिल गया है.

ग्रामीणों का बोझ हुआ कम
वनोपज बेचने यदि ग्रामीण बाहर जाते भी थे, तो उन्हें अधिक किराया देना पड़ता था. जिससे उन्हें आर्थिक बोझ तो होती थी साथ ही समय भी बर्बाद होता था. ऐसे में वन विभाग के इस पहल से कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ लोगों को समय और पैसे दोनों की बचत हो रहा है. लोग उचित मूल्य पर सही समय पर अपना वनोपज बेच पा रहे हैं. साथ ही इसका भुगतान चेक के माध्यम से सभी लघु वनोपज संघ ग्राहकों को दिया जा रहा है.

बालोद: लॉकडाउन के कारण जिले के लघु वनोपज संग्राहक बाजार तक अपना माल नहीं ले जा पा रहे हैं. ऐसे में वन मंडल अधिकारी ने एक अहम फैसला लेते हुए एक अच्छी पहल की है. जिसके तहत वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी गांव-गांव, गली-मोहल्ले तक जाकर वनोपज खरीद रहे हैं. इससे शासन का समर्थन मूल्य वनोपज संग्राहकों को मिल पा रहा है.

घर-घर जाकर वन विभाग खरीद रहा वनोपज

वनोपज संग्रह करने वाले वनांचल क्षेत्र के लोगों को वन विभाग की यह पहल रास आ रही है क्योंकि अब आसानी से वे अपने संग्रहित वनोपज को बेच पा रहे हैं और उन्हें उचित मूल्य भी मिल पा रहा है और जो समस्या बाहर बाजार में ले जाकर बेचने से होती थी उससे भी अब उन्हें निजात मिल गया है.

ग्रामीणों का बोझ हुआ कम
वनोपज बेचने यदि ग्रामीण बाहर जाते भी थे, तो उन्हें अधिक किराया देना पड़ता था. जिससे उन्हें आर्थिक बोझ तो होती थी साथ ही समय भी बर्बाद होता था. ऐसे में वन विभाग के इस पहल से कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ लोगों को समय और पैसे दोनों की बचत हो रहा है. लोग उचित मूल्य पर सही समय पर अपना वनोपज बेच पा रहे हैं. साथ ही इसका भुगतान चेक के माध्यम से सभी लघु वनोपज संघ ग्राहकों को दिया जा रहा है.

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