ETV Bharat / state

फूटा किसानों का गुस्सा, केंद्र को पेट पर लात मारने वाली और राज्य को ठगों की सरकार बताया

किसान अब धान काटना शुरू चुके हैं. धान रखने में किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. राज्य सरकार ने धान खरीदी के लिए एक दिसबंर से अनुमति दी है. सरकार के इस फैसले से अन्नदाता नाराज हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

author img

By

Published : Nov 5, 2020, 4:38 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 8:36 PM IST

farmers protest
किसानों का चक्काजाम

बालोद: केंद्र और राज्य सरकार से नाराज किसानों ने गुरुवार को रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे पर चक्काजाम किया. किसानों के चक्काजाम से कई घंटों तक यातायात प्रभावित रहा. सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की लंबी लाइन लगी हुई थी. मौके पर पहुंची पुलिस प्रशासन की टीम लगातार किसानों को मनाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन किसान चक्काजाम खत्म करने के लिए तैयार नहीं हो रहे. लगभग 1 घंटे की समझाइश के बाद किसानों ने चक्काजाम खत्म किया और पैदल ही धरना स्थल के लिए निकल पड़े.

रायपुर-जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसानों का चक्काजाम

किसानों का कहना है कि केंद्र हो या राज्य दोनों सरकारें किसानों के पेट पर लात मार रही हैं. किसानों ने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार 2 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कहती है वहीं दूसरी ओर शासकीय संपत्तियों को बेचने में लगी हुई है. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार संपत्तियों के साथ-साथ अब किसानों को बेचने की भी तैयारी में है. उन्होंने केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानून को किसानों के पेट में लात मारने वाला कानून बताया है. उनका कहना है कि कंद्र सरकार पूंजीपतियों की सरकार है और उन्हें ही लाभ पहुंचाने के लिए नए-नए कानून ला रही है. किसानों के केंद्र और राज्य सरकार को ठगों की सरकार कहा है.

farmers protest
किसानों का प्रदर्शन


खेती करते हैं तब भरता है पेट
आंदोलन की अगुवाई कर रहे पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर ने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां की जनसंख्या पूरी तरह कृषि पर निर्भर है. प्रदेश को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन प्रदेश सरकार हमारे पेट पर लात मार रही है. उनका कहना है कि किसान 12 महीने खेती करते हैं, लेकिन उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता. किसान अपनी उपज का आधा हिस्सा बेच नहीं पाते. उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है. किसानों का कहना है कि धान खरीदी करने से पहले पुराना हिसाब चुकता करें. उन्होंने कहा कि अगर यहीं हाल रहा तो किसान इसी तरह आंदोलन करते रहेंगे.

farmers protest
केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों की रैली

पढ़ें: बालोद: 1 दिसंबर से धान खरीदी से किसान परेशान, घर में रखने के लिए नहीं है जगह

कम दाम में धान खरीदी होने पर हो दंड का प्रावधान


किसानों का कहना है कि धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार ने एक दाम तो निर्धारित किया है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे धान लेने पर दंड या सजा का प्रावधान नहीं रखा है. जबकि कम दाम में यदि धान खरीदा जाता है तो इसके लिए दंड का प्रावधान रखा जाना चाहिए. सरकार किसानों को उसकी मेहनत का उचित दाम दिलाने में असमर्थ है. किसान मजदूर यूनियन के प्रदेश संरक्षक लीला राम साहू ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि भूपेश सरकार ने चुनाव के दौरान बड़े- बड़े वादे किए थे, लेकिन आज उन वादों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं. उनका कहना है कि चुनाव के साथ गद्दी तो बदली, लेकिन नेताओं की नीयत नहीं बदली.

Farmers hold chakka jam
सरकार के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि आज केंद्र और राज्य की सरकार नेता जनप्रतिनिधि किसानों के मुद्दे पर साडू भाई की तरह काम कर रहे हैं. एक ओर केंद्र सरकार किसानों के साथ अहित करने में जुटी हुई है वहीं राज्य सरकार भी किसानों को लूट रही है. सरकार को 1 नवंबर से धान खरीदी करना चाहिए लेकिन सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी कर रही है जिससे किसानों को परेशानी हो रही है. किसानों ने 15 नवंबर से धान खरीदी करने की मांग की है.

farmers protest
किसानों ने निकाली रैली

किसानों की प्रमुख मांगें

  • 1 नवंबर को धान खरीदी प्रारंभ की जाए. केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ से 40% अधिक चावल खरीदने की सहमति दिया है इसलिए खरीफ सीजन 2020 में 24 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान की खरीदी की जाए.
  • खुले बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के लिए कानून बने और उससे कम दाम में धन खरीदी करने पर सजा या दंड का प्रावधान हो.
  • जिन किसानों को 2018-19 में कर्जा माफी का लाभ नहीं मिला है उनको राज्य सरकार के योजना अंतर्गत कर्ज माफी मिले.
  • रबी फसल में ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा किसानों को दिया जाए.
  • खरीफ फसल में असमय हुए बारिश और कीट प्रकोप फसल क्षति का महावजा दिया जाए.
  • पिछले साल की बाकी राशि को एक साथ दिया जाए.
  • कृषि मोटर पंप का बिल माफ किया जाए.


बालोद: केंद्र और राज्य सरकार से नाराज किसानों ने गुरुवार को रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे पर चक्काजाम किया. किसानों के चक्काजाम से कई घंटों तक यातायात प्रभावित रहा. सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की लंबी लाइन लगी हुई थी. मौके पर पहुंची पुलिस प्रशासन की टीम लगातार किसानों को मनाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन किसान चक्काजाम खत्म करने के लिए तैयार नहीं हो रहे. लगभग 1 घंटे की समझाइश के बाद किसानों ने चक्काजाम खत्म किया और पैदल ही धरना स्थल के लिए निकल पड़े.

रायपुर-जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसानों का चक्काजाम

किसानों का कहना है कि केंद्र हो या राज्य दोनों सरकारें किसानों के पेट पर लात मार रही हैं. किसानों ने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार 2 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कहती है वहीं दूसरी ओर शासकीय संपत्तियों को बेचने में लगी हुई है. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार संपत्तियों के साथ-साथ अब किसानों को बेचने की भी तैयारी में है. उन्होंने केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानून को किसानों के पेट में लात मारने वाला कानून बताया है. उनका कहना है कि कंद्र सरकार पूंजीपतियों की सरकार है और उन्हें ही लाभ पहुंचाने के लिए नए-नए कानून ला रही है. किसानों के केंद्र और राज्य सरकार को ठगों की सरकार कहा है.

farmers protest
किसानों का प्रदर्शन


खेती करते हैं तब भरता है पेट
आंदोलन की अगुवाई कर रहे पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर ने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां की जनसंख्या पूरी तरह कृषि पर निर्भर है. प्रदेश को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन प्रदेश सरकार हमारे पेट पर लात मार रही है. उनका कहना है कि किसान 12 महीने खेती करते हैं, लेकिन उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता. किसान अपनी उपज का आधा हिस्सा बेच नहीं पाते. उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है. किसानों का कहना है कि धान खरीदी करने से पहले पुराना हिसाब चुकता करें. उन्होंने कहा कि अगर यहीं हाल रहा तो किसान इसी तरह आंदोलन करते रहेंगे.

farmers protest
केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों की रैली

पढ़ें: बालोद: 1 दिसंबर से धान खरीदी से किसान परेशान, घर में रखने के लिए नहीं है जगह

कम दाम में धान खरीदी होने पर हो दंड का प्रावधान


किसानों का कहना है कि धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार ने एक दाम तो निर्धारित किया है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे धान लेने पर दंड या सजा का प्रावधान नहीं रखा है. जबकि कम दाम में यदि धान खरीदा जाता है तो इसके लिए दंड का प्रावधान रखा जाना चाहिए. सरकार किसानों को उसकी मेहनत का उचित दाम दिलाने में असमर्थ है. किसान मजदूर यूनियन के प्रदेश संरक्षक लीला राम साहू ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि भूपेश सरकार ने चुनाव के दौरान बड़े- बड़े वादे किए थे, लेकिन आज उन वादों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं. उनका कहना है कि चुनाव के साथ गद्दी तो बदली, लेकिन नेताओं की नीयत नहीं बदली.

Farmers hold chakka jam
सरकार के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि आज केंद्र और राज्य की सरकार नेता जनप्रतिनिधि किसानों के मुद्दे पर साडू भाई की तरह काम कर रहे हैं. एक ओर केंद्र सरकार किसानों के साथ अहित करने में जुटी हुई है वहीं राज्य सरकार भी किसानों को लूट रही है. सरकार को 1 नवंबर से धान खरीदी करना चाहिए लेकिन सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी कर रही है जिससे किसानों को परेशानी हो रही है. किसानों ने 15 नवंबर से धान खरीदी करने की मांग की है.

farmers protest
किसानों ने निकाली रैली

किसानों की प्रमुख मांगें

  • 1 नवंबर को धान खरीदी प्रारंभ की जाए. केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ से 40% अधिक चावल खरीदने की सहमति दिया है इसलिए खरीफ सीजन 2020 में 24 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान की खरीदी की जाए.
  • खुले बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के लिए कानून बने और उससे कम दाम में धन खरीदी करने पर सजा या दंड का प्रावधान हो.
  • जिन किसानों को 2018-19 में कर्जा माफी का लाभ नहीं मिला है उनको राज्य सरकार के योजना अंतर्गत कर्ज माफी मिले.
  • रबी फसल में ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा किसानों को दिया जाए.
  • खरीफ फसल में असमय हुए बारिश और कीट प्रकोप फसल क्षति का महावजा दिया जाए.
  • पिछले साल की बाकी राशि को एक साथ दिया जाए.
  • कृषि मोटर पंप का बिल माफ किया जाए.


Last Updated : Nov 5, 2020, 8:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.