बालोद: केंद्र और राज्य सरकार से नाराज किसानों ने गुरुवार को रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे पर चक्काजाम किया. किसानों के चक्काजाम से कई घंटों तक यातायात प्रभावित रहा. सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की लंबी लाइन लगी हुई थी. मौके पर पहुंची पुलिस प्रशासन की टीम लगातार किसानों को मनाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन किसान चक्काजाम खत्म करने के लिए तैयार नहीं हो रहे. लगभग 1 घंटे की समझाइश के बाद किसानों ने चक्काजाम खत्म किया और पैदल ही धरना स्थल के लिए निकल पड़े.
किसानों का कहना है कि केंद्र हो या राज्य दोनों सरकारें किसानों के पेट पर लात मार रही हैं. किसानों ने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार 2 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कहती है वहीं दूसरी ओर शासकीय संपत्तियों को बेचने में लगी हुई है. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार संपत्तियों के साथ-साथ अब किसानों को बेचने की भी तैयारी में है. उन्होंने केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानून को किसानों के पेट में लात मारने वाला कानून बताया है. उनका कहना है कि कंद्र सरकार पूंजीपतियों की सरकार है और उन्हें ही लाभ पहुंचाने के लिए नए-नए कानून ला रही है. किसानों के केंद्र और राज्य सरकार को ठगों की सरकार कहा है.
खेती करते हैं तब भरता है पेट
आंदोलन की अगुवाई कर रहे पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर ने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां की जनसंख्या पूरी तरह कृषि पर निर्भर है. प्रदेश को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन प्रदेश सरकार हमारे पेट पर लात मार रही है. उनका कहना है कि किसान 12 महीने खेती करते हैं, लेकिन उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता. किसान अपनी उपज का आधा हिस्सा बेच नहीं पाते. उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है. किसानों का कहना है कि धान खरीदी करने से पहले पुराना हिसाब चुकता करें. उन्होंने कहा कि अगर यहीं हाल रहा तो किसान इसी तरह आंदोलन करते रहेंगे.
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कम दाम में धान खरीदी होने पर हो दंड का प्रावधान
किसानों का कहना है कि धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार ने एक दाम तो निर्धारित किया है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे धान लेने पर दंड या सजा का प्रावधान नहीं रखा है. जबकि कम दाम में यदि धान खरीदा जाता है तो इसके लिए दंड का प्रावधान रखा जाना चाहिए. सरकार किसानों को उसकी मेहनत का उचित दाम दिलाने में असमर्थ है. किसान मजदूर यूनियन के प्रदेश संरक्षक लीला राम साहू ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि भूपेश सरकार ने चुनाव के दौरान बड़े- बड़े वादे किए थे, लेकिन आज उन वादों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं. उनका कहना है कि चुनाव के साथ गद्दी तो बदली, लेकिन नेताओं की नीयत नहीं बदली.
उन्होंने कहा कि आज केंद्र और राज्य की सरकार नेता जनप्रतिनिधि किसानों के मुद्दे पर साडू भाई की तरह काम कर रहे हैं. एक ओर केंद्र सरकार किसानों के साथ अहित करने में जुटी हुई है वहीं राज्य सरकार भी किसानों को लूट रही है. सरकार को 1 नवंबर से धान खरीदी करना चाहिए लेकिन सरकार 1 दिसंबर से धान खरीदी कर रही है जिससे किसानों को परेशानी हो रही है. किसानों ने 15 नवंबर से धान खरीदी करने की मांग की है.
किसानों की प्रमुख मांगें
- 1 नवंबर को धान खरीदी प्रारंभ की जाए. केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ से 40% अधिक चावल खरीदने की सहमति दिया है इसलिए खरीफ सीजन 2020 में 24 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान की खरीदी की जाए.
- खुले बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के लिए कानून बने और उससे कम दाम में धन खरीदी करने पर सजा या दंड का प्रावधान हो.
- जिन किसानों को 2018-19 में कर्जा माफी का लाभ नहीं मिला है उनको राज्य सरकार के योजना अंतर्गत कर्ज माफी मिले.
- रबी फसल में ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा किसानों को दिया जाए.
- खरीफ फसल में असमय हुए बारिश और कीट प्रकोप फसल क्षति का महावजा दिया जाए.
- पिछले साल की बाकी राशि को एक साथ दिया जाए.
- कृषि मोटर पंप का बिल माफ किया जाए.