बालोद: एक तरफ धान खरीदी में लेटलतीफी और दूसरी तरफ धान की फसलों में कीटों की वजह से किसान परेशान हैं. ज्यादातर धान किसानों की कीटों की वजह से फसल प्रभावित हुई है. किसान धान संरक्षण के कार्य में लगे हुए हैं. लेकिन कीटों से उन्हें कोई निजात नहीं मिल रही. किसानों ने खुद व्यवस्था कर धान की खेती की और दवाई छिड़क कर कीटों से फसल का बचाव किया. किसानो का कहना है कि जब उन्हें इस मामले में मदद की जरूरत थी तो प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया अब जिला प्रशासन की तरफ से उन्हें कीटनाशक दवाईयां दी जा रही है.
किसानों ने बताया कि उन्हें दिन में 6 बार दवाई डालना पड़ रहा है. और अब पूरी फसल बर्बाद है. किसान शासन-प्रशासन से क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं. कलेक्टर से मिलने आए किसानों ने बताया कि उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जब किसानों को जरूरत थी तब किसी विभाग से कोई सहयोग नहीं किया जा रहा था.
किसानों ने मुआवजे की मांग
उन्होंने कहा कि फसल बीमा की राशि जिसको मिलनी चाहिए उसको नहीं मिलती और जिसको नहीं मिलनी चाहिए उनको बार-बार मिल रही है. कीट के प्रकोप के कारण किसानों की फसलें पूरी तरह तबाह हो गई है. जिसमें किसानों को क्षतिपूर्ति की उम्मीद है. शासन को समय-समय पर क्षतिपूर्ति देना चाहिए नहीं तो किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे.
पढे़:कवर्धा: इस साल 16 हजार से अधिक किसानों ने कराया पंजीयन
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
किसान शासन से कीट प्रकोप को लेकर क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि विभाग की तरफ से देर से दवाई बांटी जा रही है. जबकि फसल कटाई का समय हो गया है. इसके साथ ही उन्होंने फसल बीमा के तहत शासन की नीति पर भी सवाल उठाए हैं. कलेक्टर के माध्यम से किसानों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.