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आरक्षण विधेयक में देरी का असर : सतनामी समाज के आयोजनों में नेताओं पर पाबंदी

छत्तीसगढ़ में आरक्षण की मांग पर कई समाज आपस में ही भिड़ने लगे हैं. नेता मंत्री विधायक भी किसी से पीछे नहीं हैं.इस मामले में अब समाज भी कूद पड़ा है. राज्यपाल के बयान के बाद साहू समाज ने राज्यपाल को सामाजिक आयोजनों में बुलाने पर प्रतिबंध लगाया है.वहीं एक बड़ा मामला बालोद जिले से आया है. जहां पहले गुंडरदेही विधायक एवं संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद को सतनामी समाज के कार्यक्रम में अतिथि बनाया गया. फिर उनके अतिथि पद को निरस्त कर दिया गया. जिसे लेकर विधायक ने भी बयान दिया.

Parliamentary Secretary Kunwar Singh Nishad
सतनामी समाज के आयोजनों में नेताओं पर पाबंदी
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Published : Dec 15, 2022, 2:26 PM IST

Updated : Dec 15, 2022, 7:46 PM IST

आरक्षण विधेयक में देरी का असर,सतनामी समाज के आयोजनों में नेताओं पर पाबंदी

बालोद : विधायक एवं संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद (Parliamentary Secretary Kunwar Singh Nishad ) ने कार्यक्रम के अतिथि पद को निरस्त करने की विषय को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ''अभी हमने आरक्षण के विधेयक को पारित किया. जिसमें सर्व समाज सर्व समुदाय के हित को ध्यान में रखा गया. जिस पर राज्यपाल ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किया है. हमने ओबीसी के लिए 27% अनुसूचित जनजाति के लिए 32% अनुसूचित जाति के लिए 13% और ईडब्ल्यूएस के लिए 4% आरक्षण विधेयक पारित किया है. सतनामी समाज 18 दिसंबर से लेकर गुरु पर्व के अवसर पर कई आयोजन करता हैं. जिसमें नेता मंत्री विधायकों को बुलाया जाता है. लेकिन इस बार उनकी कुछ सामाजिक पाबंदियां हैं. इसे लेकर उन्होंने विधायकों को नहीं बुलाने का निर्णय लिया है.बहिष्कार और पाबंदी जैसे शब्द में अंतर समझना चाहिए. यह एक सामाजिक व्यवस्था है.''Leaders banned in Satnami Samaj events in balod



क्या है मामला : सतनामी समाज ने निर्णय लिया है कि वह अपने गुरु पर्व के कार्यक्रमों में नेता मंत्री विधायकों को नहीं बुलाएंगे. लेकिन एक नगर पंचायत अर्जुंदा में 18 एवं 19 दिसंबर को गुरु पर्व का एक आयोजन होना है. जिसमें पहले तो विधायक को अतिथि के तौर पर बुलाया गया था. फिर समाज ने एक पत्र जारी किया कि '' सामाजिक पाबंदी के लिए आरक्षण का जो विषय चल रहा है.उसके कारण आपका अतिथि पद निरस्त किया जाता है." जो कि पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह लेटर तेजी से वायरल हो रहा है विधायक भी स्वयं इस पत्र को लेकर घूम रहे हैं.effect of delay in reservation bill

राज्यपाल ने क्या दिया था बयान :धमतरी में राज्यपाल अनसुइया उइके (Governor Anasuya Uikey) ने कहा था कि '' आदिवासियों ने आरक्षण की मांग को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन किया. तब खुद मैंने सरकार को विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी थी. मैंने केवल जनजाति समाज के लिए विशेष सत्र बुलाने की बात कही थी. अब इस विधेयक में आरक्षण 76 फीसदी हो गया है. यदि केवल आदिवासी समाज का ही आरक्षण संशोधन 20 फीसदी से 32 फीसदी होता तो मेरे लिए तुरंत हस्ताक्षर करने में कोई दिक्कत नहीं थी. अब चूंकि पहले ही हाईकोर्ट ने 58 फीसदी आरक्षण को अवैधानिक करार दिया है और नए संशोधन विधेयक में 76 फीसदी आरक्षण हो गया है, इसलिए तकनीकी पहलू देखना होगा.

राज्यपाल ने यह भी कहा कि ''इस मामले में हर वर्ग और जाति समुदाय वालों के भी आवेदन मिले हुए हैं. इससे पहले 2012 में 58 फीसदी आरक्षण वाले बिल को कोर्ट ने अवैधानिक करार दिया था. इन परिस्थितियों में नए आरक्षण बिल पर सरकार की तैयारी कितनी है. रोस्टर की क्या स्थिति है, इनकी भी जांच और जानकारी जरूरी है. इसी कारण समय लग रहा है. आरक्षण के सभी पहलुओं की जानकारी से संतुष्ट होने के फौरन बाद इस पर हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे.''Governor statement on reservation bill

ये भी पढ़ें- आरक्षण विधेयक पर नेताओं का राज्यपाल से सवाल


क्या है नया संशोधित विधेयक : दरअसल आरक्षण के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र एक और दो दिसंबर को बुलाया गया. विशेष सत्र के दूसरे दिन राज्य सरकार ने आरक्षण से संबंधित दो विधेयक पेश किया. छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक सदन से पास हुआ है. इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का प्रस्ताव तय है. सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने की भी बात इस विधेयक में हैं. अब छत्तीसगढ़ में इन सभी अनुपातों को मिला कर देखा जाए तो कुल 76 फीसदी आरक्षण छत्तीसगढ़ में हो जाएगा.

आरक्षण विधेयक में देरी का असर,सतनामी समाज के आयोजनों में नेताओं पर पाबंदी

बालोद : विधायक एवं संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद (Parliamentary Secretary Kunwar Singh Nishad ) ने कार्यक्रम के अतिथि पद को निरस्त करने की विषय को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ''अभी हमने आरक्षण के विधेयक को पारित किया. जिसमें सर्व समाज सर्व समुदाय के हित को ध्यान में रखा गया. जिस पर राज्यपाल ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किया है. हमने ओबीसी के लिए 27% अनुसूचित जनजाति के लिए 32% अनुसूचित जाति के लिए 13% और ईडब्ल्यूएस के लिए 4% आरक्षण विधेयक पारित किया है. सतनामी समाज 18 दिसंबर से लेकर गुरु पर्व के अवसर पर कई आयोजन करता हैं. जिसमें नेता मंत्री विधायकों को बुलाया जाता है. लेकिन इस बार उनकी कुछ सामाजिक पाबंदियां हैं. इसे लेकर उन्होंने विधायकों को नहीं बुलाने का निर्णय लिया है.बहिष्कार और पाबंदी जैसे शब्द में अंतर समझना चाहिए. यह एक सामाजिक व्यवस्था है.''Leaders banned in Satnami Samaj events in balod



क्या है मामला : सतनामी समाज ने निर्णय लिया है कि वह अपने गुरु पर्व के कार्यक्रमों में नेता मंत्री विधायकों को नहीं बुलाएंगे. लेकिन एक नगर पंचायत अर्जुंदा में 18 एवं 19 दिसंबर को गुरु पर्व का एक आयोजन होना है. जिसमें पहले तो विधायक को अतिथि के तौर पर बुलाया गया था. फिर समाज ने एक पत्र जारी किया कि '' सामाजिक पाबंदी के लिए आरक्षण का जो विषय चल रहा है.उसके कारण आपका अतिथि पद निरस्त किया जाता है." जो कि पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह लेटर तेजी से वायरल हो रहा है विधायक भी स्वयं इस पत्र को लेकर घूम रहे हैं.effect of delay in reservation bill

राज्यपाल ने क्या दिया था बयान :धमतरी में राज्यपाल अनसुइया उइके (Governor Anasuya Uikey) ने कहा था कि '' आदिवासियों ने आरक्षण की मांग को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन किया. तब खुद मैंने सरकार को विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी थी. मैंने केवल जनजाति समाज के लिए विशेष सत्र बुलाने की बात कही थी. अब इस विधेयक में आरक्षण 76 फीसदी हो गया है. यदि केवल आदिवासी समाज का ही आरक्षण संशोधन 20 फीसदी से 32 फीसदी होता तो मेरे लिए तुरंत हस्ताक्षर करने में कोई दिक्कत नहीं थी. अब चूंकि पहले ही हाईकोर्ट ने 58 फीसदी आरक्षण को अवैधानिक करार दिया है और नए संशोधन विधेयक में 76 फीसदी आरक्षण हो गया है, इसलिए तकनीकी पहलू देखना होगा.

राज्यपाल ने यह भी कहा कि ''इस मामले में हर वर्ग और जाति समुदाय वालों के भी आवेदन मिले हुए हैं. इससे पहले 2012 में 58 फीसदी आरक्षण वाले बिल को कोर्ट ने अवैधानिक करार दिया था. इन परिस्थितियों में नए आरक्षण बिल पर सरकार की तैयारी कितनी है. रोस्टर की क्या स्थिति है, इनकी भी जांच और जानकारी जरूरी है. इसी कारण समय लग रहा है. आरक्षण के सभी पहलुओं की जानकारी से संतुष्ट होने के फौरन बाद इस पर हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे.''Governor statement on reservation bill

ये भी पढ़ें- आरक्षण विधेयक पर नेताओं का राज्यपाल से सवाल


क्या है नया संशोधित विधेयक : दरअसल आरक्षण के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र एक और दो दिसंबर को बुलाया गया. विशेष सत्र के दूसरे दिन राज्य सरकार ने आरक्षण से संबंधित दो विधेयक पेश किया. छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक सदन से पास हुआ है. इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का प्रस्ताव तय है. सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने की भी बात इस विधेयक में हैं. अब छत्तीसगढ़ में इन सभी अनुपातों को मिला कर देखा जाए तो कुल 76 फीसदी आरक्षण छत्तीसगढ़ में हो जाएगा.

Last Updated : Dec 15, 2022, 7:46 PM IST
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