बालोद: जिले के वनांचल क्षेत्र के ग्राम मंगल (Demand of people of Vanancha) तराई के ग्रामीण इन दिनों पट्टे की मांग को लेकर खासे परेशान हैं. दरअसल वे जिस जगह पर 25 वर्षों से काबिज (held for 25 years) हैं. उस जगह का पट्टा प्रशासन एवं शासन द्वारा अब तक नहीं दिया गया है. जिसके कारण उन्हें कई सारे कार्यों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ना तो उन्हें आवास योजना का लाभ उस जमीन पर मिल पा रहा है और ना ही वे व्यक्तिगत रूप से उस जगह पर कोई विकास कार्य कर सकते हैं. क्योंकि अचानक प्रशासन ने उस जगह को वापस मांग लिया तो उनका लगाया हुआ सारा पैसा बेकार हो जाएगा.
नहीं कर पा रहे विकास
ग्रामीण तरुण ने बताया कि लगभग 25 वर्षों से वह यहां काबिज हैं. सपरिवार जीवन यापन कर रहे हैं. प्रशासन को भी इस बात की जानकारी है परंतु अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है. इसके कारण हम लोग खासे परेशान हैं. रोजाना हम लोग प्रशासनिक अधिकारियों और तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. परंतु पट्टे के विषय को लेकर अब तक निर्णय नहीं हो पाया है. दरअसल यदि हमें पट्टा दिया जाता है तो हम क्षेत्र विकास कर सकते हैं, और शासन के कई महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ ले सकते हैं. परंतु पट्टा ना मिलने के कारण उस जगह का हम सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं और हमें खासी परेशानी उठानी पड़ रही है.
ग्रामीण प्रमुख आत्माराम गौर ने बताया कि हम लगातार प्रशासन से अपनी मांग कर रहे हैं. मामला तहसील कार्यालय में लंबित है परंतु हम सब ग्रामीण लगातार संयुक्त रूप से हर मोर्चे पर अपनी बात को रख रहे हैं. हमने अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष भी अपनी बात को रखा है. एक तरफ आदिवासियों के हित की बात शासन-प्रशासन करती है तो दूसरी तरफ हम आदिवासियों के समर्थन में किसी तरह का कोई फैसला नहीं लिया जाता है. जो चिंता का विषय है.