बालोद: जिले के धान संग्रहण केंद्रों से खराब धान को अच्छे धान में मिलाकर राइस मिलरों को दिए जाने का मामला सामने आया है. राइस मिलर्स का कहना है कि 19-20 का फर्क हो तो वे कुछ कर सकते हैं, लेकिन शासन को मदद करने के उद्देश्य से वे खुद किसी तरह का नुकसान नहीं उठाना चाहते. राइस मिलर्स का कहना है कि जिले के जगतरा मालीघोरी जैसे धान संग्रहण केंद्रों में कई क्विंटल धान खराब हो चुका हैं. बरसात के कारण धान सड़ने के साथ ही काला हो गया है. अब संग्रहण केंद्र प्रबंधन द्वारा धान के बोरों को बदलकर दूसरे बोरों में शिफ्ट किया जा रहा है.
बता दें कि इस बार धान के उठाव में काफी देरी हुई, जिसके कारण बरसात के समय में धान को काफी नुकसान हुआ है. इसके बाद कोरोना के कारण भी काम काफी दिनों तक बंद रहा. राइस मिलर्स का कहना है कि वे धान खरीदने से पहले धान की क्वॉलिटी देखना चाह रहे हैं, लेकिन धान नहीं दिखाते हुए उन्हें लाइन से धान उठाने की बात कही जा रही है.
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राइस मिलर्स का कहना है कि उन्हें 68% चावल देना पड़ता है. खराब धान मिलने से वे 68% रिकवरी नहीं दे सकते हैं. संग्रहण केंद्र में उन्हें धान की क्वॉलिटी देखने और खराब धान को देने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए. बालोद राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि संग्रहण केंद्र से उन्हें मानक धान ही दिया जाए. अमानक धान का उठाओ करने में वे सक्षम नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि अगर थोड़ी बहुत दिक्कत होती है तो वे सहन कर सकते हैं, लेकिन इस स्थिति में बिल्कुल नहीं कि उन्हें इसके बदले नुकसान उठाना पड़े. उन्होंने बताया कि बीते दिनों शिकायत आई थी कि जबरदस्ती धान उठाने का दबाव बनाया जा रहा है. राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि वे सब शासन का सहयोग करना चाहते हैं, लेकिन शासन और प्रशासन को उनके सहयोग के लिए भी आगे आना चाहिए. वहीं इसके बाद भी अगर उन्हें खराब धान दिया जाता है तो आगे रणनीति बनाकर वे काम करने का मन बना रहे हैं.