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मिड डे मील में अंडे के बाद अब बांटी जा रही है चिक्की - स्कूलों में शाकाहार भोजन वितरण

मिड डे मील में अंडे बांटे जाने को लेकर लगातार विरोध जारी है. जिस पर अब प्रशासन ने शाकाहारी बच्चों के विकास के लिए अन्य पौष्टिक तत्व देने का फैसाल लिया है. इसके तहत जो बच्चे शाकाहारी हैं उन्हें चिक्की बांटा जा रहा है.

Administration is going to distribute chickes
मिड डे मील में अब चिक्की देने की तैयारी
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Published : Dec 7, 2019, 5:33 PM IST

बालोद: जिले के स्कूलों में मिड डे मील में अंडा जाने के विरोध के बाद अब प्रशासन ने दूसरा विकल्प निकाला है. मिड डे मील के वक्त अब स्कूल में शाकाहारी बच्चों को एक तरफ और अंडा खाने वाले बच्चों को दूसरी तरफ बिठाया जा रहा है. अंडा ना खाने वाले बच्चों को उसकी जगह चिक्की और अन्य पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है.

मिड डे मील में अब चिक्की देने की तैयारी

पूरे प्रदेश भर में मिड डे मील में बालोद जिले में सबसे पहले अंडा वितरण की शुरुआत की गई थी. अंडा वितरण करने के साथ ही यहां विरोध का स्वर भी सामने आने लगा था. कबीरपंथी, जैन सहित कई समाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया था. जिसके बाद से शिक्षा विभाग और प्रशासन ने दूसरा निर्णय लिया और अंडे की जगह अन्य पौष्टिक भोजन के तहत चिक्की बांटना शुरू किया है.

पढ़ें- बालोद: शक्ति प्रदर्शन के साथ बीजेपी उम्मीदवारों ने भरा पर्चा

अंडे के साथ दिए जा रहे अन्य पौष्टिक तत्व
विद्यालयों के प्रधान पाठकों ने बताया कि मिड डे मील में अंडे बांटे जाने के विरोध के बाद अब शाकाहारी बच्चों को फल, सोयाबीन और चिक्की दिए जा रहे हैं. ताकि बच्चों को कुपोषण से दूर रखा जाए. शासन प्रशासन इसे पौष्टिक भोजन और सुपोषण के क्षेत्र में अहम कदम बता रहा है. ताकि बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाई जा सके.

शाकाहारी बच्चों को अंडे की जगह अन्य पौष्टिक तत्व को दिया जा रहा है. लेकिन अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग के इस फैसले को आम लोग किस तरह से लेते हैं.

बालोद: जिले के स्कूलों में मिड डे मील में अंडा जाने के विरोध के बाद अब प्रशासन ने दूसरा विकल्प निकाला है. मिड डे मील के वक्त अब स्कूल में शाकाहारी बच्चों को एक तरफ और अंडा खाने वाले बच्चों को दूसरी तरफ बिठाया जा रहा है. अंडा ना खाने वाले बच्चों को उसकी जगह चिक्की और अन्य पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है.

मिड डे मील में अब चिक्की देने की तैयारी

पूरे प्रदेश भर में मिड डे मील में बालोद जिले में सबसे पहले अंडा वितरण की शुरुआत की गई थी. अंडा वितरण करने के साथ ही यहां विरोध का स्वर भी सामने आने लगा था. कबीरपंथी, जैन सहित कई समाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया था. जिसके बाद से शिक्षा विभाग और प्रशासन ने दूसरा निर्णय लिया और अंडे की जगह अन्य पौष्टिक भोजन के तहत चिक्की बांटना शुरू किया है.

पढ़ें- बालोद: शक्ति प्रदर्शन के साथ बीजेपी उम्मीदवारों ने भरा पर्चा

अंडे के साथ दिए जा रहे अन्य पौष्टिक तत्व
विद्यालयों के प्रधान पाठकों ने बताया कि मिड डे मील में अंडे बांटे जाने के विरोध के बाद अब शाकाहारी बच्चों को फल, सोयाबीन और चिक्की दिए जा रहे हैं. ताकि बच्चों को कुपोषण से दूर रखा जाए. शासन प्रशासन इसे पौष्टिक भोजन और सुपोषण के क्षेत्र में अहम कदम बता रहा है. ताकि बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाई जा सके.

शाकाहारी बच्चों को अंडे की जगह अन्य पौष्टिक तत्व को दिया जा रहा है. लेकिन अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग के इस फैसले को आम लोग किस तरह से लेते हैं.

Intro:बालोद

बालोद जिले में खनिज न्यास समत्से स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में 1 दिन अंडा वितरण करने का प्रावधान रखा गया था जिसको लेकर कड़ा विरोध हुआ विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया जिसके बाद प्रशासन ने भी इसका दूसरा विकल्प निकाला है सबसे पहले तो जब अंडा बांटना शुरू किया गया तो शाकाहारी बच्चे एक तरफ और अंडा खाने वाले बच्चे एक तरफ अलग-अलग बिठाए जाते थे इसके बाद भी अंडा बांटने का विरोध जारी रहा प्रशासन द्वारा अंडा खाने वाले बच्चों को अंडा दिया जा रहा है और अंडा ना खाने वाले बच्चों को उसके जगह फल्ली गुड और सोयाबीन जैसे अन्य पौष्टिक भोजन दिए जा रहे हैं।




Body:वीओ - पूरे प्रदेश भर में बालोद जिले में सबसे पहले अंडा वितरण की शुरुआत की गई अंडा वितरण करने के साथ ही यहां विरोध का स्वर भी सामने आने लगा कबीरपंथी जैन समाज सहित अन्य सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया कि शिक्षा के मंदिर में अंडा देना उचित नहीं है इसी बजट में दूध फल जूस इत्यादि भी दिए जा सकते हैं जिसके बाद से शिक्षा विभाग व प्रशासन ने दूसरा निर्णय लिया और अंडे की जगह कुछ और बांटा जा रहा है।

वीओ - विभिन्न विद्यालयों के प्रधान पाठकों ने बताया कि अंडे के विरोध के बाद अब हमें अंडा नहीं बल्कि अंडा ना खाने वाले बच्चों को फल लीग और सोयाबीन जैसे अन्य पौष्टिक भोजन देने कहा गया है जिससे अब यहां पर चिकी सोयाबीन व अन्य पौष्टिक तत्व दिए जा रहे हैं।


Conclusion:मंडे को लेकर विरोध का स्वर गजब था विभिन्न सामाजिक संगठन एक है तो शासन प्रशासन इसे पौष्टिक भोजन और सुपोषण लाने को लेकर एक विशेष पहल बता रही थी अब अंडा खाने वाले बच्चे अंडे खा रहे हैं और ना खाने वाले बच्चों को गुड फल्ली पापड़ी दिया जा रहा है

बाइट - संगीता ठाकुर, प्रधान पाठक माध्यमिक विद्यालय बालोद
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