बालोद: बालोद जिला के बाघमार गांव में आयोजित कंगला मांझी सरकार के शहादत दिवस में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके शामिल हुईं. राज्यपाल ने कंगला मांझी स्मारक स्थल पर पहुंच कर श्रद्धांजलि अर्पित की. उसके वाद आदिवासी देवी देवताओं को नमन किया. इस मौके पर राज्यपाल अनुसुइया उईके ने संबोधन में कहा कि कंगला मांझी का मानना था कि देश तभी समृद्ध बनेगा जब आदिवासी समाज समृद्ध बनेगा
'राष्ट्रहित की दिशा में किया कार्य'
राज्यपाल ने कहा कि मांझी सरकार ने राष्ट्रहित की दिशा में कार्य किया. मौजूदा दौर में आदिवासियों की स्थिति पर राज्यपाल अनुसुइया उईके चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि पैसों का लालच देकर आदिवासियो क उनके जल जंगल जमीन से बेदखल किया जा रहा है. जिसको लेकर वह लगातार आदिवासियों के हित में उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रयास कर रहीं हैं. सभा स्थल पर राजमाता सहित कंगला मांझी के अनुयायियों ने राज्यपाल के समक्ष मांग रखी. जिसे पूरा करने के लिए हर सम्भव मदद का भरोसा राज्यपाल ने दिया है.
आदिवासी युवा जा रहे नक्सलवाद की ओर-राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि आज देश को ऐसे संस्थाओं की जरूरत है. जो भटके हुए युवाओं को नक्सलवाद के रास्ते से विकास के रास्ते में ला सकें. अनुसुइया उइके ने कहा कि मांझी सरकार जैसे संगठन हमारे युवाओं को सही दिशा दे सकते हैं.
खाकी वर्दी में दिखते हैं सैनिक
इस सरकार में 57 आदिवासी समुदाय शामिल थे. आदिवासियों को बकायदा खाका या हरी वर्दी दी गई. साथ ही किसी फौज के सैनिक की तरह बिल्ला और स्टार भी. इनमें तालुका स्तर से लेकर जिला और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पद भी दिए गए. इन सैनिकों के पास अपना-अलग संविधान है, जो असल में कंगला मांझी की किताब 'भारत भूमिका' पर आधारित है. पूरे देश सहित विदेश से यहां सैनिक पहुंचते हैं.