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Chaitra Navratri 2023: दल्ली राजहरा में की जाती है भारत माता की आरती

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Published : Mar 22, 2023, 7:44 AM IST

बालोद जिले के दल्ली राजहरा में हिंदू नववर्ष के स्वागत में सर्व समाज की एकता देखने को मिली है. नगर में भारत माता की आरती की गई और नगर के सभी 27 वार्डों के लगभग 100 स्थानों में एक साथ सवा लाख दीप जलाए गए. इस दौरान पूरा शहर भगवामय हो गया. पाश्चात्य होती संस्कृति को बचाने के लिए राजहरा में यह पहल सर्व समाज समरसता समिति पिछले 8 वर्षों से हिंदू नववर्ष में कर रही है.

Chaitra Navratri 2023
चैत्र नवरात्रि 2023

बालोद: बालोद के दल्ली राजहरा में बीते 8 सालों से हिंदू नववर्ष विशेष तरह से मनाया जा रहा है. यहां पर हर साल भारत माता की आरती का आयोजन चैत्र नवरात्री के दौरान किया जाता है. जिसमें सर्व समाज शामिल होता है. अब इस काम में लोगों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है.

नवरात्रि के एक दिन पूर्व होता है आयोजन: नगर के सर्व समाज समरसता समिति से सत्या साहू और संगीता रजक ने बताया कि "नवरात्रि के दिन से ही हिंदू नववर्ष की शुरु होता है. इस दिशा में लोगों की सोच की जो सोच है उसे बदलने का लक्षय लेकर हम चले हैं. जिसका हमें अच्छा परिणाम मिल रहा है. हिंदू नववर्ष सभी हिन्दुओं के दिलों में बसा होना चाहिए. इसलिए नवरात्रि के एक दिन पहले यह आयोजन होगा है."


निकलेगी भव्य झांकी: सर्व समाज समरसता समिति से नंदा पसीने ने आगे बताया कि "नवरात्रि के प्रथम दिवस राम जी की झांकी के साथ भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है. जिसमें अपने सनातन वेशभूषा के साथ भव्य शोभयात्रा निकाली जाती है. इस चैत्र नवरात्रि भी भव्य तैयारियां की गई है. यह एक प्रयास है, सब को सनातन संस्कृति से जोड़ने का. यहां हर वर्ग, हर समाज पारंपरिक वेशभूषा में नजर आता है और ऊंच नीच बड़ा छोटा का भाव भूलकर सभी एक संकृति के बंधन में बंध जाते हैं."

यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023 : डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी करेगी हर मुराद पूरी

हिन्दू नववर्ष का महत्व: वीणा साहू ने बताया कि "हमारी धर्म और हमारे जो संस्कार हैं वे बेहद प्रचीन समय से चले आ रहे है. आज की जो नई पीढ़ी है वह भटक गयी है. अपने संस्कृति से हमें तो ये भी पता नहीं की हमारा नववर्ष कब से प्रारम्भ होता है. हम तो अंग्रेजों की छोड़ी हुई संस्कृति को अपना कर 31 दिसंबर को नववर्ष समझते थे. परंतु हिंदी केलिन्डर में हमारा नववर्ष का प्रारंभ चैत्रशुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है. हिन्दू नव वर्ष साइंटिफिक एंगल से भी बहुत खास है. जब हिन्दू नव वर्ष शुरु होता है. तब बसंत ऋतु भी दस्तक देता है. चैत्र के महीने और हिन्दू नव वर्ष का पहला त्यौहार मां दुर्गा के स्वागत के साथ किया जाता है."

बालोद: बालोद के दल्ली राजहरा में बीते 8 सालों से हिंदू नववर्ष विशेष तरह से मनाया जा रहा है. यहां पर हर साल भारत माता की आरती का आयोजन चैत्र नवरात्री के दौरान किया जाता है. जिसमें सर्व समाज शामिल होता है. अब इस काम में लोगों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है.

नवरात्रि के एक दिन पूर्व होता है आयोजन: नगर के सर्व समाज समरसता समिति से सत्या साहू और संगीता रजक ने बताया कि "नवरात्रि के दिन से ही हिंदू नववर्ष की शुरु होता है. इस दिशा में लोगों की सोच की जो सोच है उसे बदलने का लक्षय लेकर हम चले हैं. जिसका हमें अच्छा परिणाम मिल रहा है. हिंदू नववर्ष सभी हिन्दुओं के दिलों में बसा होना चाहिए. इसलिए नवरात्रि के एक दिन पहले यह आयोजन होगा है."


निकलेगी भव्य झांकी: सर्व समाज समरसता समिति से नंदा पसीने ने आगे बताया कि "नवरात्रि के प्रथम दिवस राम जी की झांकी के साथ भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है. जिसमें अपने सनातन वेशभूषा के साथ भव्य शोभयात्रा निकाली जाती है. इस चैत्र नवरात्रि भी भव्य तैयारियां की गई है. यह एक प्रयास है, सब को सनातन संस्कृति से जोड़ने का. यहां हर वर्ग, हर समाज पारंपरिक वेशभूषा में नजर आता है और ऊंच नीच बड़ा छोटा का भाव भूलकर सभी एक संकृति के बंधन में बंध जाते हैं."

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हिन्दू नववर्ष का महत्व: वीणा साहू ने बताया कि "हमारी धर्म और हमारे जो संस्कार हैं वे बेहद प्रचीन समय से चले आ रहे है. आज की जो नई पीढ़ी है वह भटक गयी है. अपने संस्कृति से हमें तो ये भी पता नहीं की हमारा नववर्ष कब से प्रारम्भ होता है. हम तो अंग्रेजों की छोड़ी हुई संस्कृति को अपना कर 31 दिसंबर को नववर्ष समझते थे. परंतु हिंदी केलिन्डर में हमारा नववर्ष का प्रारंभ चैत्रशुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है. हिन्दू नव वर्ष साइंटिफिक एंगल से भी बहुत खास है. जब हिन्दू नव वर्ष शुरु होता है. तब बसंत ऋतु भी दस्तक देता है. चैत्र के महीने और हिन्दू नव वर्ष का पहला त्यौहार मां दुर्गा के स्वागत के साथ किया जाता है."

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