बालोद: बालोद जिला में एक पूरा का पूरा गांव ही हड़ताल पर बैठ गया है. जिले के ग्राम पंचायत झलमला के सरकारी जमीन में रसूखदार की ओर से किए गए कब्जे को हटाने की मांग लेकर शुक्रवार को पूरा गांव भूख हड़ताल पर है. झलमला के ग्रामीण और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता सहित पूरा गांव भूख हड़ताल पर है. शुक्रवार को गुस्साए ग्रामीणों ने चक्का जाम किया. इस दौरान कई बसों को रोका गया. मामले में पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.
ये है पूरा मामला: दरअसल, ये पूरा मामला बालोद जिले के झलमला ग्राम पंचायत का है. यहां शुक्रवार सुबह से ही झलमला के ग्रामीण भूख हड़ताल पर बैठ गए. इनका आरोप है कि बालोद शहर के सर्राफा व्यवसायी विकास श्रीमाल ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है. मामले में भूख हड़ताल कर रहे ग्रामीणों ने काफी देर तक विवाद किया. आखिरकार द्विपक्षीय वार्ता के बाद ग्रामीणों ने हड़ताल खत्म किया.
कब्जे की जमीन पर बनी वाटिका: गांव में शासकीय भूमि पर हुए अवैध कब्जे को हटाने की मांग को लेकर बालोद युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने मिलकर प्रदर्शन किया. इस बारे में युवा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष साजन पटेल ने बताया कि "ग्राम झलमला में खसरा क्रमांक 1233/1 रकबा 0.48 हेक्टेयर लगभग डेढ़ एकड़ सरकारी भूमि पर कब्जा करके प्रसन्ना वाटिका बना कर व्यापारी ने अपना कब्जा कर लिया है. इसके खिलाफ हम लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं. जांच में कब्जा पाए जाने के बाद भी अतिक्रमण को खाली नहीं करवाया जा रहा है. जिससे नाराज होकर हम सब भूख हड़ताल पर बैठे हुए थे. प्रशासन से लंबी बातचीत हुई. प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि कल ही जमीन की माप कराई जाएगी. फिर से कब्जाधारी को नोटिस देकर कब्जा खाली करवाया जाएगा. इसके बाद हमने यह हड़ताल कुछ समय के लिए खत्म कर दिया है."
सरकारी जमीन पर कब्जा: इस बारे में झलमला के सरपंच उमा पटेल ने बताया कि, "शासकीय भूमि खसरा क्रमांक 1233/1 में स्थित 0.4800 हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया है. शासकीय रिकॉर्ड में यह जमीन घास मद में दर्ज है. अवैध कब्जे की शिकायत के बाद राजस्व विभाग ने मामले की जांच की है. जांच में शिकायत को सही पाया गया है. राजस्व अमले की लापरवाही के कारण शासन की कीमती जमीन पर आज भी अतिक्रमण है. बार-बार राजस्व अमला जांच और कार्रवाई की बात करती है, पर कब्जा आज भी बरकरार है."
बता दें कि गुस्साए ग्रामीण सुबह से ही हड़ताल पर थे. काफी देर तक चक्काजाम किया गया. कई वाहनों को रोका गया. इसके बाद आखिरकार प्रशासन की समझाइश और भरोसे के बाद ग्रामीणों ने भूख हड़ताल खत्म किया.