बालोद : पूरे छत्तीसगढ़ में दुग्ध क्रांति (Chhattisgarh milk production) में अहम भूमिका निभाने वाली समिति दूधगंगा इन दिनों संकट से जूझ रही है. यहां किसानों को भी लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. अपनी इसी समस्या को लेकर आज दुग्ध उत्पादक किसान एकजुट हुए. किसानों ने गंगा मैया दुग्ध उत्पादन एवं प्रसंस्करण सहकारी समिति के संचालक मंडल को भंग करने तथा फिर से चुनाव के लिए उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं को ज्ञापन सौंपा. बता दें कि गंगा मैया समिति अपनी शाखा दूध गंगा का संचालन करती है.
शाखा में दूध का मूल्य कर दिया गया कम
दूध गंगा का लगातार विकास देखते हुए यहां दूध देने वाले किसानों के लिए दूध का मूल्य बढ़ाया गया था. किसानों से 40 रुपए प्रति लीटर की कीमत में दूध खरीदा जा रहा था. बीते कुछ महीनों से यहां दूध का मूल्य भी घटा दिया गया है. अब दूध की दर 35 रुपए प्रति लीटर कर दी गई है. साथ ही संचालक मंडल के सदस्यों का कहना है कि आने वाले दिनों में दूध का मूल्य और भी कम किया जा सकता है.
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9 लाख का हुआ नुकसान
एक तो यहां दूध की दर घटा दी गई है. वहीं बीते तीन से चार महीनों में करीब 9 लाख रुपए का घाटा भी यहां दर्शाया गया है. किसानों ने बताया कि यहां जिस तरीके से दूध गंगा संचालित किया जा रहा है, उससे दूधगंगा का भविष्य अंधकार में है. बता दें कि इस दूधगंगा के माध्यम से किसानों का दूध खरीदकर उसे प्रोसेसिंग के बाद विभिन्न प्रकार की मिठाई और पनीर के साथ-साथ दूध की पैकिंग भी की जाती है. फायदा होने पर इसे किसानों में भी वितरित किया जाता है.
छत्तीसगढ़ में दूध प्रोडक्शन में मॉडल है बालोद का दूध गंगा
बालोद जिले में बना दूध गंगा पूरे छत्तीसगढ़ में मॉडल बना हुआ है. यहां दूध से विभिन्न प्रकार के मटेरियल बनाए जाते हैं. यहां करीब 50 प्रकार की मिठाइयां बनती हैं. इसके अलावा यहां से दूध की पैकिंग भी की जाती है और किसानों के साथ प्रॉफिट भी शेयर किया जाता है.