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Anganwadi workers Unique protest: बालोद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का अनोखा प्रदर्शन,'बड़ा धोखा हे कका तोर मीठ बोली हा'

बालोद में जिले भर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं हड़ताल पर चली गई हैं. अपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने शुक्रवार को अनोखे ढंग से प्रदर्शन किया. कार्यकर्ताओं ने "कका तोर मीठ बोली हा" गाना गाकर विरोध जताया.

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Published : Feb 10, 2023, 4:58 PM IST

Anganwadi workers Unique protest
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का अनोखा प्रदर्शन
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का अनोखा प्रदर्शन

बालोद: बालोद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाएं अनोखे ढंग से विरोध जता रहीं हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पूरे छत्तीसगढ़ में काका नाम से संबोधित किया जाता है. कार्यकर्ताओं ने उनके नाम का गाना बनाकर गाया और विरोध जताया. गीत के जरिए मुख्यमंत्री से कहा कि "जीते तक कका का शोषण याद रहेगा और बड़ा धोखा हे कका तोर मीठ बोली हा."

22 को विधानसभा घेराव: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता माधुरी रथ ने बताया कि "जब तक सम्मानजनक मानदेय नहीं देंगे तब तक हम लोग हड़ताल जारी रखेंगे. बजट आने के बाद भी अगर सम्मानजनक मानदेय नहीं रहा तो उसके बाद भी हमारी हड़ताल जारी रहेगी. 22 फरवरी को हम विधानसभा घेराव करने के लिए जाएंगे और सरकार को बताएंगे कि हम विधानसभा तक पहुंच चुके हैं."


नियमितीकरण की मांग: बालोद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की हड़ताल से आंगनबाड़ी की व्यवस्थाएं ठप हो गईं हैं. आंगनबाड़ियों में ताला लटका हुआ है. बच्चे भी आंगनबाड़ी नहीं जा रहे हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. ये कलेक्टर दर पर वेतन और नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं.

  1. चुनाव के समय घोषणा पत्र के मुताबिक कलेक्टर दर में वेतन भुगतान किया जाए.
  2. सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन या कार्यकर्ता को 5 लाख रुपए और सहायिका को 3 लाख रुपए एकमुश्त दिया जाए.
  3. रिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के पदों को जल्द भरा जाए.
  4. पोषण ट्रेकर ऐप और दूसरे काम के लिए जब तक मोबाइल इंटरनेट चार्ज का पैसा नहीं दिया जाता है तब तक मोबाइल में काम न कराया जाए.

यह भी पढ़ें: Protest against conversion in Balod: धर्मांतरण पर सियासी दंगल, सर्व सनातन हिंदू पंचायत ने किया हल्ला बोल


1975 से शोषण: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने कहा कि " साल 1975 से हमारा शोषण हो रहा है. हमने हर काम निष्ठा से किया है. शासन की योजनाओं को जमीनी स्तर तक लेकर गए. इधर सरकारें बदलती रहीं लेकिन हमारी मांगों पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया. हमें काम छोड़कर धरने पर बैठना पड़ता है. हम मांग कर रहे हैं कि कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जाए और इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बजट में शामिल किया जाए.''

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का अनोखा प्रदर्शन

बालोद: बालोद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाएं अनोखे ढंग से विरोध जता रहीं हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पूरे छत्तीसगढ़ में काका नाम से संबोधित किया जाता है. कार्यकर्ताओं ने उनके नाम का गाना बनाकर गाया और विरोध जताया. गीत के जरिए मुख्यमंत्री से कहा कि "जीते तक कका का शोषण याद रहेगा और बड़ा धोखा हे कका तोर मीठ बोली हा."

22 को विधानसभा घेराव: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता माधुरी रथ ने बताया कि "जब तक सम्मानजनक मानदेय नहीं देंगे तब तक हम लोग हड़ताल जारी रखेंगे. बजट आने के बाद भी अगर सम्मानजनक मानदेय नहीं रहा तो उसके बाद भी हमारी हड़ताल जारी रहेगी. 22 फरवरी को हम विधानसभा घेराव करने के लिए जाएंगे और सरकार को बताएंगे कि हम विधानसभा तक पहुंच चुके हैं."


नियमितीकरण की मांग: बालोद में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की हड़ताल से आंगनबाड़ी की व्यवस्थाएं ठप हो गईं हैं. आंगनबाड़ियों में ताला लटका हुआ है. बच्चे भी आंगनबाड़ी नहीं जा रहे हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. ये कलेक्टर दर पर वेतन और नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं.

  1. चुनाव के समय घोषणा पत्र के मुताबिक कलेक्टर दर में वेतन भुगतान किया जाए.
  2. सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन या कार्यकर्ता को 5 लाख रुपए और सहायिका को 3 लाख रुपए एकमुश्त दिया जाए.
  3. रिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के पदों को जल्द भरा जाए.
  4. पोषण ट्रेकर ऐप और दूसरे काम के लिए जब तक मोबाइल इंटरनेट चार्ज का पैसा नहीं दिया जाता है तब तक मोबाइल में काम न कराया जाए.

यह भी पढ़ें: Protest against conversion in Balod: धर्मांतरण पर सियासी दंगल, सर्व सनातन हिंदू पंचायत ने किया हल्ला बोल


1975 से शोषण: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने कहा कि " साल 1975 से हमारा शोषण हो रहा है. हमने हर काम निष्ठा से किया है. शासन की योजनाओं को जमीनी स्तर तक लेकर गए. इधर सरकारें बदलती रहीं लेकिन हमारी मांगों पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया. हमें काम छोड़कर धरने पर बैठना पड़ता है. हम मांग कर रहे हैं कि कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जाए और इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बजट में शामिल किया जाए.''

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