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चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों ने ETV भारत से साझा किया अपना दर्द, बोले- 4 महीनों से नहीं मिला वेतन - बालोद कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन

चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि उन्होंने कलेक्टर को अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उनके पास घर के चूल्हे जलाने को भी पैसे नहीं हैं. वे शासकीय आश्रमों में झिल्ली (प्लास्टिक की थैली) बिन कर चूल्हों की आग जलाते हैं.

चतुर्थ वर्ग कर्मचारी
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Published : Aug 13, 2019, 8:50 PM IST

Updated : Aug 14, 2019, 12:15 PM IST

बालोद: जिले के आदिवासी छात्रावास में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर से मिले. उनका आरोप है कि प्रशासन बार-बार अपील के बाद भी उनकी नहीं सुन रही. वहीं कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे आत्महत्या भी कर सकते हैं. वहीं ये कर्मचारी धरना प्रदर्शन करने की भी धमकी दे रहे हैं.

चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों को 4 महीनों से नहीं मिला वेतन

कर्मचारियों ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि उन्होंने कलेक्टर को अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उनके पास घर के चूल्हे जलाने को भी पैसे नहीं हैं. वे शासकीय आश्रमों में झिल्ली (प्लास्टिक की थैली) बिन कर चूल्हों की आग जलाते हैं. कलेक्ट्रेट पहुंची एक महिला ने तो ये तक कह डाला कि उनके पास अब आत्महत्या के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है. लघु वेतन कर्मचारियों ने बताया कि विगत 4-5 महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है.

कर्मचारी भूपेंद्र कुमार चाणक्य ने बताया कि जब कोई पूछता है तो हम बोलते हैं कि सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन वेतन के नाम पर हमें कुछ नहीं मिलता. हमारा वेतन कितना है और हम क्या काम करते हैं ये सोच के खुद को शर्म आ जाता है. कर्मचारी वीरेंद्र कश्यप ने बताया कि हम सब अपना दुख बयान नहीं कर सकते. न तो हमें अवकाश मिलता है और न ही कोई अन्य छुट्टियां. महिला कर्मचारी भुनेश्वरी मरकाम ने बताया कि जिस उम्र के पड़ाव में हम हैं वह उम्र इतनी समस्या झेलने वाली नहीं है. अगर समस्या नहीं सुलझी तो हमारे पास आत्महत्या ही एक मात्र विकल्प बचता है.


कर्मचारियों की प्रमुख मांगे--

  • हर महीने की 5 तारीख तक कर्मचारियों का वेतन भुगतान कर दिया जाए
  • 4 महीने से जो वेतन रुका हुआ है उसका भुगतान किया जाए.
  • सभी कर्मचारियों को समयमान वेतन का लाभ मिले
  • सभी कर्मचारियों को छुट्टियां दी जाए
  • 2014 में नियमित पदों के 35 पद पर आकस्मिक निधि पद के तहत 75 पदों पर सीधी भर्ती के तहत नियुक्ति की गई थी, जिन्हें 5 साल के बाद भी नियमित वेतनमान का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसे दिलाया जाए.
  • छात्रावास और आश्रम में कार्य कर चुके लोगों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जाए.

बालोद: जिले के आदिवासी छात्रावास में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर से मिले. उनका आरोप है कि प्रशासन बार-बार अपील के बाद भी उनकी नहीं सुन रही. वहीं कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे आत्महत्या भी कर सकते हैं. वहीं ये कर्मचारी धरना प्रदर्शन करने की भी धमकी दे रहे हैं.

चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों को 4 महीनों से नहीं मिला वेतन

कर्मचारियों ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि उन्होंने कलेक्टर को अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उनके पास घर के चूल्हे जलाने को भी पैसे नहीं हैं. वे शासकीय आश्रमों में झिल्ली (प्लास्टिक की थैली) बिन कर चूल्हों की आग जलाते हैं. कलेक्ट्रेट पहुंची एक महिला ने तो ये तक कह डाला कि उनके पास अब आत्महत्या के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है. लघु वेतन कर्मचारियों ने बताया कि विगत 4-5 महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है.

कर्मचारी भूपेंद्र कुमार चाणक्य ने बताया कि जब कोई पूछता है तो हम बोलते हैं कि सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन वेतन के नाम पर हमें कुछ नहीं मिलता. हमारा वेतन कितना है और हम क्या काम करते हैं ये सोच के खुद को शर्म आ जाता है. कर्मचारी वीरेंद्र कश्यप ने बताया कि हम सब अपना दुख बयान नहीं कर सकते. न तो हमें अवकाश मिलता है और न ही कोई अन्य छुट्टियां. महिला कर्मचारी भुनेश्वरी मरकाम ने बताया कि जिस उम्र के पड़ाव में हम हैं वह उम्र इतनी समस्या झेलने वाली नहीं है. अगर समस्या नहीं सुलझी तो हमारे पास आत्महत्या ही एक मात्र विकल्प बचता है.


कर्मचारियों की प्रमुख मांगे--

  • हर महीने की 5 तारीख तक कर्मचारियों का वेतन भुगतान कर दिया जाए
  • 4 महीने से जो वेतन रुका हुआ है उसका भुगतान किया जाए.
  • सभी कर्मचारियों को समयमान वेतन का लाभ मिले
  • सभी कर्मचारियों को छुट्टियां दी जाए
  • 2014 में नियमित पदों के 35 पद पर आकस्मिक निधि पद के तहत 75 पदों पर सीधी भर्ती के तहत नियुक्ति की गई थी, जिन्हें 5 साल के बाद भी नियमित वेतनमान का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसे दिलाया जाए.
  • छात्रावास और आश्रम में कार्य कर चुके लोगों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जाए.
Intro:बालोद।

आदिवासी छात्रावास में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपने विभिन्न समस्या लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे जहां समस्या लेकर आए कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि सरसरी तौर पर हमने अपनी समस्या तो बताई परंतु गंभीरता से नहीं लिया गया है और हमें उल्टा कहते हैं कि 8000 रुपये मिल रहा है आप सबके लिए बहुत है साथ ही एक कर्मचारी ने कहा कि हम शासकीय आश्रमों में झिल्ली बिन कर चूल्हों की आग जलाते हैं और एक महिला ने तो यह भी कह डाला कि अब हमारे पास केवल आत्महत्या का विकल्प बचता है जिलाध्यक्ष ने कहा कि अब अब शासन और अनिश्चित कालीन अवकाश पर जाकर अपनी मांग रखेंगे।




Body:वीओ - शासकीय लघु वेतन चतुर्थ वर्ग कर्मचारी जब अपनी समस्या लेकर आए तो ऐसी कई बातें सामने आई जिससे वे खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं आलम तो यह है कि झिल्ली से इनके आश्रमों के चूल्हे जलते हैं उन्हें आग जलाने के लिए इंस्ट्रूमेंट भी नहीं दिया जाता एक महिला की मानें तो थक गए हैं इंतजार कर कर के कुछ ना मिला तो आत्महत्या ही बेहतर विकल्प हो सकता है।

वीओ - लघु वेतन कर्मचारियों ने बताया कि विगत 5 माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है जिसके चलते वे काफी परेशान हैं वेतनमान की बात कही गई थी जिसका कोई प्रगति होता नजर नहीं आ रहा है इस तरह की 13 विषयों पर भी अपनी समस्या लेकर पहुंचे हुए थे परंतु उनका आरोप है कि प्रशासन द्वारा उनकी समस्या को नहीं सुना गया।

वीओ - कर्मचारी भूपेंद्र कुमार चाणक्य ने बताया कि कोई पूछता है तो बोलते हैं सरकारी नौकरी में है परंतु खुद पर शर्म आता है कि हमारा वेतन कितना है और हम कार्य क्या करते हैं झिल्ली से हम चूल्हे जलाते हैं इससे बुरी बात क्या हो सकती है जब अपनी समस्या लेकर आए हैं तो वह बोलते हैं 8000 मिल रहे हैं यह आप सब के लिए काफी ज्यादा है महिला कर्मचारी भुनेश्वरी मरकाम ने बताया कि जिस उम्र के पड़ाव में हम हैं वह उम्र इतनी समस्या झेलने का नहीं है अगर समस्या नहीं सुलझी तो आत्महत्या मात्र ही हमारा विकल्प बचता है।

वीओ - वीरेंद्र कश्यप ने बताया कि हम सब व्यथा बखान नहीं कर सकते अवकाश मिलता नहीं और भी कई सारी सुविधाएं हैं जिनसे हम सब वंचित हैं इसी तरह प्रत्येक कर्मचारी ने भी अपनी-अपनी समस्याएं बताई।


Conclusion:वीओ - फिलहाल इनकी समस्याओं का निदान होता नहीं दिख रहा है इनकी प्रमुख मांगों में शामिल है कि प्रत्येक माह की 5 तारीख तक कर्मचारियों का वेतन भुगतान कर दिया जाए और 4 माह का वेतन जो रुका है उसे भी भुगतान किया जाए एवं सभी कर्मचारियों को समयमान वेतन का लाभ मिले साथ ही इन्हें छुट्टियां भी मिलनी चाहिए 2014 में नियमित पदों के 35 पद पर आकस्मिक निधि पद के तहत 75 पदों पर सीधी भर्ती के तहत नियुक्ति की गई थी 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें नियमित वेतनमान का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसे दिलाया जाए एवं छात्रावास एवं आश्रम में कार्य कर चुके लोगों को नियुक्ति में प्राथमिकता नहीं दिया गया है जिसे देना चाहिए।


बाइट - परशु राम धनेंद्र, जिलाध्यक्ष, लघु वेतन शाशकीय चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ

बाइट - वीरेंद्र कश्यप, चतुर्थ वर्ग कर्मचारी

बाइट - भूपेंद्र कुमार चाणक्य, कर्मचारी

बाइट - भुनेश्वरी मरकाम, महिला कर्मचारी

बाइट -
Last Updated : Aug 14, 2019, 12:15 PM IST
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