बालोद: जिले के आदिवासी छात्रावास में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर से मिले. उनका आरोप है कि प्रशासन बार-बार अपील के बाद भी उनकी नहीं सुन रही. वहीं कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे आत्महत्या भी कर सकते हैं. वहीं ये कर्मचारी धरना प्रदर्शन करने की भी धमकी दे रहे हैं.
कर्मचारियों ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि उन्होंने कलेक्टर को अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उनके पास घर के चूल्हे जलाने को भी पैसे नहीं हैं. वे शासकीय आश्रमों में झिल्ली (प्लास्टिक की थैली) बिन कर चूल्हों की आग जलाते हैं. कलेक्ट्रेट पहुंची एक महिला ने तो ये तक कह डाला कि उनके पास अब आत्महत्या के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है. लघु वेतन कर्मचारियों ने बताया कि विगत 4-5 महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है.
कर्मचारी भूपेंद्र कुमार चाणक्य ने बताया कि जब कोई पूछता है तो हम बोलते हैं कि सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन वेतन के नाम पर हमें कुछ नहीं मिलता. हमारा वेतन कितना है और हम क्या काम करते हैं ये सोच के खुद को शर्म आ जाता है. कर्मचारी वीरेंद्र कश्यप ने बताया कि हम सब अपना दुख बयान नहीं कर सकते. न तो हमें अवकाश मिलता है और न ही कोई अन्य छुट्टियां. महिला कर्मचारी भुनेश्वरी मरकाम ने बताया कि जिस उम्र के पड़ाव में हम हैं वह उम्र इतनी समस्या झेलने वाली नहीं है. अगर समस्या नहीं सुलझी तो हमारे पास आत्महत्या ही एक मात्र विकल्प बचता है.
कर्मचारियों की प्रमुख मांगे--
- हर महीने की 5 तारीख तक कर्मचारियों का वेतन भुगतान कर दिया जाए
- 4 महीने से जो वेतन रुका हुआ है उसका भुगतान किया जाए.
- सभी कर्मचारियों को समयमान वेतन का लाभ मिले
- सभी कर्मचारियों को छुट्टियां दी जाए
- 2014 में नियमित पदों के 35 पद पर आकस्मिक निधि पद के तहत 75 पदों पर सीधी भर्ती के तहत नियुक्ति की गई थी, जिन्हें 5 साल के बाद भी नियमित वेतनमान का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसे दिलाया जाए.
- छात्रावास और आश्रम में कार्य कर चुके लोगों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जाए.