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बालोद: अंग्रेजों का बनाया यह पुल गिरा तो होगा भारी नुकसान - इंजीनियरिंग का अनोखा उदाहरण

100 साल पहले तांदुला जलाशय से निकलने वाली नहर पर बना पुल जर्जर हो गया है. पुल से तेजी से पानी का रिसाव हो रहा है. जिसके कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

100 साल पहले अंग्रेजों का बनाया पुल
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Published : Oct 12, 2019, 8:28 PM IST

Updated : Oct 12, 2019, 11:57 PM IST

बालोद: तांदुला जलाशय से निकलने वाली नहर पर अंग्रेजों के जमाने में बना पुल जर्जर हो गया है. पुल की दीवारों से पानी का रिसाव हो रहा है. जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा मंडरा रहा है.

अंग्रेजों का बनाया यह पुल गिरा तो होगा भारी नुकसान

इसी नहर से भिलाई इस्पात संयंत्र को भी पानी दिया जाता है. अगर पुल को किसी तरह का नुकसान हुआ तो भिलाई संयंत्र को भारी नुकसान हो सकता है. यहां से हर रोज सैकड़ों गाड़ियां गुजरती है, जिससे हमेशा खतरे की आशंका बनी है. पुल के दोनों तरह सुरक्षा के लिए लगाई गई रेलिंग भी टूट चुकी है.

बेहतरीन कारीगरी और इंजीनियरिंग का उदाहरण
नहर पर जगतरा गांव के पास बना यह पुल तांदुला जलाशय के साथ ही करीब 100 साल पहले अंग्रेजों के शासन में बनाया गया था. यह पुल बेहतरीन कारीगरी और वास्तुकला का नमुना माना जाता है.


पुल निर्माण का निर्माण ऐसे किया गया है, जिसे देख कोई नहीं बता सकता है कि एक पुल के नीचे से 2 नहरें एक साथ बहती हों. जबकि पुल से 2 नहरें निकली है, इसमें एक नहर भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए जाती है.

पढ़ें : सिमी आतंकी की गिरफ्तारी पर CM भूपेश ने दी पुलिस को बधाई

लापरवाही का नतीजा है पुल का जर्जर होना
अंग्रेज शासन के इंजीनियरों ने इस पुल के जरिए बेहतरीन इंजीनियरींग का उदाहरण पेश किया है, लेकिन प्रशासन ने अब तक इस प्राचीन पुल को बचाने के लिए कोई पहल नहीं की है. आज यह पुल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

बालोद: तांदुला जलाशय से निकलने वाली नहर पर अंग्रेजों के जमाने में बना पुल जर्जर हो गया है. पुल की दीवारों से पानी का रिसाव हो रहा है. जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा मंडरा रहा है.

अंग्रेजों का बनाया यह पुल गिरा तो होगा भारी नुकसान

इसी नहर से भिलाई इस्पात संयंत्र को भी पानी दिया जाता है. अगर पुल को किसी तरह का नुकसान हुआ तो भिलाई संयंत्र को भारी नुकसान हो सकता है. यहां से हर रोज सैकड़ों गाड़ियां गुजरती है, जिससे हमेशा खतरे की आशंका बनी है. पुल के दोनों तरह सुरक्षा के लिए लगाई गई रेलिंग भी टूट चुकी है.

बेहतरीन कारीगरी और इंजीनियरिंग का उदाहरण
नहर पर जगतरा गांव के पास बना यह पुल तांदुला जलाशय के साथ ही करीब 100 साल पहले अंग्रेजों के शासन में बनाया गया था. यह पुल बेहतरीन कारीगरी और वास्तुकला का नमुना माना जाता है.


पुल निर्माण का निर्माण ऐसे किया गया है, जिसे देख कोई नहीं बता सकता है कि एक पुल के नीचे से 2 नहरें एक साथ बहती हों. जबकि पुल से 2 नहरें निकली है, इसमें एक नहर भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए जाती है.

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लापरवाही का नतीजा है पुल का जर्जर होना
अंग्रेज शासन के इंजीनियरों ने इस पुल के जरिए बेहतरीन इंजीनियरींग का उदाहरण पेश किया है, लेकिन प्रशासन ने अब तक इस प्राचीन पुल को बचाने के लिए कोई पहल नहीं की है. आज यह पुल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

Intro:बालोद।

बालोद जिले की जीवनदायिनी जलाशय से भिलाई इस्पात संयंत्र को पानी दिया जाता है और एक नहर के माध्यम से यहां का पानी भिलाई को जाता है जिसका निर्माण अंग्रेज शासन काल मे हुआ था इसी नहर में ग्राम जगतरा के समीप एक विशालकाय बेहतरीन नक्कासी वाली पुल नज़र आती है जिसकी बनावट अपने आप मे अद्वितीय है शायद ही प्रदेश में इस तरह का कोई और पुल हो पर आज यह पुल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है इसका देखरेख करने वाला कोई नही है यहां से तेजी से पानी का रिसाव हो रहा है यहां से रोजाना सैकड़ो गाड़िया गुजरती है पर सुरक्षा के लिए लगाए रेलिंग टूट कर गायब हो चुके हैं और तो और रेलिंग भी नहीं लगाई जा रही है।


Body:वीओ - इस पुल के बारे में जब हम खोज करने निकले तो सही सही जानकारी तो नहीं मिल पाई पत्थरों में खुद कर जो इसके निर्माण की तारीख और इसकी विशेषताएं लिखी गई थी वह भी मिट गया है परंतु तांदुला के निर्माण के साथ ही इस नहर का भी निर्माण हुआ था तांदुला को 100 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि इस पुल का निर्माण भी लगभग 100 वर्ष पहले हुआ रहा होगा भिलाई जैसे संयंत्र को यह मुख्य रूप से जुड़ता है अगर पानी की सप्लाई इस नहर से बाधित हो तो भारी औद्योगिक नुकसान हो सकता है मौजूद इसके इसके निर्माण को लेकर अब तक कोई विशेष पहल नहीं की गई जिसके कारण आसपास के ग्रामीण खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

वीओ - इस पुल की यह खासियत है कि नीचे से देखें तो अंदाजा नहीं लगा सकते कि ऊपर क्या होगा और ऊपर से यदि देखें तो यह बिल्कुल भी नहीं सोच सकते कि नीचे से भी एक नहर गुजरती है एक नहर ऊपर से गुजरती है और एक नहर नीचे से इस तरह दो नहर इस पुल पर माध्यम से गुजरते हैं परंतु दोनों अपने अपने क्षेत्रों में अलग है ऊपर से नीचे दिखाई नहीं होता और नीचे से ऊपर।

वीओ - अंग्रेज के इंजीनियरों द्वारा स्कूल का निर्माण करने की बात कही जाती है परंतु स्थानीय प्रशासन द्वारा इसके जीर्णोद्धार को लेकर अब तक कोई विशेष पहल नहीं किया गया यह पूरा अपने आप में एक धरोहर है जिसकी रक्षा करनी चाहिए परंतु आज तो प्रशासन नहीं शेख खतरों की भी छोड़ दिया है और लोग जान जोखिम में डालकर इसे पार करते हैं


Conclusion:तुम काफी जर्जर हो गया है रेलिंग टूट गया है और तो और यहां से पानी का रिसाव भी होने लगा जिससे उम्मीद लगाई जा सकती कि तुम कितना टाइम है बावजूद इसके रिपेयरिंग को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जब तुम अपने आप में एक अद्वितीय है इस पुल के नीचे से जहां एक नहर गुजरता है तो ऊपर से भी एक नहर गुजरती है।

पीटीसी - दानवीर साहू, ईटीवी भारत
Last Updated : Oct 12, 2019, 11:57 PM IST
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