बलरामपुर: रामानुजगंज में शुक्रवार को ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को वट सावित्री व्रत मनाया गया. शहर के कन्हर नदी के तट पर प्राचीन वट वृक्ष की पूजा करने सुबह से ही बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचीं. वट वृक्ष की पूजा कर महिलाएं अपने पति के लंबे उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. वट सावित्री व्रत के मौके पर सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबे उम्र के लिए उपवास रखती हैं. फिर वट यानी कि बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत का सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व होता है.
वट सावित्री पूजा का महत्व: रामानुजगंज में कन्हर नदी के तट पर प्राचीन वट वृक्ष और शिव जी का मंदिर है. यहां पर पूजा करने के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाएं पहुंच रही हैं. यहां पर पंडित महिलाओं को वट वृक्ष की पूजा करा रहे हैं और वट सावित्री की कथा भी सुना रहे हैं. यह व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है. सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए पेड़ में कच्चा सूत बांधती हैं.
वट वृक्ष की होती है पूजा: वट सावित्री व्रत के दिन, सुहागिन महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष में भगवान ब्रम्हा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है. यही कारण है कि वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने और व्रत कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसलिए बरगद को देव वृक्ष भी कहा जाता है.