ETV Bharat / state

छत्तीसगढ़ के गांवों में कैसे ठेकेदार कर रहे हैं खेल ? ग्रामीणों का जानिए दर्द

author img

By

Published : Oct 4, 2020, 8:52 AM IST

Updated : Oct 4, 2020, 11:13 AM IST

बलरामपुर के ग्राम पंचायत खटवाबरदर में ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर निर्माण की स्वीकृति तो मिली, लेकिन ठेकेदारों ने इनके घरों को अधूरा ही छोड़ दिया. जिसकी वजह से ये गरीब टूटे और अधूरे मकानों में ही रहने को मजबूर हैं.

balrampur pm awas yojana
बलरामपुर के ग्राम पंचायत खटवाबरदर में ग्रामीण परेशान

बलरामपुर: सिर पर छत की जरूरत हर किसी को होती है, लेकिन ग्राम पंचायत खटवाबरदर में रहने वाले ग्रामीण अपने आशियाने के इंतजार में बैठे हुए हैं. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना बलरामपुर में दम तोड़ती नजर आ रही है. सरकार ने हर परिवार को छत देने का सपना लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी.योजना ने तो खूब वाहवाही लूटी लेकिन धरातल में इसका हाल कुछ और ही कहानी बयां करता है.

बलरामपुर के ग्राम पंचायत खटवाबरदर में ग्रामीण परेशान

जिले के ग्राम पंचायत खटवाबरदर में ग्रामीण के आवास निर्माण के लिए सरकार ने पैसे तो भेज दिए, लेकिन यहां ठेकेदारों ने फर्जीवाड़ा कर दस्तावेजों में घरों का निर्माण होना दिखाया और असल में घर का निर्माण अधूरा छोड़कर पैसे लेकर भाग निकले. परेशान ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत प्रतिनिधियों और कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से आज उनके घर का निर्माण अधूरा है. पहले ही कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जुझ रहे ग्रामीणों को अब अपने घरौंदे के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है.

दरअसल साल 2016-17 में ग्राम पंचायत के करीब 6 ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनाने की स्वीकृति मिली थी. जानकारी के मुताबिक सरपंच सचिव ने आवास निर्माण का काम ठेकेदार को सौंपा, लेकिन ठेकेदार ने अपनी मनमानी से घर बनाए बिना ही खाते में निर्माण के लिए आई राशि को निकाल लिया और सिर्फ कागजों में घरों के निर्माण को पूरा बता दिया. अधूरे घर निर्माण की वजह से इन ग्रामीणों को अब कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ठेकेदारों ने किया फर्जीवाड़ा !

ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कलेक्टर और जिला पंचायत CEO को की. ग्रामीणों की शिकायत के बाद अधिकारियों ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए. जांच टीम जब गांव पहुंची, तो वह भी हैरान रह गए. जांच करने पहुंचे अधिकारियों ने देखा की दस्तावेज में घरों का निर्माण पूरा दर्शाया गया है. कागज के मुताबिक घर निर्माण के लिए पूरे पैसे निकाल लिए गए. मौके पर जब अधिकारियों ने ग्रामीणों का घर देखा, तो घर अधूरे थे. कोई घर प्लिंथ लेवल तक बना हुआ है, तो कुछ डोर लेवल तक. अधूरा बना हुआ घर कई जगहों से टूटने भी लगा है. ग्रामीणों को घरों की स्वीकृति मिलने के बाद भी वे टूटे मकान में रहने को मजबूर हैं.

पढ़ें- SPECIAL: ठंडे बस्ते में प्रधानमंत्री आवास योजना, न मिली किस्त और न बन पाया मकान

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने आवासों की हालत देखकर अधिकारियों ने गांव में पंचायत लगाई और सभी हितग्राहियों के बयान दर्ज किए. अधिकारियों ने ठेकेदारों को जमकर फटकार भी लगाई. जांच में ये भी पाया गया कि ठेकेदारों ने मस्टररोल में 84 दिन की मजदूरी भी भर दी है और उसे कंपलीट कर लिया है. जबकि मजदूरों को एक रुपए भी नहीं दिया गया है. ग्रामीण अब इस मामले में कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें- रायगढ़: हितग्राहियों को नहीं मिल रहा आवास योजना का लाभ, शासन से मदद की गुहार

गांव में जांच के लिए पहुंचे जिला पंचायत के APO ने बताया कि इस मामले में बारीकी से जांच की जा रही है, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल ये देखने वाली बात होगी की पीड़ित ग्रामीणों को कब तक उनका घर बनकर मिल जाएगा और कब उनके पक्के मकान में रहने का सपना पूरा होगा.

सरकारें आती हैं और चली जाती हैं. लेकिन ग्रामीण अंचलों में विकास के जमीनी स्तर की बात की जाए, तो हालात रोजाना बद से बदतर होते जाते हैं. लोग उम्मीद करते हैं कि नई सरकार उनके लिए विकास की नई किरण बनकर आई है, लेकिन नेता-मंत्रियों के दावे और वादे दोनों ही खोखले नजर आते हैं.

बलरामपुर: सिर पर छत की जरूरत हर किसी को होती है, लेकिन ग्राम पंचायत खटवाबरदर में रहने वाले ग्रामीण अपने आशियाने के इंतजार में बैठे हुए हैं. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना बलरामपुर में दम तोड़ती नजर आ रही है. सरकार ने हर परिवार को छत देने का सपना लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी.योजना ने तो खूब वाहवाही लूटी लेकिन धरातल में इसका हाल कुछ और ही कहानी बयां करता है.

बलरामपुर के ग्राम पंचायत खटवाबरदर में ग्रामीण परेशान

जिले के ग्राम पंचायत खटवाबरदर में ग्रामीण के आवास निर्माण के लिए सरकार ने पैसे तो भेज दिए, लेकिन यहां ठेकेदारों ने फर्जीवाड़ा कर दस्तावेजों में घरों का निर्माण होना दिखाया और असल में घर का निर्माण अधूरा छोड़कर पैसे लेकर भाग निकले. परेशान ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत प्रतिनिधियों और कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से आज उनके घर का निर्माण अधूरा है. पहले ही कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जुझ रहे ग्रामीणों को अब अपने घरौंदे के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है.

दरअसल साल 2016-17 में ग्राम पंचायत के करीब 6 ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनाने की स्वीकृति मिली थी. जानकारी के मुताबिक सरपंच सचिव ने आवास निर्माण का काम ठेकेदार को सौंपा, लेकिन ठेकेदार ने अपनी मनमानी से घर बनाए बिना ही खाते में निर्माण के लिए आई राशि को निकाल लिया और सिर्फ कागजों में घरों के निर्माण को पूरा बता दिया. अधूरे घर निर्माण की वजह से इन ग्रामीणों को अब कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ठेकेदारों ने किया फर्जीवाड़ा !

ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कलेक्टर और जिला पंचायत CEO को की. ग्रामीणों की शिकायत के बाद अधिकारियों ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए. जांच टीम जब गांव पहुंची, तो वह भी हैरान रह गए. जांच करने पहुंचे अधिकारियों ने देखा की दस्तावेज में घरों का निर्माण पूरा दर्शाया गया है. कागज के मुताबिक घर निर्माण के लिए पूरे पैसे निकाल लिए गए. मौके पर जब अधिकारियों ने ग्रामीणों का घर देखा, तो घर अधूरे थे. कोई घर प्लिंथ लेवल तक बना हुआ है, तो कुछ डोर लेवल तक. अधूरा बना हुआ घर कई जगहों से टूटने भी लगा है. ग्रामीणों को घरों की स्वीकृति मिलने के बाद भी वे टूटे मकान में रहने को मजबूर हैं.

पढ़ें- SPECIAL: ठंडे बस्ते में प्रधानमंत्री आवास योजना, न मिली किस्त और न बन पाया मकान

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने आवासों की हालत देखकर अधिकारियों ने गांव में पंचायत लगाई और सभी हितग्राहियों के बयान दर्ज किए. अधिकारियों ने ठेकेदारों को जमकर फटकार भी लगाई. जांच में ये भी पाया गया कि ठेकेदारों ने मस्टररोल में 84 दिन की मजदूरी भी भर दी है और उसे कंपलीट कर लिया है. जबकि मजदूरों को एक रुपए भी नहीं दिया गया है. ग्रामीण अब इस मामले में कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें- रायगढ़: हितग्राहियों को नहीं मिल रहा आवास योजना का लाभ, शासन से मदद की गुहार

गांव में जांच के लिए पहुंचे जिला पंचायत के APO ने बताया कि इस मामले में बारीकी से जांच की जा रही है, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल ये देखने वाली बात होगी की पीड़ित ग्रामीणों को कब तक उनका घर बनकर मिल जाएगा और कब उनके पक्के मकान में रहने का सपना पूरा होगा.

सरकारें आती हैं और चली जाती हैं. लेकिन ग्रामीण अंचलों में विकास के जमीनी स्तर की बात की जाए, तो हालात रोजाना बद से बदतर होते जाते हैं. लोग उम्मीद करते हैं कि नई सरकार उनके लिए विकास की नई किरण बनकर आई है, लेकिन नेता-मंत्रियों के दावे और वादे दोनों ही खोखले नजर आते हैं.

Last Updated : Oct 4, 2020, 11:13 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.