बलरामपुर: जिले के शंकरगढ़ विकासखंड के डीपाडीखुर्द वन परिक्षेत्र में कोरवा जनजाति के लोगों को गलत ढंग से वन भूमि पट्टा दिए जाने का विरोध हो रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि 10 से 25 डिसमिल तक वन भूमि अधिकार पट्टा देने के बदले ग्रामीणों को 2 हेक्टेयर जमीन का पट्टा दे दिया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच सचिव के दबाव से वन समिति के पूर्व अध्यक्ष ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया है.
जजिमा के ग्रामीणों ने इस संबंध में शंकरगढ़ वन परिक्षेत्राधिकारी के नाम ज्ञापन सौंपा है. जिसमें लिखा है कि वन समिति के पूर्व अध्यक्ष को धोखे में रखकर सरपंच सचिव की ओर से कोरवा जनजाति के लोगों को वन भूमि पट्टा के लिए गलत जानकारी बनाकर भेजा गया और 10-20 डिसमिल की जगह 2 हेक्टेयर का पट्टा बना दिया गया है. ग्रामीणों ने वन विभाग पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं कि वन विभाग ने ऐसे भूमि को पट्टा में शामिल किया है जिसमें बड़े-बड़े पेड़ कई वर्षों से लगे हैं. जिसे लगातार काटा जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग ने भी पट्टे के लिए दी जा रही जमीन की जांच नहीं की है और जंगलों को ही कोरवा जनजाति के लोगों को सौंप दिया है.
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बगैर परिसीमन के सौंपा गया पट्टा: ग्रामीण
ग्रामीणों का आरोप है कि बगैर किसी परिसीमन के वन पट्टा सौंपा गया है. साथ ही जंगल को भी काटा जा रहा है. ग्रामीणों का ये भी कहना है कि रात के अंधेरे में ट्रैक्टर के जरिए वन भूमि की जुताई कर खेत में तब्दील किया जा रहा है. जिस पर वन विभाग मूकदर्शक बनकर पूरे वनों को काटे जाने का तमाशा देख रहा है.
दोषियों पर होगी कार्रवाई: संतोष पांडेय
शंकरगढ़ वन परिक्षेत्र के रेंजर संतोष पांडेय ने बताया कि ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर लिखित में शिकायत दी है. जिस पर हम उच्च अधिकारियों को संज्ञान में लाकर दिए गए वन अधिकार पट्टा के संबंध में तत्काल जांच कराएंगे. इस दौरान जो भी अधिकारी या कर्मचारी मामले में दोषी पाया जाऐगा उस कार्रवाई भी की जाएगी.