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गौशाला में पाठशाला, हाय रे शिक्षा का हाल, बदबू में पढ़ने को मजबूर नौनिहाल

बलरामपुर में स्कूल के लिए भवन नहीं होने के कारण गौशाला में पढ़ने को मजबूर छात्र- छात्राएं

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Published : Mar 1, 2019, 11:08 AM IST

बलरामपुर: गौशाला में पाठशाला, ये सुनने में आपको अजीब लग रहा होगा लेकिन ये इस गांव और यहां के मासूमों की हकीकत है. गाय के लिए लगे खूंटे और लकड़ी का बना ये कमरा बताता है कि ये मवेशियों की रहने की जगह है. लेकिन आप जान कर चौंक जाएंगे कि यहां मवेशियों के साथ बच्चे भी बैठते हैं.

वीडियो


जिले के जनपद पंचायत शंकरगढ़ के देव सारा गांव में संचालित स्कूल में देश का भविष्य गढ़ने को तैयार नौनिहालों को पढ़ने के लिए क्लासरूम नसीब नहीं है. यहां पिछले 22 सालों से कक्षाएं गौशाला में लगाई जा रही है. सुविधाओं के अभाव में नौनिहालों गौशाला की दुर्गंध के बीच पढ़ने को मजबूर हैं. इस स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातार बच्चे पहाड़ी कोरवा के हैं. स्कूल न होने के कारण गौशाला में पहली से पांचवी तक सभी बच्चों को साथ बैठा कर पढ़ाया जाता है.

प्रशासनिक अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
स्कूल में पढ़ाने के लिए यहां दो शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. शिक्षकों ने कई बार असुविधाओं की जानकारी प्रशासन को दी है, लेकिन आज तक कोई प्रशासनिक अधिकारी इसे देखने नहीं आया. शिक्षकों की मानें तो उन्हें स्कूल का संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

जर्जर हालत में है स्कूल के लिए बनाए गए भवन
शिक्षकों ने बताया कि साल 2013 में यहां एक स्कूल भवन का निर्माण जरूर किया गया था जो कभी भी गिर सकता है. स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. स्कूल की ऐसी हालत देखते हुए शिक्षकों ने उसका हैंडओवर नहीं लिया. गांव में दूसरा कोई स्कूल नहीं है. बच्चों के परिजन मजबूरी में बच्चों को यहां पढ़ने भेजते हैं.

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बच्चों की सेहत पर पड़ रहा असर
परिजनों की मानें तो गाय के कोठार में स्कूल लगने से काफी बदबू आती है जिससे बच्चों की सेहत पर असर पड़ रहा है. वहीं मामले में अधिकारी का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. ईटीवी भारत के माध्यम से छात्र- छात्राएं अपने लिए स्कूल की मांग कर रहे हैं.

बलरामपुर: गौशाला में पाठशाला, ये सुनने में आपको अजीब लग रहा होगा लेकिन ये इस गांव और यहां के मासूमों की हकीकत है. गाय के लिए लगे खूंटे और लकड़ी का बना ये कमरा बताता है कि ये मवेशियों की रहने की जगह है. लेकिन आप जान कर चौंक जाएंगे कि यहां मवेशियों के साथ बच्चे भी बैठते हैं.

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जिले के जनपद पंचायत शंकरगढ़ के देव सारा गांव में संचालित स्कूल में देश का भविष्य गढ़ने को तैयार नौनिहालों को पढ़ने के लिए क्लासरूम नसीब नहीं है. यहां पिछले 22 सालों से कक्षाएं गौशाला में लगाई जा रही है. सुविधाओं के अभाव में नौनिहालों गौशाला की दुर्गंध के बीच पढ़ने को मजबूर हैं. इस स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातार बच्चे पहाड़ी कोरवा के हैं. स्कूल न होने के कारण गौशाला में पहली से पांचवी तक सभी बच्चों को साथ बैठा कर पढ़ाया जाता है.

प्रशासनिक अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
स्कूल में पढ़ाने के लिए यहां दो शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. शिक्षकों ने कई बार असुविधाओं की जानकारी प्रशासन को दी है, लेकिन आज तक कोई प्रशासनिक अधिकारी इसे देखने नहीं आया. शिक्षकों की मानें तो उन्हें स्कूल का संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

जर्जर हालत में है स्कूल के लिए बनाए गए भवन
शिक्षकों ने बताया कि साल 2013 में यहां एक स्कूल भवन का निर्माण जरूर किया गया था जो कभी भी गिर सकता है. स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. स्कूल की ऐसी हालत देखते हुए शिक्षकों ने उसका हैंडओवर नहीं लिया. गांव में दूसरा कोई स्कूल नहीं है. बच्चों के परिजन मजबूरी में बच्चों को यहां पढ़ने भेजते हैं.

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बच्चों की सेहत पर पड़ रहा असर
परिजनों की मानें तो गाय के कोठार में स्कूल लगने से काफी बदबू आती है जिससे बच्चों की सेहत पर असर पड़ रहा है. वहीं मामले में अधिकारी का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. ईटीवी भारत के माध्यम से छात्र- छात्राएं अपने लिए स्कूल की मांग कर रहे हैं.

Intro:गौशाला में स्कूल भवन।


Body:एंकर-- छत्तीसगढ़ प्रदेश में पिछले 15 सालों मैं अनगिनत स्कूल का निर्माण हुआ है लेकिन आज भी कई ऐसे स्कूल हैं जो भवन के लिए तरस रहे हैं और उन्हें गौशाला में लगाया जा रहा है बलरामपुर जिले में भी एक ऐसा ही स्कूल है जो पिछले 22 सालों से भवन के अभाव में गौशाला में लगाए जा रहा है यहां पढ़ने तो आते हैं लेकिन अगर स्कूल की स्थिति देख ले तो किसी को भी शिक्षा व्यवस्था पर स्वर्ग आ जाएगा कैसे पढ़ते हैं यहां बच्चे और कैसी शिक्षा व्यवस्था गौशाला के दुर्गंध से किस हालत में बैठकर पढ़ते हैं यहां के बच्चे देखिए यह खास रिपोर्ट
गाय का पठार और उसके बगल में पढ़ रहे नौनिहाल यह दृश्य है बलरामपुर जिले के जनपद पंचायत शंकरगढ़ के ग्राम देव सारा का साल 1996 97 में यहां स्कूल लगना शुरू हुआ था और तभी से यहां का स्कूल एक गौशाला में लग रहा है यहां बच्चों की संख्या भी अच्छी है और शिक्षकों की भी पोस्टिंग है इस स्कूल में पढ़ने वाले पहाड़ी कोरबा के बच्चे पढ़ते हैं लेकिन यहां भवन नहीं है मजबूरी में यहां के शिक्षक गाय के कोठार में ही स्कूल लगा रहे हैं और बच्चों को पढ़ा रहे हैं पहली से पांचवी तक सभी बच्चों को एक साथ ही बैठा कर पढ़ाई जाता है यहां पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं ने बताया कि रोजाना स्कूल आते हैं और बड़े होकर टीचर बनना चाहते हैं लेकिन इस स्कूल में पढ़ कर वह कैसे अपना भविष्य संभालेंगे ईटीवी भारत के माध्यम से स्कूल की मांग कर रहे हैं देवरा में लगने वाले स्कूल पिछले 22 सालों से इसी तरह संचालित है यहां 2 शिक्षकों की पोस्टिंग है और रोजाना आकर स्कूल का संचालन करते हैं गौशाला में इसको लगाने के जानकारी उन्हें अपने सभी अधिकारियों को दिया है लेकिन आज तक कोई अधिकारी इसे देखने नहीं पहुंचे शिक्षकों की मानें तो उन्हें स्कूल का संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है बच्चे रोजाना स्कूल आते हैं उन्हें पढ़ाना भी जरूरी है इसीलिए वह इसका संचालन कर रहे हैं शिक्षकों ने बताया कि साल 2013 में यहां एक स्कूल भवन का निर्माण जरूर किया गया था लेकिन उसका निर्माण ऐसा हुआ है कि वह कभी भी गिर सकता है दीवारें धस गई हैं और उसके बीच में पिलर लगाकर खड़ा किया है स्कूल भवन जर्जर हो चुका है ऐसी हालत में देख कर शिक्षकों ने उसे अपने हैंड ओवर में नहीं लिया और नहीं उसमें स्कूल लगाते हैं गांव में पढ़ाई का और कोई दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण बच्चों के परिजन मजबूरी में बच्चों को गौशाला में लगने वाले स्कूल में बच्चों को भेजते हैं उन्हें बताया कि अधिकारी तो कभी यहां पहुंचते ही नहीं लेकिन नेता जरूर यहां पहुंचते हैं लेकिन वह भी सिर्फ वोट मांगने के लिए यहां की समस्या पर कभी भी उनका ध्यान नहीं गया परिजनों की मानें तो गाय के कोठार में स्कूल लगने से काफी बदबू आता है बच्चे बीमार ही पढ़ते हैं लेकिन कोई दूसरा साधन नहीं है बच्चों को यहां भेजते हैं वहीं मामले में अधिकारी की मानें तो उन्हें इसके बारे में जानकारी ही नहीं है मीडिया से जानकारी मिलने की बात कर रहे हैं और तत्काल इस पर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं नौनिहालों के भविष्य को बेहतर करने के लिए सरकार की तरफ से दर्जनों योजनाएं चलाई जा रही हैं स्कूल को एक मंदिर की तरह तैयार किया जा रहा है पूरे जिले में मॉडल स्कूल बनाए जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर यहां भी एक स्कूल है जिसका कोई माई बाप नहीं है सिर्फ दुर्गंधी दुर्गंध आता है

बाईट-- मान कुमारी शिक्षिका

बाइट-- भुवनेश्वर राम शिक्षक

बाइट--- मोहनराम परिजन सफेद गंजी

बाइट--- बालेश्वर राम अनुभाग अधिकारी


Conclusion:
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