बलरामपुर: जिले में गर्मी के सीजन में महज 1 महीने के भीतर 1000 से अधिक जगहों पर जंगलों में आग लगने की घटनाएं घट (fire in forests of balrampur) चुकी है. जंगलों में लगी आग से लगभग 13 सौ एकड़ जंगल का क्षेत्रफल जलकर प्रभावित हुआ है. आग के कारण बड़े-बड़े पेड़ जिंदा जल गए. बलरामपुर डीएफओ कार्यालय से महज 100 मीटर की दूरी पर मौजूद साल के जंगलों में कुछ दिनों पहले ऐसी भीषण आग लगी थी कि छोटे झाड़ के जंगल ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े पेड़ झुलस गए हैं. कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण आग किसी ने नहीं बुझाया
महुआ बीनने आये लोगों ने लगाई आग: आलम यह है कि एक बड़े क्षेत्रफल में जंगल जल गए हैं. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक इस साल अभी तक जंगलों में आग लगने की 1000 से अधिक मामले सामने आए हैं. इस आगजनी में 500 हेक्टेयर जंगल जो लगभग 13 सौ एकड़ का क्षेत्रफल होता है जो जल गए हैं. डीएफओ की मानें तो महुआ के सीजन में यह आगजनी की घटनाएं हुई थी और जंगल में महुआ चुने जाने वाले लोगों ने आग लगाया था.
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अधिकारी पल्ला झाड़ते आए नजर: इसके अलावा उन्होंने बताया कि लोग भ्रांतियों में पड़कर भी जंगलों में आग लगाते हैं. लोगों का मानना है कि आग लगाने से तेंदूपत्ता ज्यादा अच्छे से खिलता है. कोई बड़ा मेजर नुकसान नहीं हुआ है और अब वह पूरी तरह से कंट्रोल में होने की बात कह रहे हैं. जरा सोचिए 13 सौ एकड़ जंगल का एक बड़ा क्षेत्रफल आग से जलकर प्रभावित हुआ. इसमें ना जाने कितने छोटे-बड़े पेड़-पौधे जल गए हैं. इसमें न जाने कितने छोटे-छोटे जीव जंतुओं की भी मौत हुई है. ऐसे में आखिर इसका जिम्मेदार कौन है.