बलरामपुर : वैसे तो इस गांव तक सीधा पहुंचना मश्किल है और पहुंचविहीन होने के कारण प्रशासनिक अधिकारी भी यहां कभी नहीं पहुंचे. लेकिन अब ग्रामीणों की मेहनत अधिकारियों के साथ-साथ उन लोगों को भी यहां आने को मजबूर करेगी, क्योंकि ग्रामीणों ने काम ही कुछ ऐसा किया हैं. ये कहानी है बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत चिलमा की.
ETV भारत की पड़ताल
ये है ग्राम पंचायत चिलमा. इस गांव तक पहुंचने के लिए बिना पुल के उफनती नदी को पार करना पड़ता है. इसलिए यहां किसी का ध्यान नहीं गया. पहाड़ी कोरवा आबादी के इस गांव में सुविधाएं भी शून्य है, लेकिन ग्रामीण अब अपनी मेहनत और वन विभाग के सहयोग से इस गांव में हरियाली लाने के साथ अपनी जीवन में भी हरियाली लाने की सोची है. इसके लिए काम भी शुरू हो गया है. ग्रामीणों ने वन विभाग से गांव में फलदार पौधे लगाने की अपनी मंशा जाहिर की, जिसके बाद वन विभाग ने यहां के लगभग 200 परिवारों को निशुल्क करीब 2 हजार फलदार पौधे बांटे.
वन विभाग ने निशुल्क बांटे 2 हजार फलदार पौधे
वन विभाग ने गांव में एक दो नहीं बल्कि दो हजार फलदार पौधों का परिवहन किया हैं. गांव तक पौधों को पहुंचाना मुश्किल था, ऐसे में नदी के इस पार ही पौधों की खेप उतारी गई, ग्रामीणों में पौधों को लगाने का जूनून ऐसा है कि दिन-रात एक करके वो पौधों को सिर में ढोकर नदी पार कर रहे हैं, और गांव तक पहुंचा रहे हैं.फलदार पौधों में आम, लीची, अमरूद, अनार, कटहल, नाशपती और अमेरिकन बेर शामिल है.
पौधों की खुद ही रक्षा करेंगे ग्रामीण
ग्रामीणों ने कहा की शासन की तरफ से उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है इस वजह से अब उन्होंने वन विभाग से उम्मीद बांध रखी है. गांव में रहने वाले सुरेश कुमार और विजय कुमार ने बताया कि अब वे इन फलदार पौधों का रोपण करने के साथ ही वो उसकी सेवा करेंगे,ताकि इसकी कमाई से वो आत्मनिर्भर बन सके.
गांव को संवारने की पहल
वन विभाग के रेंजर अनिल सिंह ने बताया की गांव में हर घर में 10 से 15 फलदार पौधे दिए जा रहे हैं. इसके अलावा पूरे गावं के जो रास्ते हैं वहां भी फलदार पौधे ही लगाने का लक्ष्य है. वन विभाग के रेंजर ने बताया की नदी पार इस गांव का विकास करने में उनकी पूरा विभाग लगा हुआ है, नदी पर पुल नहीं होने के कारण ग्रामीणों को होने वाली परेशानी को देखते हुए वन विभाग की तरफ से उन्हें दो बोट भी दिए गए थे जिससे ये ग्रामीण अब आना-जाना करते हैं.
ग्रामीणों के उत्साह को देखते हुए विभाग भी इनकी मदद के लिए पूरी तरह से लगा हुआ है, आने वाले समय में वो इन ग्रामीणों को बाजार भी उपलब्ध कराएंगे ताकि ये कोरवा आत्मनिर्भर बन सके.