बलरामपुर: जिले के रामानुजगंज फॉरेस्ट रेंज में हाथियों का उत्पात जारी है. करीब 30 से 35 हाथियों का दल यहां घूम रहा है. गजराज झुंड में इलाके के अंदर आतंक मचा रहे हैं. गुरुवार रात को हाथियों ने चाकी गांव के बंसकटिया गांव में दो घरों को तोड़ दिया. इसके अलावा एक मवेशी को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया. हाथियों के हमले से चाकी गांव में डर का माहौल है.
हाथियों ने धान और मक्के की फसलों को किया बर्बाद: हाथियों का आतंक यहीं नहीं थमा. गजराज के दल ने खेत में लगी धान और मक्का की फसलों को नुकसान पहुंचाया. इससे कई किसानों को भारी नुकसान की बात कही जा रही है. किसानों की दो एकड़ में लगी फसल बर्बाद हुई है. इसमें मुख्य रूप से दो किसानों को ज्यादा नुकसान हुआ है. वे अब मुआवजे की आस में हैं.
कहां से आए हाथी ?: बलरामपुर और रामानुजगंज का इलाका झारखंड की जंगलों से लगा हुआ है. इस सीमा पर कन्हर नदी बहती है. जानकार बताते हैं कि हाथियों का दल कन्हर नदी और जंगलों के रास्ते रामानुजगंज के ग्रामीण इलाकों में पहुंचा है. भोजन पानी की तलाश में यह दल रिहायशी इलाको में पहुंच रहे हैं और कई तरह से लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ज्यादातर लोगों के अंदर रात में हाथियों के अटैक का डर बना रहता है.
हाथियों के डर से सहमे ग्रामीण: इससे पहले हाथियों के दल ने धमनी फॉरेस्ट रेंज के कई गांव में भारी नुकसान पहुंचाया था. उसके बाद रामानुजगंज फोरेस्ट रेंज के लावा गांव से होते हुए चाकी और महावीरगंज तक ये पहुंचे हैं. चाकी और महावीरगंज के लोग दहशत के साए में अपना जीवन जीने को मजबूर हैं. एक तरह लोग बारिश से परेशान हैं. दूसरी तरफ हाथियों के हमले का डर बना रहता है. रात में हाथियों के अटैक की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. जिससे ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हैं.
इंसान और वन्यजीवों का संघर्ष हाथियों के हमले की मुख्य वजह: हाथियों के हमले की मुख्य वजह इंसान और वन्यजीवों का संधर्ष है. जानकार बताते हैं कि लगातार जंगल कटने से हाथियों का प्राकृतिक रहवास खत्म हो रहा है. भोजन की तलाश में हाथियों का दल जंगल से भटककर बस्तियों में आ रहा है. रामानुजगंज वन क्षेत्र में बीते दो महीने में हाथियों का उत्पात ज्यादा देखने को मिला है. एलिफेंट अटैक में दो लोगों की मौत हो चुकी है.