रायपुर\बलरामपुर: जिले में कई ऐसे गांव हैं जहां पहुंचने के लिए रोड नहीं है. आम दिनों में तो किसी तरह गांव पहुंचा जा सकता है लेकिन बारिश के दिनों में इन गांवों में पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है. बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर ब्लॉक में भी ऐसा ही गांव है धौलपुर, जहां बारिश के दिनों में नदी पार करके पहुंचना पड़ता है. ऐसे गांव में भी बच्चों का भविष्य गढ़ने के लिए एक महिला टीचर हर रोज नदी पारकर स्कूल पहुंच रही हैं. इस टीचर का नाम कर्मिला टोप्पो है.
बारिश में स्कूल पहुंचने का और कोई रास्ता नहीं: चारों तरफ जंगल के बीच में बसे धौलपुर गांव में 10 से 12 परिवार हैं. प्राथमिक स्कूल में 10 बच्चों का नाम रजिस्टर्ड है. इन्हीं 10 बच्चों को पढ़ाने के लिए जिला मुख्यालय से महिला टीचर कर्मिला टोप्पो आती है. बारिश के दिनों में ये गांव टापू बन जाता है. जिससे यहां पहुंचने के लिए टीचर को नदी पार करनी पड़ती है. स्कूल पहुंचने के लिए ये टीचर दो नदियां पार करती हैं.
नदी में पेटभर पानी रहता है तो पार कर स्कूल पहुंचती हूं, उससे ज्यादा हो तो नहीं आ पाती हूं. समस्या है. बच्चों के भविष्य को देखकर हर रोज स्कूल आती हूं. स्कूल में 10 बच्चे पढ़ते हैं. छोटा गांव है. नदी पार कर ही स्कूल आना पड़ता है और कोई रास्ता नहीं है.-कर्मिला टोप्पो, प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका
बच्चों का बना रही भविष्य : स्कूल पहुंचने के बाद ये शिक्षिका अपना काम भी पूरी ईमानदारी से कर रही है. कहने को तो स्कूल में 10 बच्चों का नाम दर्ज है लेकिन हर रोज सिर्फ 7 से 8 बच्चे ही स्कूल पहुंचते हैं. इन बच्चों को भी पूरी लग्न से टीचर पढ़ाती हैं. प्रेक्टिकल के जरिए कर्मिला टोप्पो बच्चों को किसी भी विषय को आसानी से समझाने की कोशिश करती है.
कलेक्टर ने की तारीफ: महिला टीचर के इस जज्बे की बलरामपुर कलेक्टर रिमिजियस एक्का ने भी सराहना की है. उन्होंने कहा महिला टीचर अपना काम काफी ईमानदारी से कर रही है. दूसरे शिक्षकों से भी इसी तरह के काम की उम्मीद है. उन्हें भी समय पर स्कूल पहुंचने को निर्देश दिया गया है.
निश्चित रूप से महिला टीचर का काम काफी तारीफ के काबिल है. अपना काम कर्तव्यनिष्ठा के साथ कर रही है. अन्य टीचर से भी इसी तरह की अपेक्षा है- रिमिजियस एक्का, बलरामपुर कलेक्टर
क्लास में टीचर के बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं: वनांचल और दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों के भविष्य के लिए महिला टीचर कर्मिला टोप्पो का ये काम बहुत ही अच्छा है. प्रशासन को भी ऐसे टीचर्स का ख्याल रखना चाहिए. ना सिर्फ तारीफ बल्कि इन्हें छोटी मोटी सुविधाएं जरूर दी जानी चाहिए. बारिश के दिनों में हर रोज नदी पार कर स्कूल पहुंचने वाली टीचर के लिए क्लास में बैठने के लिए कुर्सी टेबल तक नहीं है.