बलरामपुर: राज्य सरकार खेल के क्षेत्र को लेकर विकास के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी स्तर की हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं. बलरामपुर में साल 2012 में 1 करोड़ 27 लाख की लागत से स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन 8 साल बीत जाने के बाद भी यह स्टेडियम यहां के खिलाड़ियों के लिए तैयार नहीं किया जा सका. आलम यह है कि गांव के खिलाड़ी यहां अभाव के बीच खेलने को मजबूर हैं.
बारिश के दिनों में यहां सबसे ज्यादा अव्यवस्था देखने को मिलती है. आने-जाने के रास्ते में कीचड़ भरे होने से खिलाड़ियों को दिक्कत होती है. स्टेडियम के ग्राउंड का कोई मेनटेंन्स भी नहीं किया जाता. जमीन में घास-फूस और बारिश के पानी से कीचड़ हो चुका है. बीते 8 सालों से इस इलाके के खिलाड़ी सुविधायुक्त स्टेडियम को लेकर सिर्फ सपने ही देख रहे हैं.
खिलाड़ी बताते हैं कि इस स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन भी किया जाता है. कई नेता-मंत्री और जनप्रतिनिधि यहां आ चुके हैं, लेकिन स्टेडियम के हाल पर किसी की नजर नहीं गई.
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जब इस मामले में बलरामपुर के जनप्रतिनिधियों से बात किया गया, तो उन्होंने बताया कि 8 साल पहले यहां स्टेडियम का काम शुरू किया जा चुका था, लेकिन काम क्यों बंद किया गया इसकी उन्हें जानकारी नहीं है.
शासन-प्रशासन के दावे सिर्फ उनके भाषण और कागजों पर दिखाई देते हैं. करोड़ों का स्टेडियम 8 साल बाद भी अपने हाल पर आंसू बहा रहा है. कीचड़खाने में तब्दील होता ये स्टेडियम यहां के खिलाड़ियों के सपनों को चुर करता हुआ दिख रहा है.अब देखना होगा कि जिम्मेदार कब तक इस स्टेडियम को संवारने का काम करेंगे और कब खिलाड़ियों को बेहतर स्टेडियम की सुविधा मिल पाएगी.