बलरामपुर: जिला सहित पूरे संभाग को देश-विदेश में पहचान दिला चुका डिपाडिह पुरातात्विक धरोहर स्थल अब अपनी पहचान खोता जा रहा है. डिपाडीह में सामत सरना के नाम से प्रसिद्ध इस पुरातात्विक दर्शनीय स्थल में 9वीं, 10वीं और 11वीं शताब्दी की कई मूर्तियां हैं.
सामत सरना की खूबसूरती देखते बनती है. यहां काफी बड़े क्षेत्रफल में प्रचीन मूर्तियों का भंडार है. यहां कई सारी प्राचीन शिवलिंग भी है. लेकिन इस पुरातात्विक स्थल की लगातार हो रही उपेक्षा और देखरेख के अभाव की वजह से अब इन धरोहरों को काफी नुकसान हो रहा है.
कई मूर्तियां हैं क्षतिग्रस्त
स्थानीय लोगों की मानें तो परिसर में भगवान शंकर की विशाल शिवलिंग के समाने नंदी महाराज की मूर्ति स्थापित थी. बरसात के समय पेड़ गिरने से इसे काफी नुकसान पहुंचा. नंदी की प्रतिमा अपनी जगह से खिसक गई है. मूर्ति कुछ जगहों से टूट भी गई है. लेकिन अब तक इसे सवांरने की ओर किसी भी जिम्मेदार ने कोई पहल नहीं की है. इतना ही नहीं यहां पर गिरा हुआ पेड़ अब भी जस का तस पड़ा हुआ है.
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पुरातत्व विभाग से पर्यटकों की अपील
सामत सरना परिसर में रखी इन प्राचीन मूर्तियों को देखने के लिए यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. लेकिन यहां की हालत देखकर लोगों में नाराजगी है. पर्यटकों का कहना है कि यह छत्तीसगढ़ की धरोहर है. जिले की शान है. प्रदेश में कुछ जगहों पर ही ऐसे ही धरोहर स्थापित है जहां ऐसी प्रचिन कला देखने को मिलती है. लेकिन यदि यही हाल रहा तो ये धरोहर इतिहास बनकर रह जाएगी. सामत सरना को देखने आए पर्यटकों ने सरकार और पुरातत्व विभाग से इन धरोहरों को संवारने की अपील की है.
संसदीय सचिव ने स्वाकरी अपनी गलती
सामत सरना की मौजूदा स्थिति को लेकर ETV भारत ने संसदीय सचिव और क्षेत्रीय विधायक चिंतामणि महाराज से बात की. उन्होंने अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा कि इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है. उन्होंने कहा कि वे खुद जाकर वहां का जायजा लेंगे और उसे मरम्मत और संवरने का काम भी करेंगे. उन्होंने अधिकारियों को इस संबंध में जल्द सुधार करने के निर्देश देने की बात कही.