बलरामपुर: प्रदेश की सीमा से लगे कुकुद माइंस से नक्सलियों द्वारा अपहृत ग्रामीण सकुशल वापस लौट आए हैं. 13 दिनों तक बन्दूक की नोक पर बंधक बनाए रखने के बाद नक्सलियों ने उन्हें छोड़ दिया है. इस मामले में पुलिस ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि पुलिस के दबाव के कारण नक्सली झुक गए और तीनों को रिहा कर दिया.
पुलिस ने कहा नहीं कर सकते कार्रवाई
सबसे बड़ी बात तो ये है कि जिले की पुलिस भी ग्रामीणों के घर लौटने की पुष्टि तो कर रही है, लेकिन इस मामले में किसी भी तरह की पूछताछ और कार्रवाई से इंकार कर दिया है. पुलिस का कहना है कि घटनास्थल झारखंड में है और ग्रामीणों ने यहां कोई शिकायत नहीं की है, ऐसे में यहां कार्रवाई नहीं की जा सकती.
तीन कर्मचारियों का हुआ था अपहरण
दरअसल छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे झारखंड स्थित हिंडाल्को के बॉक्साइट माइंस में नक्सलियों ने 28 नवम्बर की रात जमकर उत्पात मचाया था. 35 से 40 की संख्या में नक्सली सामरी थाना क्षेत्र के जलजली तक घुस आए थे और यहां इन्होंने ग्रामीणों के साथ मारपीट की थी. इसके साथ ही नक्सलियों ने हिंडाल्को के कुकुद माइंस में कार्यरत दो गार्ड और एक मुंशी का अपहरण कर लिया था. चूंकि कुकुद माइंस झारखंड की सीमा में पड़ता है. इसलिए पुलिस ने भी कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई थी. लेकिन पुलिस द्वारा सीमा क्षेत्र में सर्चिंग जरूर बढ़ा दी गई थी. 28 नवम्बर की रात अपहृत ग्रामीण गुरुवार की देर रात अपने घर लौट आए हैं
घर में तोड़फोड़
नक्सलियों के चंगुल से जो ग्रामीण छूटकर आए हैं, उनमें कुकुद माइंस क्षेत्र निवासी सूरज कुमार सोनी, तुलसी प्रसाद सोनी, संजय यादव और सबाग रोड सरईडीह निवासी 45 वर्षीय रामधनी यादव और बंगाली यादव शामिल हैं. सूरज सोनी और संजय यादव कुकुद माइंस के कांटा घर में गार्ड हैं, जबकि रामधनी हिंडाल्को में मुंशी का काम करता है. गांव लौटने के बाद रामधनी यादव ने बताया कि 28 नवम्बर की रात नक्सली उसके पास पहुंचे थे और घर के दरवाजे को खटखटाया था. पूछने पर उन्होंने कहा कि अगर दरवाजा नहीं खोला, तो अच्छा नहीं होगा और फिर उन्होंने खिड़की, दरवाजा तोड़ना शुरू कर दिया और दरवाजा तोड़कर नक्सली अंदर आ गए. घर के अंदर आते ही उन्होंने बंदूक की बट से उसकी पिटाई की और फिर उसे बांधकर अपने साथ ले जाने लगे.
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गार्ड रूम का दरवाजा भी तोड़ा
इसके बाद नक्सली कुकुद माइंस पहुंचे और वहां उन्होंने कांटा घर के गार्ड रूम का दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया. दरवाजा नहीं खुलने पर इसे तोड़कर अंदर घुस गए और वहां मौजूद सूरज सोनी और संजय यादव की भी बंदूक की बट से पिटाई करने के बाद उनके भी हाथ-पैर बांध दिए. इसके बाद नक्सली जलजली पहुंचे और मनोज यादव के घर का दरवाजा खुलवाकर वहां मनोज यादव और उसके भाई शिव बालक यादव की बेदम पिटाई की. नक्सलियों ने उन्हें धमकी देकर छोड़ दिया.ग्रामीणों ने बताया कि अपहरण करने के बाद नक्सली उन्हें लेकर जंगल में घुमाते रहे और दूसरे दिन दोपहर में बूढ़ा पहाड़ पहुंचे और वहां उन्हें दो खाई के बीच में रखा.
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जंगल से भटकते हुए पहुंचे थे घर
नक्सलियों ने ग्रामीणों को बताया था कि हिंडाल्को प्रबंधन उन्हें नजरअंदाज कर रहा है. इसलिए कर्मचारियों का अपहरण किया गया है. ग्रामीणों ने बताया कि गुरुवार की शाम नक्सलियों ने अचानक उन्हें छोड़ दिया और कहा कि आगे जाकर उन्हें दो ग्रामीण मिलेंगे. वह आगे का रास्ता दिखाएंगे. ग्रामीण जब नक्सलियों के चंगुल से निकले, तो उन्हें जंगल में दो ग्रामीण मिले, जिन्होंने उन्हें ददानी पहाड़ के जंगल तक लाकर छोड़ दिया. इसके बाद देर रात ग्रामीण घर पहुंचे. हालांकि इस मामले में पुलिस ने अब तक ग्रामीणों का बयान दर्ज नहीं किया है. पुलिस का कहना है कि घटनास्थल झारखंड में होने के कारण वे इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर सकते.