सरगुजा: खेती किसानी यह शब्द बेहद ग्रामीण और पिछड़ा प्रतीत होता है. लेकिन हकीकत इससे अलग है. आज खेती एक ऐसा बिजनेस है जिससे आप अच्छी खासी आमदनी कर सकते हैं. इस बिजनेस में दूसरो पर निर्भरता कम होती है और लाभ का प्रतिशत काफी अधिक. क्योंकि किसान एक उत्पादक होता है जैसे किसी कंपनी में उत्पादक की आमदनी होती है वैसी ही आदमनी किसान की होती है. अब युवा यूट्यूब में वीडियो देखकर प्रेरित हो रहे हैं और अन्य कार्यों के छोड़कर कृषि में अपना भविष्य बना रहे हैं.
सिल्वर प्ले बटन अवार्डेड: छत्तीसगढ़ के सरगुजा के एक युवा यूट्यूबर दितेश रॉय ने कमाल कर दिया है. दितेश ने पहले तो खुद खेती करना शुरू किया. सफलता और आमदनी देखने के बाद दितेश ने खेती के नए नए तरीकों और व्यवस्थित खेती के तरीकों पर वीडियो बनाना शुरू किया. धीरे धीरे ये वीडियो वायरल होने लगे. लोग उन्हें खूब पसंद करने लगे. नतीजा यह हुआ कि आज दितेश के एक लाख फॉलोवर फेसबुक में और करीब डेढ़ लाख फालोवर युट्यूब पर हैं. दितेश को यूट्यूब ने सिल्वर प्ले बटन अवार्ड भी दिया है.
युवाओं ने अपनाया खेती को: दितेश ने वीडियो के जरिये लोगों को प्रेरित किया. कोरोना काल में जो लोग बेरोजगार हो गए थे ऐसे लोग भी प्रभावित हुये. लोगों ने खेती शुरू की और आत्मनिर्भर बन गये. आज संभाग के ही करीब 40 से 50 ऐसे युवक हैं, जिन्होंने दितेश के वीडियो देखकर उनसे संपर्क किया और खेती शुरू की. आज वो बेहतर बिजनेस कर रहे हैं और अपने परिवार का पालन पोषण बेहतर ढंग से कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: आरक्षण में फंस सकता है पेंच !
देश के 10 हजार किसान सीधे संपर्क में: दितेश बताते हैं. देश भर के करीब 10 हजार किसान उनके संपर्क में रहते हैं. ये वो 10 हजार किसान हैं जो सोशल साइट्स से कांटेक्ट नंबर लेकर सीधे संपर्क किया है. आज हर किसान आधुनिक और बेहतर तरीकों से अवगत हो रहा है और अपना जीवन सुधार रहा है. दितेश किसानों को खेती की हर बारीक जानकरी देते हैं. मिट्टी के टेस्ट से लेकर बीज का चयन, खाद और दवाइयों के स्तेमाल का तरीका भी बताते हैं.
लॉकडाउन में भी कमाया पैसा: रामनगर से बाबूलाल यादव बताते हैं "मैं दूसरा व्यवसाय करता था. लेकिन यूट्यूब में इनका वीडियो देखा. सर्च करने पर पता चला कि यह युवक हमारे ही संभाग का है फिर मैंने इनसे फोन पर सम्पर्क किया. दितेश ने पूरा सपोर्ट किया खेती की हर बारीकी बताई. मैंने फिर लॉकडाउन के समय खेती शुरू की. सबसे पहले मैंने खीरे की फसल लगाई और पहली फसल में ही इतनी आमदनी हुई की हिम्मत बढ़ गई और फिर मैं भीड़ गया. इसी काम में बढ़िया लग रहा है."
स्टेशनरी दुकान छोड़ खेती शुरू की: सूरजपुर जिले के भैयाथान के युवक संदीप बताते हैं "पहले मैं स्टेशनरी का काम करता था. कभी प्रॉफिट तो कभी नुकसान होता था. धंधा बहोत अच्छा नहीं था. लेकिन दितेश रॉय के वीडियो देखने से प्रेरणा मिली की मैं भी खेती करके अधिक पैसे कमा सकता हूं. फिर मैंने इनसे फोन पर संपर्क किया और खेती करने की कुछ तकनीक के बारे में जानकर खेती शुरू की. आज मैं सिर्फ खेती ही करता हूं. अलग अलग सीजन में अलग अलग सब्जियां लगाकर अच्छी आमदनी करता हूं."