अंबिकापुर: अंधविश्वास लोगों के जहन से निकलने का नाम नहीं ले रहा है. इससे हर साल दर्जनों जिंदगियां काल के गाल में समां जाती हैं. सोमवार की रात जगजीवन सिंह घर में जमीन पर सो रहा था तभी जहरीले सांप ने डस लिया.
युवक ने परिजन इलाज कराने के बजाय युवक का झाड़-फूंक कराने लगे, इसकी वजह से समय बर्बाद होता चला गया. काफी देर तक झांड़-फूंक के बाद भी जब युवक की तबीयत में सुधार नहीं हुआ, तो परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे. लेकिन तब-तक काफी वक्त बीत चुका था और समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से युवक ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.
जमीन पर सो रहा था युवक
जयनगर के सुदामानगर गांव में रहने वाला जगजीवन सिंह, सोमवार की रात जमीन पर सो रहा था, इसी दौरान रात करीब एक बजे जहरीले सांप ने उसे डस लिया. परिवारवालों को जैसे ही पता लगा कि जगजीवन को सांप ने डस लिया है, वो झाड़-फूंक के लिए उसे ओझा के पास ले गए.
इलाज के दौरान तोड़ा दम
ओझा करीब दो घंटे तक झांड़-फूंक के जरिए युवक को ठीक करने की कोशिश करता रहा, लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ती चली गई, तो परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
घंटों चलता रहा अंधविश्वास का खेल
जगजीवन की मौत के बाद उसे जिंदा करने के लिए अंधविश्वास का खेल दोबारा शुरू किया गया. हैरान करने वाली बात यह है कि, जब पुलिस की टीम परिजन के पास पोर्टमार्टम कराने के लिए जगजीवन का शव लेने पहुंची तो उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि, झाड़-फूंक के लिए बैगा आ रहा है.
पोस्टमार्टम कराने के लिए नहीं होते तैयार
अस्पताल थाना प्रभारी निर्मला कश्यप ने बताया कि 'झाड़-फूंक का यह पहला मामला नहीं है, जिसमें परिजन बैगा और ओझा की ओर से तंत्र-मंत्र कर मृत व्यक्ति को जिंदा करने की बात करते हैं. ऐसी स्थिति में पुलिस की ओर से समझाइश देने के बाद ही परिवार वाले मृतक का पोस्टमार्टम करने को तैयार होते हैं'.
मरीज की हो जाती है मौत
अस्पताल अधीक्षक रविकांत दास ने बताया की सांप के डंसने की स्थिति में आज भी ग्रामीण अंचल के में लोग इलाज कराने से ज्यादा अंधविश्वास और झाड़-फूंक में के भरोसे रहते हैं, जिससे अधिकतर केस में मरीजों की मौत हो जाती है.