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World Animal Welfare Day : अम्बिकापुर के प्रकृति प्रेमी युवा कर रहे बेजुबानों की सेवा, जानिए क्यों है खास

विश्व पशु कल्याण दिवस या विश्व पशु संरक्षण दिवस हर साल 4 अक्टूबर को मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य दुनिया भर में पशु अधिकारों और कल्याण का जश्न मनाना है. आज इस अवसर पर ईटीवी भारत आपको अम्बिकापुर शहर के पशु प्रेमी युवाओं के बारे में बताने जा रही है. जो अपनी काम के साथ साथ जीवों की भी सेवा कर रहे हैं.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 4, 2023, 5:31 PM IST

Updated : Oct 6, 2023, 5:28 PM IST

World Animal Welfare Day 2023
अम्बिकापुर के प्रकृति प्रेमी युवा
अम्बिकापुर के प्रकृति प्रेमी युवा बचा रहे बेजुबानों की जान

सरगुजा: अम्बिकापुर शहर के युवाओं का पशु प्रेम लाजवाब है. कोई कुत्तों का जीवन बचा रहा है, तो कोई गायों की, तो कोई सांप जैसे जहरीले जीव की सुरक्षा के लिये काम कर रहा है. बड़ी बात ये है कि ये सारे युवा हैं, जिनमें बेजुबानों के लिये इतनी हमदर्दी है. कोई अपना काम छोड़कर, तो कोई काम से समय निकालकर जीवों की सेवा कर रहा है.

डॉग शेल्टर चलाते हैं सुधांशु: शहर के दर्री पारा में रहने वाले युवा सुधांशु अपनी टीम के साथ एक डॉग शेल्टर चलाते हैं. सुधांशू के घर में पहले एक डॉगी था. 2005 में इस डॉगी का जन्म हुआ और 2019 में डॉगी की मौत हो गई. डॉगी से बिछड़ने पर सुधांशू निराश हो गया था. तब सुधांशु ने अपने डॉगी की याद में हाथ पर उसके पंजे के जैसा टैटू बनवा लिया. साथ में डॉगी के जन्म और मृत्यु की तारीख भी लिखवा ली. सुधांशु की टीम का डॉग शेल्टर सरगुजा के रघुनाथ पैलेश के पीछे के हिस्से में है. इनके पास 2 एम्बुलेंस भी है, जिससे घायल जानवरों को शेल्टर हाउस लाया जाता है. यहां उनके इलाज और खान पान की व्यवस्था की जाती है.

"घर में शुरु से ही डॉग थे, तो उनसे लगाव था. घर वालों की प्रेरणा से जॉब छोड़कर मैंने यह सेवा का काम शुरू किया. वर्तमान में शेल्टर हाउस में 130 से अधिक डॉग हैं. पूरी टीम के सहयोग से ये संभव हो रहा है. 4 साल से यह काम कर रहे हैं और अब तक करीब 5 हजार से अधिक डॉग का रेस्क्यू किया जा चुका है." - सुधांशू, पशु प्रेमी

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स्नेक मैन सत्यम की कहानी: अंबिकापुर के सत्यम सांप पकड़ने और उनके संरक्षण के लिये काम कर रहे हैं. उनके इस काम की वजह से लोगों के बीच वे स्नेक मैन सत्यम के नाम से मशहूर है. स्नेक मैन सत्यम बताते हैं, "अब तक 10 हजार से अधिक जीवों का रेस्क्यू हमारी टीम ने किया है. जिसमे 7 हजार से अधिक सिर्फ सांपों का रेस्क्यू किया है. इसके अलावा मॉनीटर लिजर्ट का भी रेस्क्यू कर चुके हैं. इनको रेस्क्यू कर घायल होने पर इलाज किया और इनके परिवेश में छोड़ दिया जाता है."

गौ सेवा में जुटी युवाओं की टोली: इसके अलावा युवाओं की एक टीम गौ सेवा का काम करती है. इनके साथ युवाओं की एक बड़ी टीम भी है. शहर के दानदाता ने पशु एम्बुलेंस इनकी टीम को दान किया है, जिससे पशुओं को रेस्क्यू कर अस्पताल लाया जाता है. अब इस टीम ने खुद का पशु सेवा केंद्र भी खोल लिया है, जहां घायल पशुओं का इलाज किया जाता है.

"पिछले 6 साल से हमारी टीम काम कर रही है, जिसमे 6 हजार से अधिक गाय और सभी जानवर मिलाकर 7 हजार से अधिक जीवों का रेस्क्यू कर उनका इलाज किया है. एक एक्सीडेंट के कारण यह प्रेरणा मिली कि पशुओं की सेवा का काम करना चाहिए." - रिंकू तिवारी, गौ सेवक

क्यों मनाया जाता है विश्व पशु संरक्षण दिवस?: विश्व पशु कल्याण दिवस या विश्व पशु संरक्षण दिवस हर साल 4 अक्टूबर को मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य दुनिया भर में पशु अधिकारों और कल्याण का जश्न मनाना है. यह सभी जानवरों के लिए एक बेहतर जगह बनाने को लेकर पशु संरक्षण आंदोलन से पूरी दुनिया को जोड़ता है और एक वैश्विक ताकत के रूप में संगठित करता है. यह दिन लोगों को धरती पर मौजूद कई प्रजातियों की सुरक्षा और देखभाल करने के कर्तव्य की याद दिलाता है.

अम्बिकापुर के प्रकृति प्रेमी युवा बचा रहे बेजुबानों की जान

सरगुजा: अम्बिकापुर शहर के युवाओं का पशु प्रेम लाजवाब है. कोई कुत्तों का जीवन बचा रहा है, तो कोई गायों की, तो कोई सांप जैसे जहरीले जीव की सुरक्षा के लिये काम कर रहा है. बड़ी बात ये है कि ये सारे युवा हैं, जिनमें बेजुबानों के लिये इतनी हमदर्दी है. कोई अपना काम छोड़कर, तो कोई काम से समय निकालकर जीवों की सेवा कर रहा है.

डॉग शेल्टर चलाते हैं सुधांशु: शहर के दर्री पारा में रहने वाले युवा सुधांशु अपनी टीम के साथ एक डॉग शेल्टर चलाते हैं. सुधांशू के घर में पहले एक डॉगी था. 2005 में इस डॉगी का जन्म हुआ और 2019 में डॉगी की मौत हो गई. डॉगी से बिछड़ने पर सुधांशू निराश हो गया था. तब सुधांशु ने अपने डॉगी की याद में हाथ पर उसके पंजे के जैसा टैटू बनवा लिया. साथ में डॉगी के जन्म और मृत्यु की तारीख भी लिखवा ली. सुधांशु की टीम का डॉग शेल्टर सरगुजा के रघुनाथ पैलेश के पीछे के हिस्से में है. इनके पास 2 एम्बुलेंस भी है, जिससे घायल जानवरों को शेल्टर हाउस लाया जाता है. यहां उनके इलाज और खान पान की व्यवस्था की जाती है.

"घर में शुरु से ही डॉग थे, तो उनसे लगाव था. घर वालों की प्रेरणा से जॉब छोड़कर मैंने यह सेवा का काम शुरू किया. वर्तमान में शेल्टर हाउस में 130 से अधिक डॉग हैं. पूरी टीम के सहयोग से ये संभव हो रहा है. 4 साल से यह काम कर रहे हैं और अब तक करीब 5 हजार से अधिक डॉग का रेस्क्यू किया जा चुका है." - सुधांशू, पशु प्रेमी

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स्नेक मैन सत्यम की कहानी: अंबिकापुर के सत्यम सांप पकड़ने और उनके संरक्षण के लिये काम कर रहे हैं. उनके इस काम की वजह से लोगों के बीच वे स्नेक मैन सत्यम के नाम से मशहूर है. स्नेक मैन सत्यम बताते हैं, "अब तक 10 हजार से अधिक जीवों का रेस्क्यू हमारी टीम ने किया है. जिसमे 7 हजार से अधिक सिर्फ सांपों का रेस्क्यू किया है. इसके अलावा मॉनीटर लिजर्ट का भी रेस्क्यू कर चुके हैं. इनको रेस्क्यू कर घायल होने पर इलाज किया और इनके परिवेश में छोड़ दिया जाता है."

गौ सेवा में जुटी युवाओं की टोली: इसके अलावा युवाओं की एक टीम गौ सेवा का काम करती है. इनके साथ युवाओं की एक बड़ी टीम भी है. शहर के दानदाता ने पशु एम्बुलेंस इनकी टीम को दान किया है, जिससे पशुओं को रेस्क्यू कर अस्पताल लाया जाता है. अब इस टीम ने खुद का पशु सेवा केंद्र भी खोल लिया है, जहां घायल पशुओं का इलाज किया जाता है.

"पिछले 6 साल से हमारी टीम काम कर रही है, जिसमे 6 हजार से अधिक गाय और सभी जानवर मिलाकर 7 हजार से अधिक जीवों का रेस्क्यू कर उनका इलाज किया है. एक एक्सीडेंट के कारण यह प्रेरणा मिली कि पशुओं की सेवा का काम करना चाहिए." - रिंकू तिवारी, गौ सेवक

क्यों मनाया जाता है विश्व पशु संरक्षण दिवस?: विश्व पशु कल्याण दिवस या विश्व पशु संरक्षण दिवस हर साल 4 अक्टूबर को मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य दुनिया भर में पशु अधिकारों और कल्याण का जश्न मनाना है. यह सभी जानवरों के लिए एक बेहतर जगह बनाने को लेकर पशु संरक्षण आंदोलन से पूरी दुनिया को जोड़ता है और एक वैश्विक ताकत के रूप में संगठित करता है. यह दिन लोगों को धरती पर मौजूद कई प्रजातियों की सुरक्षा और देखभाल करने के कर्तव्य की याद दिलाता है.

Last Updated : Oct 6, 2023, 5:28 PM IST
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