सरगुजा: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के आते ही सब लोग अपने घरों में कैद हो गये और कोविड प्रोटोकॉल (covid protocol) का पालन करना शरू कर दिया. नतीजा यह हुआ कि बीते 2 डेढ़ साल से कोरोना के आलवा बाकी मौसमी बीमारियों का प्रकोप नहीं देखा गया. लेकिन जैसे ही सब कुछ सामान्य हुआ. लोग कोविड प्रोटोकॉल भूल गए और नतीजतन छोटे बच्चों में वायरल फीवर (viral fever in young children) का प्रकोप देखा जा रहा है. बच्चों की स्कूल शुरू कर दी गई है. जिसके बाद बच्चों में वायरल फीवर का खतरा (Viral fever in children) मंडराने लगा है.
कोरोना के डर से बच्चे घरों में थे. स्कूलें बंद थी तो वायरल भी नहीं फैला, लेकिन जैसे ही स्कूलें खुली सब कुछ सामान्य हुआ. एक बार फिर वायरल फीवर की चपेट में बच्चे आने शुरू हो गये हैं. सरगुजा में वायरल फीवर से पीड़ित इतने बच्चे हैं कि अस्पताल में जगह कम पड़ गई है. अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना मरीजों के लिए लिये तैयार किए गए मंगल भवन में 20 बेड की व्यवस्था की है. एसएनसीयू और पीडियाट्रिक (SNCU and Pediatric) के 65 बेड फुल हो चुके हैं. जिसके बाद मंगल भवन में 20 बेड की व्यवस्था की गई है.
मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन ओपीडी की संख्या 350 से 400 हो गई है. एक महीने से यहां मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. इनमें से ज्यादातर मरीज सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित हैं. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बच्चों में फैले वायरल को गंभीरता से लेते हुए राज्य से एक्सपर्ट टीम सरगुजा के लिये रवाना कर दी है. जरूरत पड़ने पर यह टीम सरगुजा के सभी जिलों में सेवा देगी.
डॉक्टर की सलाह
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जेके रेलवानी ने कुछ सलाह दी है. उन्होंने बताया कि, वायरल फीवर कोई नई चीज नहीं है. यह बीमारी हर साल जुलाई से सितंबर के बीच में होता है. लेकिन परिजनों को सावधान रहना चाहिए. बच्चों में सर्दी, खासी और बुखार आने पर तुरंत नजदीकी शासकीय अस्पताल में संपर्क करना चाहिए. क्योंकि संक्रमण बढ़ने की स्थिति में मरीज गंभीर हो जाते हैं. ऐसे समय में बच्चों को भीड़भाड़ वाली जगहों में नहीं ले जाना चाहिए. घर में अगर कोई बीमार है तो अन्य लोगों को उसके संपर्क से दूर रखना चाहिए.