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हसदेव अरण्य के ग्रामीण राहुल गांधी को याद दिला रहे वादा

अंबिकापुर के हसदेव अरण्य में पेड़ काटे जाने को लेकर आंदोलन जारी है. सरकार ने भले ही हसदेव अरण्य में पेड़ नहीं काटने की बात कह दी हो.लेकिन ग्रामीणों की माने (Villagers of Hasdeo Aranya ) तो प्रशासन अब भी कोल ब्लॉक को लेकर निगाहें गड़ाए बैठा है.गाहे बगाहे ग्रामीणों को कई तरह के लोक लुभावने तरीकों से मनाने की कोशिश जारी है.लेकिन वो जंगलों के लिए आंदोलन छोड़ने को तैयार नहीं हैं.sarguja latest news

हसदेव अरण्य के ग्रामीण क्यों राहुल गांधी को याद दिला रहे वादा
हसदेव अरण्य के ग्रामीण क्यों राहुल गांधी को याद दिला रहे वादा
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Published : Sep 16, 2022, 7:28 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा : कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत पद यात्रा पर निकले हैं. यह पहला मौका नही है जब राहुल गांधी ने पैदल मार्च किया हो. राहुल जून 2015 में हसदेव अरण्य के गावं में पहुंचे थे और यहां उन्होंने पैदल यात्रा की थी. तब छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार नहीं थी. मदनपुर गांव में आयोजित आम सभा में राहुल गांधी ने लोगों से वादा किया था कि वो जंगल नहीं कटने देंगे. अब उनकी सत्ता प्रदेश में है प्रस्तावित कोल खदानों पर कार्रवाई जारी है. ऐसे में ग्रामीण (Villagers of Hasdeo Aranya) राहुल गांधी को उनका वादा याद दिला रहे ( reminds Promise to Rahul Gandhi in sarguja) हैं.

हसदेव अरण्य के ग्रामीण राहुल गांधी को याद दिला रहे वादा
क्या था राहुल गांधी का वादा : जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता से बाहर थी तब जून 2015 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी हसदेव अरण्य के गांव मदनपुर आये थे. राहुल गांधी ने ग्रामीणों से जंगल बचाने का वादा किया था. ग्रामीण धरने पर बैठे हैं. इस धरने को अब 200 दिन पूरे होने जा रहे हैं. विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस सहित सभी दलों ने इस विषय पर आम सहमति आंदोलन के पक्ष में बना ली है. फिर भी आंदोलन जारी है. अब ग्रामीण राहुल गांधी का वो वादा याद दिला रहे हैं.
अब भी पेड़ काटने हो रहे प्रयास :सरकार के आश्वासन के बाद भी ग्रामीण आंदोलन खत्म क्यों नही कर रहे हैं. इस बात की पड़ताल करने ETV भारत पहुंचा हसदेव अरण्य के गांव हरिहरपुर. यहां ग्रामीणों ने बताया कि ''आज भी पेड़ काटने का प्रयास प्रशासन कर रहा है. 400 की संख्या में सुरक्षा बल लगाया गया था. लेकिन ग्रामीणों के लगातार विरोध के कारण वो पेड़ काटने की हिम्मत नही कर पा रहे हैं.''
ग्रामीणों को लुभाने का प्रयास : प्रशासन इन गांव में समाधान शिविर लगा रहा है. खिलौने और अन्य वस्तुओं का वितरण किया जा रहा है. गांव के विकास के लिए एक-एक गांव में 40 से 50 लाख की स्वीकृति तुरंत दे दी जा रही है. इस पर ग्रामीण कहते हैं इतने दिन तक प्रशासन कहां था. अब खदान खोलने ग्रामीणों को रिझाने का काम किया जा रहा है. बिना ग्राम सभा की अनुमति के शिविर लगाने का विरोध करने पर ग्रामीणों पर एफआईआर तक दर्ज की जा रही है.
6 हजार एकड़ का जंगल उजड़ेगा :पूरा मामला है अरण्य क्षेत्र में लाखों पेड़ काटकर उसमें कोयला खदान खोलने का है. परसा कोल ब्लॉक आबंटन हो चुका है. अब खदान खोलने प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. जिसमे सबसे पहले 6 हजार एकड़ में फैला जंगल काट दिया जाएगा. लाखों पेड़ काटकर जंगल को कोयले का खदान बना दिया जायेगा.
9 लाख पेड़ काटने का अनुमान : सरकारी गिनती के अनुसार 4 लाख 50 हजार पेड़ कटेंगे, जबकि ग्रामीणों का कहना है सरकारी गिनती में सिर्फ बहोत बड़े पेड़ों को गिना जाता है. छोटे और मीडियम साइज के पेड़ो की गिनती ये नही करते हैं. ग्रामीणों का अनुमान है की यहां 9 लाख से भी अधिक पेड़ काटे जायेंगे. इतने पेड़ अगर काट दिये गये तो प्रकृति का विनाश होगा. फिर सरगुजा और कोरबा क्षेत्र पर प्रकृति का कहर बरसेगा.
क्या है हसदेव अरण्य ? :छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य कोरबा, सरगुज़ा और सूरजपुर जिले का वो जंगल है जो मध्यप्रदेश के कान्हा के जंगलों से झारखंड के पलामू के जंगलों को जोड़ता है. यह मध्य भारत का सबसे समृद्ध वन है. हसदेव नदी भी खदान के कैचमेंट एरिया में है. हसदेव नदी पर बना मिनी माता बांगो बांध जिससे बिलासपुर, जांजगीर-चाम्पा और कोरबा के खेतों और लोगों को पानी मिलता है. इस जंगल मे हाथी समेत 25 वन्य प्राणियों का रहवास और उनके आवागमन का क्षेत्र है.
क्यों है खनन से आपत्ति : वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2010 में हसदेव अरण्य में खनन प्रतिबंधित रखते हुये इसे नो - गो एरिया घोषित किया था. लेकिन बाद में इसी मंत्रालय के वन सलाहकार समिति ने अपने ही नियम के खिलाफ जाकर यहां परसा ईस्ट और केते बासेन कोयला परियोजना को वन स्वीकृति दे दी थी. समिति की स्वीकृति को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने निरस्त भी कर दिया था.
WII की चेतावनी :भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पहले से संचालित खदानों को नियंत्रित तरीके से चलाना होगा. इसके साथ ही सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को नो गो एरिया घोषित किया जाए. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह चेतावनी भी है कि अगर खनन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई तो मानव हाथी संघर्ष को सम्हालना लगभग नामुमकिन हो जायेगा.
ग्राम सभाओं की शक्तियां : अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को विशेष शक्तियां प्रदान की गई है. ग्राम सभा के प्रस्ताव के बिना पर्यावरण की स्वीकृति सम्भव नही है. ग्राम साल्ही समेत आस पास के तमाम ग्राम कोल ब्लॉक के विरोध हैं . लेकिन ग्राम सभा का प्रस्ताव शासन के पास है. जिसमें ग्रामीणों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं.ग्रामीणों का आरोप है कि बल पूर्वक जबरन रेस्ट हाउस में बुलाकर सरपंच और सचिव से कागजों में हस्ताक्षर कराये गये थे. ग्राम सभा का प्रस्ताव फर्जी है.
300 किमी पैदल यात्रा :अपनी मांग लेकर हसदेव से रायपुर तक पैदल 300 किलोमीटर चलकर ग्रामीण मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिले थे. अपनी मांग रखी थी जिस पर फर्जी ग्राम सभा के मामले में जांच की बात कही गई थी. आज तक उस जांच का पता नही है. जबकि खनन के लिये पेड़ काटे जा रहे हैं.
प्रयासों के कारण आंदोलन : फिलहाल छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव आंदोलन में पहुंचकर इनका समर्थन कर चुके हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी सिंहदेव की भावनाओं के साथ बयान दे चुके हैं. पूरे सदन ने इस मसले पर सहमति दे दी है. ग्रामीण अब भी डरे हुये हैं. क्योंकि सरकार में कहा तो है लेकिन प्रशासन के प्रयास जारी हैं . इसलिए आंदोलन भी अब तक खड़ा है. देखना यह होगा कि कब यह आंदोलन कब खत्म होगा और हसदेव अरण्य में खनन पर रोक का मामला शांत होगा? sarguja latest news

सरगुजा : कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत पद यात्रा पर निकले हैं. यह पहला मौका नही है जब राहुल गांधी ने पैदल मार्च किया हो. राहुल जून 2015 में हसदेव अरण्य के गावं में पहुंचे थे और यहां उन्होंने पैदल यात्रा की थी. तब छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार नहीं थी. मदनपुर गांव में आयोजित आम सभा में राहुल गांधी ने लोगों से वादा किया था कि वो जंगल नहीं कटने देंगे. अब उनकी सत्ता प्रदेश में है प्रस्तावित कोल खदानों पर कार्रवाई जारी है. ऐसे में ग्रामीण (Villagers of Hasdeo Aranya) राहुल गांधी को उनका वादा याद दिला रहे ( reminds Promise to Rahul Gandhi in sarguja) हैं.

हसदेव अरण्य के ग्रामीण राहुल गांधी को याद दिला रहे वादा
क्या था राहुल गांधी का वादा : जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता से बाहर थी तब जून 2015 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी हसदेव अरण्य के गांव मदनपुर आये थे. राहुल गांधी ने ग्रामीणों से जंगल बचाने का वादा किया था. ग्रामीण धरने पर बैठे हैं. इस धरने को अब 200 दिन पूरे होने जा रहे हैं. विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस सहित सभी दलों ने इस विषय पर आम सहमति आंदोलन के पक्ष में बना ली है. फिर भी आंदोलन जारी है. अब ग्रामीण राहुल गांधी का वो वादा याद दिला रहे हैं.
अब भी पेड़ काटने हो रहे प्रयास :सरकार के आश्वासन के बाद भी ग्रामीण आंदोलन खत्म क्यों नही कर रहे हैं. इस बात की पड़ताल करने ETV भारत पहुंचा हसदेव अरण्य के गांव हरिहरपुर. यहां ग्रामीणों ने बताया कि ''आज भी पेड़ काटने का प्रयास प्रशासन कर रहा है. 400 की संख्या में सुरक्षा बल लगाया गया था. लेकिन ग्रामीणों के लगातार विरोध के कारण वो पेड़ काटने की हिम्मत नही कर पा रहे हैं.''
ग्रामीणों को लुभाने का प्रयास : प्रशासन इन गांव में समाधान शिविर लगा रहा है. खिलौने और अन्य वस्तुओं का वितरण किया जा रहा है. गांव के विकास के लिए एक-एक गांव में 40 से 50 लाख की स्वीकृति तुरंत दे दी जा रही है. इस पर ग्रामीण कहते हैं इतने दिन तक प्रशासन कहां था. अब खदान खोलने ग्रामीणों को रिझाने का काम किया जा रहा है. बिना ग्राम सभा की अनुमति के शिविर लगाने का विरोध करने पर ग्रामीणों पर एफआईआर तक दर्ज की जा रही है.
6 हजार एकड़ का जंगल उजड़ेगा :पूरा मामला है अरण्य क्षेत्र में लाखों पेड़ काटकर उसमें कोयला खदान खोलने का है. परसा कोल ब्लॉक आबंटन हो चुका है. अब खदान खोलने प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. जिसमे सबसे पहले 6 हजार एकड़ में फैला जंगल काट दिया जाएगा. लाखों पेड़ काटकर जंगल को कोयले का खदान बना दिया जायेगा.
9 लाख पेड़ काटने का अनुमान : सरकारी गिनती के अनुसार 4 लाख 50 हजार पेड़ कटेंगे, जबकि ग्रामीणों का कहना है सरकारी गिनती में सिर्फ बहोत बड़े पेड़ों को गिना जाता है. छोटे और मीडियम साइज के पेड़ो की गिनती ये नही करते हैं. ग्रामीणों का अनुमान है की यहां 9 लाख से भी अधिक पेड़ काटे जायेंगे. इतने पेड़ अगर काट दिये गये तो प्रकृति का विनाश होगा. फिर सरगुजा और कोरबा क्षेत्र पर प्रकृति का कहर बरसेगा.
क्या है हसदेव अरण्य ? :छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य कोरबा, सरगुज़ा और सूरजपुर जिले का वो जंगल है जो मध्यप्रदेश के कान्हा के जंगलों से झारखंड के पलामू के जंगलों को जोड़ता है. यह मध्य भारत का सबसे समृद्ध वन है. हसदेव नदी भी खदान के कैचमेंट एरिया में है. हसदेव नदी पर बना मिनी माता बांगो बांध जिससे बिलासपुर, जांजगीर-चाम्पा और कोरबा के खेतों और लोगों को पानी मिलता है. इस जंगल मे हाथी समेत 25 वन्य प्राणियों का रहवास और उनके आवागमन का क्षेत्र है.
क्यों है खनन से आपत्ति : वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2010 में हसदेव अरण्य में खनन प्रतिबंधित रखते हुये इसे नो - गो एरिया घोषित किया था. लेकिन बाद में इसी मंत्रालय के वन सलाहकार समिति ने अपने ही नियम के खिलाफ जाकर यहां परसा ईस्ट और केते बासेन कोयला परियोजना को वन स्वीकृति दे दी थी. समिति की स्वीकृति को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने निरस्त भी कर दिया था.
WII की चेतावनी :भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पहले से संचालित खदानों को नियंत्रित तरीके से चलाना होगा. इसके साथ ही सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को नो गो एरिया घोषित किया जाए. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह चेतावनी भी है कि अगर खनन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई तो मानव हाथी संघर्ष को सम्हालना लगभग नामुमकिन हो जायेगा.
ग्राम सभाओं की शक्तियां : अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को विशेष शक्तियां प्रदान की गई है. ग्राम सभा के प्रस्ताव के बिना पर्यावरण की स्वीकृति सम्भव नही है. ग्राम साल्ही समेत आस पास के तमाम ग्राम कोल ब्लॉक के विरोध हैं . लेकिन ग्राम सभा का प्रस्ताव शासन के पास है. जिसमें ग्रामीणों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं.ग्रामीणों का आरोप है कि बल पूर्वक जबरन रेस्ट हाउस में बुलाकर सरपंच और सचिव से कागजों में हस्ताक्षर कराये गये थे. ग्राम सभा का प्रस्ताव फर्जी है.
300 किमी पैदल यात्रा :अपनी मांग लेकर हसदेव से रायपुर तक पैदल 300 किलोमीटर चलकर ग्रामीण मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिले थे. अपनी मांग रखी थी जिस पर फर्जी ग्राम सभा के मामले में जांच की बात कही गई थी. आज तक उस जांच का पता नही है. जबकि खनन के लिये पेड़ काटे जा रहे हैं.
प्रयासों के कारण आंदोलन : फिलहाल छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव आंदोलन में पहुंचकर इनका समर्थन कर चुके हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी सिंहदेव की भावनाओं के साथ बयान दे चुके हैं. पूरे सदन ने इस मसले पर सहमति दे दी है. ग्रामीण अब भी डरे हुये हैं. क्योंकि सरकार में कहा तो है लेकिन प्रशासन के प्रयास जारी हैं . इसलिए आंदोलन भी अब तक खड़ा है. देखना यह होगा कि कब यह आंदोलन कब खत्म होगा और हसदेव अरण्य में खनन पर रोक का मामला शांत होगा? sarguja latest news
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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