ETV Bharat / state

रिश्वतखोर डॉक्टर की हकीकत सामने लाने के लिए जब ग्रामीणों ने बिछाया जाल

रिश्वतखोर डॉक्टर की असलियत सामने लाने के लिए ग्रामीणों ने पहले तो सबूत इकट्ठे किए और फिर प्रशासन से शिकायत की.

ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन
author img

By

Published : Jun 11, 2019, 12:57 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: संभाग में सबसे बड़ी मेडिकल सुविधा के तौर पर मशहूर मेडिकल कालेज अस्पताल पर कुछ डॉक्टरों की वजह से बार-बार दाग लग रहे हैं. कभी इलाज में लापरवाही का मामला सामने आता है, तो कभी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों पर रिश्वत मांगने के आरोप लगते हैं.

सबूत के साथ की गई शिकायत
अस्पताल में पदस्थ पति-पत्नी डॉ. वी.के श्रीवास्तव और क्षिप्रा श्रीवास्तव को हटाने की मांग सबूत के साथ ग्रामीणों की ओर से की गई है. बड़ी बात यह है कि सबूतों के साथ शिकायत करने वाला न तो कोई नेता था, न आरटीआई कार्यकर्ता, न डॉक्टर और न ही किसी मीडियाकर्मी ने इसका खुलासा किया. मामले को कोई और नहीं बल्कि डॉक्टर के सितम के मारे ग्रामीण दुनिया के सामने लेकर आए.

आदिवासियों ने इकट्ठे किए सबूत
विशेष संरक्षित जनजाति के ये लोग पिछले कई साल से अपने साथ हो रही ज्यादती के खिलाफ सुनियोजित ढंग से सबूत इकट्ठे कर रहे थे. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि, जिन्हें अशीक्षित वनवासी समझकर गलत तरीके से मोटी रकम वसूली जा रही थी.

अस्पताल स्टाफ को नहीं था अंदाजा
अस्पताल स्टाफ को इस बात का शायद अंदाजा भी नहीं था कि, ये लोग अपने अधिकारों को लेकर इतने जागरुक निकलेंगे और ऐसे सबूत इकट्ठा कर लेंगे कि, डॉक्टर के सामने बचने का कोई रास्ता ही न छूटे.

पर्ची पर लिखे थे कोटवर्ड
दरअसल इन लोगों ने अस्पताल में भर्ती मरीज की पर्चियां इकट्ठी कर रखी हैं. इन्हीं पर्चियों में डॉक्टर की ओर से लिखे गए वो कोट भी मौजूद हैं, जिनके जरिए मरीजों से रिश्वत की मांग की गई थी.

रिश्वत लेने का बनाया वीडियो
इतना ही नहीं, इन लोगों ने रिश्वत देने का वीडियो बनकार आला अफसरों से इसकी शिकायत की है. लोगों का आरोप है कि 'डॉक्टर वीके श्रीवास्तव अस्पताल में एडमिट पंडो और कोरवा जनजाति के लोगों से एक मेडिकल स्टोर में रिश्वत की रकम जमा कराते हैं. रकम जमा करने के बावजूद मेडिकल इक्यूपमेंट मरीज को नहीं दिए जाते थे. पैसा लेकर उन्हें यह कह दिया जाता है कि, डॉक्टर साहब को बता देना समान अस्पताल पहुंच जाएगा.

मरीजों को इक्यूपमेंट का बिल नहीं देने का आरोप
आरोप है कि इक्यूपमेंट का बिल न देकर अस्पताल की पर्ची में ही डॉक्टर साहब अपने हाथ से पेड लिख देते थे, वहीं इन आरोपों के साथ इन लोगों के पास दस्तावेजी सबूत के साथ ही वीडियो भी है. वीडियो में निजी मेडिकल स्टोर में अस्पताल की पर्ची से रकम जमा करने का खेल साफ-साफ देखा जा सकता है.

डॉक्टर को हटाने की मांग
डॉक्टर वीके श्रीवास्तव और उनकी पत्नी को हटाए जाने की मांग पीड़ितों की ओर से की जा रही है. बहरहाल अतीत पर नजर डालें तो ये दोनों ही डॉक्टर शुरू से विवादित रहे हैं और इनके खिलाफ कई शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन न जाने कौन सा ब्रम्हास्त्र इनके पास है कि इन पर करवाई नहीं होती.

बच्चे की मौत के बाद हुआ था बवाल
हालही में एक महिला के पेट मे बच्चे की मौत के मामले में खासा बवाल हुआ था. क्षिप्रा श्रीवास्तव पर आरोप लगे थे. डॉक्टर वीके श्रीवास्तव पर आरोप लगाने वाले युवक पर हमला करने की शिकायत मणिपुर चौकी में दर्ज हुई थी.

सरगुजा: संभाग में सबसे बड़ी मेडिकल सुविधा के तौर पर मशहूर मेडिकल कालेज अस्पताल पर कुछ डॉक्टरों की वजह से बार-बार दाग लग रहे हैं. कभी इलाज में लापरवाही का मामला सामने आता है, तो कभी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों पर रिश्वत मांगने के आरोप लगते हैं.

सबूत के साथ की गई शिकायत
अस्पताल में पदस्थ पति-पत्नी डॉ. वी.के श्रीवास्तव और क्षिप्रा श्रीवास्तव को हटाने की मांग सबूत के साथ ग्रामीणों की ओर से की गई है. बड़ी बात यह है कि सबूतों के साथ शिकायत करने वाला न तो कोई नेता था, न आरटीआई कार्यकर्ता, न डॉक्टर और न ही किसी मीडियाकर्मी ने इसका खुलासा किया. मामले को कोई और नहीं बल्कि डॉक्टर के सितम के मारे ग्रामीण दुनिया के सामने लेकर आए.

आदिवासियों ने इकट्ठे किए सबूत
विशेष संरक्षित जनजाति के ये लोग पिछले कई साल से अपने साथ हो रही ज्यादती के खिलाफ सुनियोजित ढंग से सबूत इकट्ठे कर रहे थे. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि, जिन्हें अशीक्षित वनवासी समझकर गलत तरीके से मोटी रकम वसूली जा रही थी.

अस्पताल स्टाफ को नहीं था अंदाजा
अस्पताल स्टाफ को इस बात का शायद अंदाजा भी नहीं था कि, ये लोग अपने अधिकारों को लेकर इतने जागरुक निकलेंगे और ऐसे सबूत इकट्ठा कर लेंगे कि, डॉक्टर के सामने बचने का कोई रास्ता ही न छूटे.

पर्ची पर लिखे थे कोटवर्ड
दरअसल इन लोगों ने अस्पताल में भर्ती मरीज की पर्चियां इकट्ठी कर रखी हैं. इन्हीं पर्चियों में डॉक्टर की ओर से लिखे गए वो कोट भी मौजूद हैं, जिनके जरिए मरीजों से रिश्वत की मांग की गई थी.

रिश्वत लेने का बनाया वीडियो
इतना ही नहीं, इन लोगों ने रिश्वत देने का वीडियो बनकार आला अफसरों से इसकी शिकायत की है. लोगों का आरोप है कि 'डॉक्टर वीके श्रीवास्तव अस्पताल में एडमिट पंडो और कोरवा जनजाति के लोगों से एक मेडिकल स्टोर में रिश्वत की रकम जमा कराते हैं. रकम जमा करने के बावजूद मेडिकल इक्यूपमेंट मरीज को नहीं दिए जाते थे. पैसा लेकर उन्हें यह कह दिया जाता है कि, डॉक्टर साहब को बता देना समान अस्पताल पहुंच जाएगा.

मरीजों को इक्यूपमेंट का बिल नहीं देने का आरोप
आरोप है कि इक्यूपमेंट का बिल न देकर अस्पताल की पर्ची में ही डॉक्टर साहब अपने हाथ से पेड लिख देते थे, वहीं इन आरोपों के साथ इन लोगों के पास दस्तावेजी सबूत के साथ ही वीडियो भी है. वीडियो में निजी मेडिकल स्टोर में अस्पताल की पर्ची से रकम जमा करने का खेल साफ-साफ देखा जा सकता है.

डॉक्टर को हटाने की मांग
डॉक्टर वीके श्रीवास्तव और उनकी पत्नी को हटाए जाने की मांग पीड़ितों की ओर से की जा रही है. बहरहाल अतीत पर नजर डालें तो ये दोनों ही डॉक्टर शुरू से विवादित रहे हैं और इनके खिलाफ कई शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन न जाने कौन सा ब्रम्हास्त्र इनके पास है कि इन पर करवाई नहीं होती.

बच्चे की मौत के बाद हुआ था बवाल
हालही में एक महिला के पेट मे बच्चे की मौत के मामले में खासा बवाल हुआ था. क्षिप्रा श्रीवास्तव पर आरोप लगे थे. डॉक्टर वीके श्रीवास्तव पर आरोप लगाने वाले युवक पर हमला करने की शिकायत मणिपुर चौकी में दर्ज हुई थी.

Intro:सरगुज़ा : संभाग में सबसे बड़ी मेडिकल सुविधा के रूप में विद्दमान मेडिकल कालेज अस्पताल पर कुछ डाक्टरों की वजह से बार बार दाग लगता है, कभी इलाज में लापरवाही का तो कभी पैसा लेने का लेकिन इस बार अस्पताल में पदस्थ पति-पत्नी डॉ वी के श्रीवास्तव और पत्नी क्षिप्रा श्रीवास्तव को हटाने की मांग सबूत के साथ की गई, बड़ी बात यह है की इन सबूतों को जुटाने वाला कोई नेता, आरटीआई कार्यकर्ता या कोई चिकित्सक नही है, ना ही किसी मीडिया कर्मी ने इसका खुलासा किया है, बल्कि डॉक्टर के सितम के मारे ग्रामीण वो भी विशेष संरक्षित जन जाती के लोग वर्षो से अपने साथ हो रही ज्यादती के लिये सुनियोजित ढंग से सबूत एकत्र कर रहे थे। किसी ने कभी नही सोंचा होगा की जिन्हें अशिक्षित वनवासी समझकर गलत तरीके से मोटी रकम वसूला जा रहा था वो अपने अधिकारों के प्रति इतने जागरूक निकलेंगे की डॉक्टर के सामने बचने का कोई रास्ता ही ना छूटे, दरअसल इन लोगो ने सरकारी अस्पताल की पर्चियां रखी हैं, जिनसे यह साबित होता है की यह व्यक्ति अस्पताल में एडमिट था और उसी पर्ची में डॉक्टर के द्वारा साइन कर कोड वर्ड में पैसे जमा कराने के लिए फारवर्ड किया जाता है, इतना ही नही पैसे देने का वीडियो भी इन लोगो ने बनाया है और उसकी भी सीडी शिकायत के साथ दी गई है। लोगो का आरोप है की डॉक्टर वीके श्रीवास्तव अस्पताल में एडमिट पंडो और कोरवा लोगो को तेज मेडिकल स्टोर में पैसे जमा कराता है, और पैसे जमा करने के बाद मेडिकल इक्यूपमेंट भी मरीज को नही दिए जाते, पैसा लेकर उन्हें यह कह दिया जाता है की डॉक्टर साहब को बता देना समान अस्पताल पहुंच जाएगा। हद तो तब होती है जब इक्यूपमेंट का बिल ना देकर अस्पताल की पर्ची में ही डॉक्टर साहब अपने हाथ से पेड लिख देते हैं। वहीं इन आरोपो के साथ इन लोगो के पास दस्तावेजी सबूत के साथ ही वीडियो भी है, जिस वीडियो में तेज मेडीकल में अस्पताल की पर्ची से पैसे जमा करने का खेल देखा जा सकता है। फिलहाल ये लोग डॉक्टर वीके श्रीवास्तव और उनकी पत्नी को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। बहरहाल अतीत में नजर डालें तो ये दोनों ही डॉक्टर शुरू से विवादित रहे हैं और इनके खिलाफ शिकायतों की झड़ी लगी हुई है, लेकिन ना जाने और सा ब्रम्हास्त्र इन डॉक्टरो के पास है की इन पर करवाई नही होती, अभी हालही में एक महिला के पेट मे बच्चे की मौत हो जाने के मामले में खासा बवाल हुआ था, क्षिप्रा श्रीवास्तव पर आरोप लगे थे, और आरोप लगाने वाले युवक पर डॉक्टर वीके श्रीवास्तव द्वारा हमला करने की शिकायत मणिपुर चौकी में दर्ज हुई थी, मामले ने सियासी रंग भी लिया था और इन्हें हटाने भाजपा युवा मोर्चा ने अस्पताल का घेराव किया था, जिस पर प्रशासन ने जांच के बाद करवाई का आस्वाशन दिया था। मामले की जानकारी स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव को भी हुई थी, लेकिन उन्होंने ने भी मामले को कोई करवाई ना करते हुए यह बयान दिया था की ये सब आपसी गुटबाजी का नतीजा है वो सबको साथ बैठाकर समझाएंगे, लेकिन साहब आपकी समझाइस का इन पर कोई असर नही होता, अपनी नौकरी के लंबे कार्यकाल में इन्होंने बहोत सी सरकारें और मंत्री देखे हैं, लेकिन इनका रवैया वही है जो पहले था। बहरहाल जिले भर से आये इन लोगो ने नायब तहसीलदार को ही ज्ञापन दिया है, कलेक्टर से मुलाकात तो नही ही सकी है, लेकिन मामले में दस्तावेज और सबूत पर्याप्त हैं, लेकिन देखना ये होगा की क्या इन सब के बाद भी कोई करवाई इन पर होगी, वहीं दूसरी ओर तेज मेडिकल द्वारा इस गोरखधंधे में लिप्त होने की बात भी सामने आ रही है, इस पर क्या कोई कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग कर सकेगा?


Body:वाक थ्रू


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.