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Universal Health Care: 1 जून से कैशलेस हो जाएंगे छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी हॉस्पिटल

छत्तीसगढ़ के सारे सरकारी हॉस्पिटल 1 जून से कैशलेस हो जाएंगे. यानी की ओपीडी से लेकर डायग्नोस्टिक और दवाइयां जैसी सारी सुविधाएं मरीजों को बिलकुल फ्री में मिलेंगी.

Universal Health Care
छत्तीसगढ़ के सरकारी हॉस्पिटल होंगे कैशलेस
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Published : Mar 22, 2023, 9:36 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

छत्तीसगढ़ के सरकारी हॉस्पिटल होंगे कैशलेस

सरगुजा: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने विधानसभा में एक बड़ी घोषणा की है. यूनिवर्सल हेल्थ केयर की दिशा में आगे बढ़ते हुये अब प्रदेश के के सभी शासकीय स्वास्थ्य केंद्र 1 जून से कैशलेस हो जायेंगे. यहां पर ओपीडी, आईपीडी, डायग्नोस्टिक और दवाइयां निशुल्क उपलब्ध हो सकेंगी.

कानून बनना जरूरी: टीएस सिंहदेव ने यह भी स्पष्ट किया है कि "युनिवर्सल हेल्थ केयर का उद्देश्य जनता को उनके दिये गए टेक्स के पैसे से निशुल्क इलाज उपलब्ध कराना है. इस दिशा में हमने सफलता हासिल कर ली है. लेकिन इसे कानून का रूप दिया जाना बाकी है. जैसे रोजगार गारंटी कानून बना, खाद्यान्न सुरक्षा कानून बना वैसे ही स्वास्थ्य के अधिकार का कानून बनना है. तब मानिये की यूनिवर्सल हेल्थ केयर लागू हो गया."

अब होंगे कैशलेस अस्पतल: छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के बजटीय अभिभाषण में सिंहदेव ने कैशलेस व्यवस्था की घोषणा कर दी है. स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा के मुताबिक 1 जून 2023 से छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य न्याय योजना को लागू कर दी जायेगी. इस योजना से प्रदेश में हर व्यक्ति को शासकीय अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थाओं में सारी सेवाए जैसे ओपीडी, आईपीडी दवा और सभी प्रकार के डायग्नोस्टिक टेस्ट निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे. जस योजना के बाद कैशलेस सरकारी अस्पताल की परिकल्पना पूरी हो सकेगी.


बढ़ा स्वास्थ्य का बजट: साल 2017-18 मे सिर्फ 3375.27 करोड के बजट पर चलने वाले प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को 2023-24 में 5484.55 करोड का बजट प्राप्त हुआ है. 2018 सेननिरंतर छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के ढांचे में सुधार किया गया. स्वास्थ्य विभाग ने न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को बढाया है. बल्कि लगभग 20 हजार नौकरियां भी दी हैं. इस साल के बजट के बाद स्वास्थ्य विभाग करीब 10 हजार और नौकरियां दे सकेगा.


स्टाफ भर्ती: साल 2017-18 में प्रदेश में स्पेशलिस्ट डॉक्टर की संख्या सिर्फ 179 थी. लेकिन अब प्रदेश में 534 स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. चिकित्सा अधिकारियों की संख्या 1302 से बढकर 2413, दंत चिकित्सकों की संख्या 67 से बढकर 222 हो चुकी है. स्टाफ नर्सों की संख्या 11551 से बढकर 14731 और अन्य स्टाफ की संख्या 17016 से बढकर 22279 हो गयी है. सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की संख्या 2018-19 में 62 थी इनकी संख्या अब 2649 हो गयी है. जल्द ही 709 अन्य अधिकारियों को ट्रेनिंग के बाद प्रमोशन दिया जायेगा.


स्वास्थ्य सुविधाओं में ढांचागत सुधार: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "साल 2018-19 में पूरे प्रदेश में कुल 735 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर थे. आज इनकी संख्या बढकर 5300 हो गयी है. मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना से 425 मोबाईल वाहनों के माध्यम से इलाज की व्यवस्था की गई है. हमर लैब, हमर क्लिनिक और हमर अस्पतालों को खोलने का क्रम चल रहा है. शहरी क्षेत्रों में 354 हमर क्लिनिक निर्माणाधीन हैं, जिनमें से 154 हमर क्लिनिक 3 माह में शुरू हो जायेंगे. प्रदेश में कुल 53 हमर अस्पताल स्थापित करने का लक्ष्य है. जिनमें से 4 शुरू हो गये हैं बाकी के भी कुछ महीनों में शुरू हो जाएंगे. प्रदेश में कुल 99 हमर लैब स्थापित होने हैं, जिनमें से 15 में जांच शुरू कर दी गई है."


सिटी स्कैन की संख्या भी बढ़ी: प्रदेश में आठ जिला अस्पतालों में सी.टी.स्कैन की सुविधा शुरू की गयी है. 4 अन्य जिला अस्पतालों में सिटी स्कैन शुरू होने जा रही है. बचे हुए अन्य जिला अस्पतालों में भी सीटी स्कैन मशीनों की स्थापना का प्रावधान बजट में रखा गया है. रायपुर एवं अम्बिकापुर में मानसिक रोग अस्पताल की स्थापना की जा रही है। इसके लिये 274 पद सृजन एवं नवीन अस्पताल भवन को बजट में शामिल किया गया है.

कीमोथेरेपी, डायलिसिस इलाज व्यवस्था: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "प्रदेश में जहां साल 2018-19 में कैंसर के मरीजों के कीमोथेरेपी की व्यवस्था नहीं थी, अब 19 जिलों में दीर्घायु वार्ड स्थापित कर निःशुल्क कीमोथेरेपी की व्यवस्था की गयी है. प्रदेश में 1178 मरीजों को निःशुल्क कीमोथेरेपी दी जा रही है. वर्ष 2017-18 में प्रदेश के कुल 3 स्वास्थ्य केन्द्रों में डायलिसिस की सुविधा थी, लेकिन आज प्रदेश में 29 स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है.

यह भी पढ़ें: Sarguja news: जिद के आगे जीत है, सरगुजा का महेश पैरों की उंगली से लिख रहा भविष्य, दे रहा बोर्ड परीक्षा !


मेडिकल शिक्षा का विस्तार: साल 2018 में प्रदेश में मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सिर्फ 1050 सीट थी, जो अब 1820 हो गयी हैं. पीजी की सीट 124 से बढकर 373 हो चुकी है. साल 2018 में प्रदेश में कुल 6 सरकारी और 3 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज थे लेकिन अब 10 सरकारी और 3 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालित हैं. इस बजट में जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, मनेन्द्रगढ़ और गीदम में नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना का प्रस्ताव है. इसके लिए 200 करोड के बजट का भी प्रावधान है. नर्सिंग कॉलेज में 8379 सीट से बढ़कर 10538 सीट हो गई है.

छत्तीसगढ़ के सरकारी हॉस्पिटल होंगे कैशलेस

सरगुजा: स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने विधानसभा में एक बड़ी घोषणा की है. यूनिवर्सल हेल्थ केयर की दिशा में आगे बढ़ते हुये अब प्रदेश के के सभी शासकीय स्वास्थ्य केंद्र 1 जून से कैशलेस हो जायेंगे. यहां पर ओपीडी, आईपीडी, डायग्नोस्टिक और दवाइयां निशुल्क उपलब्ध हो सकेंगी.

कानून बनना जरूरी: टीएस सिंहदेव ने यह भी स्पष्ट किया है कि "युनिवर्सल हेल्थ केयर का उद्देश्य जनता को उनके दिये गए टेक्स के पैसे से निशुल्क इलाज उपलब्ध कराना है. इस दिशा में हमने सफलता हासिल कर ली है. लेकिन इसे कानून का रूप दिया जाना बाकी है. जैसे रोजगार गारंटी कानून बना, खाद्यान्न सुरक्षा कानून बना वैसे ही स्वास्थ्य के अधिकार का कानून बनना है. तब मानिये की यूनिवर्सल हेल्थ केयर लागू हो गया."

अब होंगे कैशलेस अस्पतल: छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के बजटीय अभिभाषण में सिंहदेव ने कैशलेस व्यवस्था की घोषणा कर दी है. स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा के मुताबिक 1 जून 2023 से छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य न्याय योजना को लागू कर दी जायेगी. इस योजना से प्रदेश में हर व्यक्ति को शासकीय अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थाओं में सारी सेवाए जैसे ओपीडी, आईपीडी दवा और सभी प्रकार के डायग्नोस्टिक टेस्ट निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे. जस योजना के बाद कैशलेस सरकारी अस्पताल की परिकल्पना पूरी हो सकेगी.


बढ़ा स्वास्थ्य का बजट: साल 2017-18 मे सिर्फ 3375.27 करोड के बजट पर चलने वाले प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को 2023-24 में 5484.55 करोड का बजट प्राप्त हुआ है. 2018 सेननिरंतर छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के ढांचे में सुधार किया गया. स्वास्थ्य विभाग ने न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को बढाया है. बल्कि लगभग 20 हजार नौकरियां भी दी हैं. इस साल के बजट के बाद स्वास्थ्य विभाग करीब 10 हजार और नौकरियां दे सकेगा.


स्टाफ भर्ती: साल 2017-18 में प्रदेश में स्पेशलिस्ट डॉक्टर की संख्या सिर्फ 179 थी. लेकिन अब प्रदेश में 534 स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. चिकित्सा अधिकारियों की संख्या 1302 से बढकर 2413, दंत चिकित्सकों की संख्या 67 से बढकर 222 हो चुकी है. स्टाफ नर्सों की संख्या 11551 से बढकर 14731 और अन्य स्टाफ की संख्या 17016 से बढकर 22279 हो गयी है. सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की संख्या 2018-19 में 62 थी इनकी संख्या अब 2649 हो गयी है. जल्द ही 709 अन्य अधिकारियों को ट्रेनिंग के बाद प्रमोशन दिया जायेगा.


स्वास्थ्य सुविधाओं में ढांचागत सुधार: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "साल 2018-19 में पूरे प्रदेश में कुल 735 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर थे. आज इनकी संख्या बढकर 5300 हो गयी है. मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना से 425 मोबाईल वाहनों के माध्यम से इलाज की व्यवस्था की गई है. हमर लैब, हमर क्लिनिक और हमर अस्पतालों को खोलने का क्रम चल रहा है. शहरी क्षेत्रों में 354 हमर क्लिनिक निर्माणाधीन हैं, जिनमें से 154 हमर क्लिनिक 3 माह में शुरू हो जायेंगे. प्रदेश में कुल 53 हमर अस्पताल स्थापित करने का लक्ष्य है. जिनमें से 4 शुरू हो गये हैं बाकी के भी कुछ महीनों में शुरू हो जाएंगे. प्रदेश में कुल 99 हमर लैब स्थापित होने हैं, जिनमें से 15 में जांच शुरू कर दी गई है."


सिटी स्कैन की संख्या भी बढ़ी: प्रदेश में आठ जिला अस्पतालों में सी.टी.स्कैन की सुविधा शुरू की गयी है. 4 अन्य जिला अस्पतालों में सिटी स्कैन शुरू होने जा रही है. बचे हुए अन्य जिला अस्पतालों में भी सीटी स्कैन मशीनों की स्थापना का प्रावधान बजट में रखा गया है. रायपुर एवं अम्बिकापुर में मानसिक रोग अस्पताल की स्थापना की जा रही है। इसके लिये 274 पद सृजन एवं नवीन अस्पताल भवन को बजट में शामिल किया गया है.

कीमोथेरेपी, डायलिसिस इलाज व्यवस्था: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "प्रदेश में जहां साल 2018-19 में कैंसर के मरीजों के कीमोथेरेपी की व्यवस्था नहीं थी, अब 19 जिलों में दीर्घायु वार्ड स्थापित कर निःशुल्क कीमोथेरेपी की व्यवस्था की गयी है. प्रदेश में 1178 मरीजों को निःशुल्क कीमोथेरेपी दी जा रही है. वर्ष 2017-18 में प्रदेश के कुल 3 स्वास्थ्य केन्द्रों में डायलिसिस की सुविधा थी, लेकिन आज प्रदेश में 29 स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है.

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मेडिकल शिक्षा का विस्तार: साल 2018 में प्रदेश में मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सिर्फ 1050 सीट थी, जो अब 1820 हो गयी हैं. पीजी की सीट 124 से बढकर 373 हो चुकी है. साल 2018 में प्रदेश में कुल 6 सरकारी और 3 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज थे लेकिन अब 10 सरकारी और 3 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालित हैं. इस बजट में जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, मनेन्द्रगढ़ और गीदम में नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना का प्रस्ताव है. इसके लिए 200 करोड के बजट का भी प्रावधान है. नर्सिंग कॉलेज में 8379 सीट से बढ़कर 10538 सीट हो गई है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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