सरगुजा: प्रदेश में 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी और सरकार बनने से पहले तक सब कुछ ठीक चल रहा था. कांग्रेस के पास एक बेहद चर्चित और सर्वमान्य चेहरा था टीएस सिंहदेव का. भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की जोड़ी को लोगों ने जय-वीरू तक की संज्ञा दे डाली. लेकिन सरकार बनने के बाद कुर्सी को लेकर चली खींचतान में टीएस सिंहदेव को अगुआई का मौका नहीं मिला. इसके बाद ढाई ढाई साल के फॉर्मूले को लेकर टीएस सिंहदेव अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. सीएम न बन पाने की कसक गाहे बगाहे उनकी जुबान से निकल ही जाती है. हालांकि अपने बयान में टीएस सिंहदेव पार्टी आलाकमान पर ही फैसला छोड़कर विवादों से बच भी निकलते हैं. राजस्थान में पार्टी के खिलाफ सचिन पायलट के बगावत को आधार बनाकर टीएस सिंहदेव ने एक बार फिर अपने इसी दर्द को बयां किया है.
जानिये कब कब छलका सिंहदेव का दर्द
जुलाई 2021 में सदन से किया था वाॅक आउट: 23 जुलाई 2021 की बात है. सरगुजा की रामानुजगंज सीट से कांग्रेस के विधायक बृहस्पति सिंह ने टीएस सिंहदेव पर उनकी हत्या के प्रयास का आरोप लगा दिया. इतना ही नहीं, उनके एक रिश्तेदार के खिलाफ अपराध दर्ज कराया गया. तत्कालीन लुंड्रा जनपद उपाध्यक्ष वीरभद्र सिंह को आरोप में गिरफ्तार भी कर लिया गया. सिंहदेव का बड़ा अपमान किया गया था. वो अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा भी नहीं खोल सकते थे. लिहाजा उसी सप्ताह चल रही विधानसभा की कार्रवाई से मंत्री सिंहदेव ने वॉक आउट कर दिया. बेहद दुखी होकर सदन से निकले सिंहदेव के तेवर ने एक बार फिर सियासी भूचाल खड़ा कर दिया था.
जुलाई 2022 में पंचायत मंत्रालय से इस्तीफा: इसके बाद एक बड़ा घटना क्रम फिर सामने आया. जब इस वर्ष 16 जुलाई को छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टी एस सिंहदेव ने पंचायत विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. टीएस सिंहदेव ने अपना इस्तीफा पंचायत विभाग से दिया था. उन्होंने सीएम को इस्तीफा भेजा था. जिसके बाद प्रदेश के सियासी हलकों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया था. सूत्रों के मुताबिक टीएस सिंहदेव इस बात से नाराज थे कि, उनके आदेश का पालन विभाग में नहीं हो रहा है. सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा सौंप दिया था, जिसके बाद टीएस सिंहदेव के पास अब लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) का प्रभार है. इस दौरान भी सिंहदेव का दर्द बाहर आया. उन्होंने अपने विभाग में चल रही अधिकारियों की मनमानी का एक पत्र सार्वजनिक कर दिया. इस पत्र में तमाम ऐसी बातें लिखी गई जिनसे आहत होकर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया.
चुनाव से पहले बड़ा फैसला: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सरगुजा प्रवास के दौरान 29 दिसंबर 2022 को कहा कि "इस बार अगला चुनाव लड़ने का मन नहीं बनाया है. अब तक हुए वर्ष 2008, 2013 और 2018 के चुनाव मन में रहते थे कि चुनाव लड़ना है. तो लोगों से पूछकर लडूंगा. लेकिन इस बार सच में चुनाव लड़ने का वैसा मन नहीं है. जैसा पहले रहता था." सरगुजा विकास प्राधिकरण की बैठक के बाद मीडिया की ओर से किए गए सवाल के जवाब में कहा था कि "चुनाव से पहले वे कोई बड़ा फैलसा ले सकते हैं." उनके इस बयान ने प्रदेश का सियासी पारा गर्म कर दिया था.
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आलाकमान से दबी जुबान में जाहिर करते हैं नाराजगी: एक बार फिर सिंहदेव का दर्द ऐसा छलका कि, उन्होंने कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व से ही नाराजगी जाहिर कर दी. उन्होंने मीडिया से सवाल पर कहा कि, "परिवार 90 वर्षों से कांग्रेस के साथ हर ऊंच नीच की स्थिति में बना रहा. हम महाराजा थे वो राजपाट कांग्रेस ने ले लिया, जमीन सीलिंग कांग्रेस पार्टी में हुआ. हमारा उद्देश्य यही रहा कि क्या हम लोगों के हित के लिए जिस संगठन को देख रहे हैं. उसको देखें या अपने हित को देखे. मैंने और मेरे परिवार ने हमेशा से देखा कि कांग्रेस का जो माध्यम है. लोगों के लिए काम करने का, वो हमें स्वीकार्य रहा. कांग्रेस हमारी देखभाल करती थी. हम भी कांग्रेस के नाम पर मिलकर काम करते थे. अभी कुछ दिनों से ऐसा लगता है कि जितना सिर या कंधे पर हाथ होना चाहिए वो महसूस नहीं हो रहा. इसके बावजूद मेरा व्यक्तिगत विचार भाजपा में सम्मिलित होने का कभी नहीं हो सकता. घर के लोग क्या करेंगे मैं नहीं जानता."