सरगुजा : भले ही केंद्र और प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लाख दावे करें, लेकिन इनकी जमीनी हकीकत जिले के सीमावर्ती क्षेत्र बकोई और पेडरखी में देखने को मिलती है, जहां आज तक सरकारी अस्पताल नहीं खुल पाया है, लिहाजा यहां के मरीजों को इलाज के लिए 25 किमी का सफर तय कर उदयपुर ब्लॉक मुख्लाय जाना पड़ता है.
गर्भवती महिलाओं को रहता है खतरा
अस्पताल नहीं होने से यहां के लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, सबसे ज्यादा मुसीबत गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ती है, जिन्हें प्रसव के लिए उदयपुर ले जाना पड़ता है. कई बार तो महिलाओं को घर पर ही प्रसव करवाना पड़ता है, जिससे मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा बना रहता है.
6 महीने से बंद पड़ा है प्रसव केंद्र
ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने अस्पताल की मांग न की हो, लेकिन ग्रामीणों की गुहार अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों पर कोई असर करते नहीं दिखती. हालांकि नई सरकार बनने के बाद अस्थाई रूप से दूसरे की बिल्डिंग में प्रसव केंद्र खोला तो गया, लेकिन वो भी 6 महीने से बंद पड़ा है.
'जल्द खुलेगा उप स्वास्थ्य केंद्र'
ग्रामीणों का कहना है कि, 'वनांचल क्षेत्र होने की वजह से यहां पर कोई नर्स व स्टाफ रहना नहीं चाहता, यहां आने के बाद नर्स एक महीने में ही ट्रांसफर करा कर चली जाती है. वहीं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि, 'प्रसव केंद्र नियमित नहीं है, इसलिए नहीं खुल रहा है, लेकिन जल्द ही यहां पर उपस्वास्थ्य केंद्र खोला जाएगा, क्योंकि उप स्वास्थ्य केंद्र मुख्य रूप से प्रसव केंद्र ही है, उप स्वास्थ्य केंद्र में बड़ी बीमारियों का इलाज नहीं हो पाता है'. उन्होंने कहा कि, 'पहले उप स्वास्थ्य केंद्र में 28 प्रकार की दवाईयां मिलती थीं, जिनकी संख्या बढ़ाकर 58 कर दिया गया है'.