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स्कूलों में गुरुजी लगाएंगे सब्जी, स्टूडेंट्स को मिलेगा टेस्टी के साथ हेल्दी फूड

मिड-डे-मील के जरिए छात्रों को सेहतमंद खाना देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने हर स्कूल में बागवानी कराए जाने का फैसला किया है.

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय
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Published : Jun 13, 2019, 9:25 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी योजना के तहत सरगुजा के स्कूल में बागवानी करवाई जाएगी. इस योजना के पहले चरण के लिए जिले के 1 हजार 329 प्राइमरी और 565 मिडिल स्कूलों में से 700 स्कूलों का चयन किया गया है.

टीचर स्कूल में लगाएंगे सब्जी

प्रथम चरण में बारी लगाने का काम
दरअसल, इन 700 स्कूलों में बाउंड्रीवाल बनी हुई है, इसीलिए यहां बारी लगाने का काम पहले चरण में ही शुरू किया जाएगा, वहीं जिन स्कूलों में बाउंड्रीवॉल नहीं है, वहां अगले चरण में ये योजना शुरू की जाएगी.

जानकारी मिलने के बाद बनेगी योजना
जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता ने बताया कि, 'शासन के निर्देश के बाद स्कूलों में बागवानी करने के लिए कार्यशाला आयोजित कर लोगों को प्रशिक्षित करने का काम शुरू किया जा चुका है. इसमें कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग के साथ ही कृषि महाविद्यालय से सहयोग लिया जा रहा है और स्कूलों में खाली जमीन की स्थिति की जानकारी मंगवाने के बाद ये योजना बनाई जाएगी कि, कितने पौधे या बीज लगना है'.

अभिभावक और गांववाले भी योजना से जुड़ेंगे
इस योजना से बच्चों के पालकों, समूहों सहित गांववालों को जोड़ने का प्लान है. मतलब शिक्षकों को सहभागिता से इस काम को करना है'. उन्होंने बताया कि 'बाउंड्रीवॉल जहां नहीं है, उसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा और उसके बाद उन स्कूलो में भी बागवानी लगाई जाएगी.

फैसले से खुश हैं शिक्षक
जाहिर है कि स्कूलों के लिए जारी होने वाले हर सरकारी आदेश का सीधा बोझ उस स्कूल के शिक्षकों पर पड़ता है, अक्सर शिक्षक इस बात की दुहाई देते दिखते हैं, कि हम बच्चों को पढ़ाई कराएं या फिर सरकारी फरमान पूरा करें, लिहाजा हमने शिक्षकों से भी जाना की इस योजना के प्रति उनकी मंशा क्या है. इस दौरान शिक्षकों ने इसे सरकारी बोझ न मानते हुए इस फैसले को लेकर खुशी जाहिर की है.

कम बीमार होंगे छात्र-छात्राएं
शिक्षकों का मानना है कि, 'इससे उनके छात्र-छात्राओं को सेहतमंद सब्जियां खाने को मिलेंगी, बाजार में रासायनिक खाद से उगाई गई सब्जियों को खाकर बीमार होने की नौबत नहीं आएगी'.

पहले से ही करते हैं बागवानी
एक शिक्षक तो ऐसे मिले जो पहले से ही अपने स्कूल में बागवानी का काम करते हैं. लुंड्रा विकासखंड के बरगीडीह मिडिल स्कूल के शिक्षक आरिफ बताते हैं कि, 'वो पहले से ही अपने स्कूल में विभिन्न प्रकार की साब्जियां उगाते हैं'.

खुद ही बनाते हैं कंपोस्ट खाद
उन्होंने बताया कि, 'स्कूल में कंपोस्ट खाद बनाने का इंतजाम भी कर रखा है'. आरिफ बताते हैं कि, उन्होंने स्कूल प्रांगण में ही एक बड़ा गड्ढा बना रखा है और स्कूल के हैंडपम्प से बहने वाले वेस्ट पानी की नाली को उस गड्ढे से जोड़ दिया है. रोजाना स्कूल के प्रांगण में पेड़ से गिरने वाले पत्तों को उसी गड्ढे में डाल दिया जाता है और कुछ महीने बाद गड्ढे में कंपोस्ट खाद तैयार हो जाती है, जिसका उपयोग वो अपनी बागवानी में करते हैं. गर्मियों की छुट्टियों में बागवानी पूरी तरह सूखकर नष्ट हो जाती है, लिहाजा स्कूल खुलने के बाद हर साल वो फिर से बीज और पौधों का रोपण करते हैं.

कितनी सफल होगी योजना ?
सरकार ने एक अच्छी पहल की है, इससे न सिर्फ स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को सेहतमंद खाना मिलेगा, बल्कि सरकार का वित्तीय भार भी कम होगा. प्रयास तो बेहतर है, लेकिन ये योजना धरातल पर कितनी सफल होगी ये तो वक्त ही बताएगा.

सरगुजा: सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी योजना के तहत सरगुजा के स्कूल में बागवानी करवाई जाएगी. इस योजना के पहले चरण के लिए जिले के 1 हजार 329 प्राइमरी और 565 मिडिल स्कूलों में से 700 स्कूलों का चयन किया गया है.

टीचर स्कूल में लगाएंगे सब्जी

प्रथम चरण में बारी लगाने का काम
दरअसल, इन 700 स्कूलों में बाउंड्रीवाल बनी हुई है, इसीलिए यहां बारी लगाने का काम पहले चरण में ही शुरू किया जाएगा, वहीं जिन स्कूलों में बाउंड्रीवॉल नहीं है, वहां अगले चरण में ये योजना शुरू की जाएगी.

जानकारी मिलने के बाद बनेगी योजना
जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता ने बताया कि, 'शासन के निर्देश के बाद स्कूलों में बागवानी करने के लिए कार्यशाला आयोजित कर लोगों को प्रशिक्षित करने का काम शुरू किया जा चुका है. इसमें कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग के साथ ही कृषि महाविद्यालय से सहयोग लिया जा रहा है और स्कूलों में खाली जमीन की स्थिति की जानकारी मंगवाने के बाद ये योजना बनाई जाएगी कि, कितने पौधे या बीज लगना है'.

अभिभावक और गांववाले भी योजना से जुड़ेंगे
इस योजना से बच्चों के पालकों, समूहों सहित गांववालों को जोड़ने का प्लान है. मतलब शिक्षकों को सहभागिता से इस काम को करना है'. उन्होंने बताया कि 'बाउंड्रीवॉल जहां नहीं है, उसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा और उसके बाद उन स्कूलो में भी बागवानी लगाई जाएगी.

फैसले से खुश हैं शिक्षक
जाहिर है कि स्कूलों के लिए जारी होने वाले हर सरकारी आदेश का सीधा बोझ उस स्कूल के शिक्षकों पर पड़ता है, अक्सर शिक्षक इस बात की दुहाई देते दिखते हैं, कि हम बच्चों को पढ़ाई कराएं या फिर सरकारी फरमान पूरा करें, लिहाजा हमने शिक्षकों से भी जाना की इस योजना के प्रति उनकी मंशा क्या है. इस दौरान शिक्षकों ने इसे सरकारी बोझ न मानते हुए इस फैसले को लेकर खुशी जाहिर की है.

कम बीमार होंगे छात्र-छात्राएं
शिक्षकों का मानना है कि, 'इससे उनके छात्र-छात्राओं को सेहतमंद सब्जियां खाने को मिलेंगी, बाजार में रासायनिक खाद से उगाई गई सब्जियों को खाकर बीमार होने की नौबत नहीं आएगी'.

पहले से ही करते हैं बागवानी
एक शिक्षक तो ऐसे मिले जो पहले से ही अपने स्कूल में बागवानी का काम करते हैं. लुंड्रा विकासखंड के बरगीडीह मिडिल स्कूल के शिक्षक आरिफ बताते हैं कि, 'वो पहले से ही अपने स्कूल में विभिन्न प्रकार की साब्जियां उगाते हैं'.

खुद ही बनाते हैं कंपोस्ट खाद
उन्होंने बताया कि, 'स्कूल में कंपोस्ट खाद बनाने का इंतजाम भी कर रखा है'. आरिफ बताते हैं कि, उन्होंने स्कूल प्रांगण में ही एक बड़ा गड्ढा बना रखा है और स्कूल के हैंडपम्प से बहने वाले वेस्ट पानी की नाली को उस गड्ढे से जोड़ दिया है. रोजाना स्कूल के प्रांगण में पेड़ से गिरने वाले पत्तों को उसी गड्ढे में डाल दिया जाता है और कुछ महीने बाद गड्ढे में कंपोस्ट खाद तैयार हो जाती है, जिसका उपयोग वो अपनी बागवानी में करते हैं. गर्मियों की छुट्टियों में बागवानी पूरी तरह सूखकर नष्ट हो जाती है, लिहाजा स्कूल खुलने के बाद हर साल वो फिर से बीज और पौधों का रोपण करते हैं.

कितनी सफल होगी योजना ?
सरकार ने एक अच्छी पहल की है, इससे न सिर्फ स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को सेहतमंद खाना मिलेगा, बल्कि सरकार का वित्तीय भार भी कम होगा. प्रयास तो बेहतर है, लेकिन ये योजना धरातल पर कितनी सफल होगी ये तो वक्त ही बताएगा.

Intro:सरगुज़ा : मध्यान्ह भोजन के माध्यम से छात्रो को सेहत मंद भोजन देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने हर स्कूल में बागवानी लगाये जाने का फैसला किया है, मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना नरूवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना के तहत इस कार्य को किया जाना है, इसकी कवायद सरगुज़ा में भी शुरू की जा चुकी है, इस योजना के लिए प्रथम चरण में जिले की 1329 प्रायमरी और 565 मिडिल स्कूलो में से 700 स्कूलो को चयनित किया गया है, दरअसल इन 7 सौ स्कूलो में बाउंड्रीवाल बनी हुई है, इसलिए यहां बाड़ी लगाने का काम प्रथम चरण में ही शुरू किया जाएगा, वहीं जिन स्कूलों में बाउंड्रीवॉल नही है, वहां अगले चरण में यह योजना शुरू की जाएगी।

जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता ने बताया की शासन के निर्देश के बाद स्कूलों में बागवानी लगाने के लिए कार्यशाला आयोजित कर लोगो को प्रशिक्षित करने का काम शुरू किया जा चुका है, इसमे कृषि विभाग, उद्द्यानिकी विभाग सहित कृषि महाविद्यालय से सहयोग लिया जा रहा है, और स्कूलो में खाली जमीन की स्थिति की जानकारी मंगवाने के बाद यह योजना बनाई जाएगी की कितना पौधा या बीज लगना है, इस योजना से बच्चों के पालको, समूहों सहित गावँ वालो को जोड़ने का प्लान है, मतलब शिक्षकों को सहभागिता से इस काम को करना है। उन्होंने बताया की बाउंड्रीवॉल जहां नही है उसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा और उसके बाद उन स्कूलो में भी बागवानी लगाई जाएगी।

जाहिर है की स्कूलो पर जारी होने वाले हर सरकारी आदेश का सीधा बोझ उस स्कूल के शिक्षकों पर पड़ता है, अक्सर शिक्षक इस बात की दुहाई देते दिखते हैं, की हम पढ़ायें या सरकारी फरमान पूरा करें, लिहाजा हमने शिक्षकों से भी जाना की इस योजना के प्रति उनकी मंशा क्या है.? लेकिन इस मामले में शिक्षक इसे सरकारी बोझ नही समझते बल्कि इस फैसले से खुश हैं, क्योंकी इससे उनके छात्र-छात्राओं को सेहतमंद सब्जियां खाने को मिलेगी, बाजार में रासायनिक खाद से पैदा हुई शब्जियो को खाकर बीमार होने की नौबत नही आएगी।

एक शिक्षक तो ऐसे मिले जो पहले से ही अपने स्कूल में बागवानी लगाने का काम करते हैं, दरअसल लुंड्रा विकासखंड के बरगीडीह मिडिल स्कूल के शिक्षक आरिफ बताते हैं की वो पहले भी अपने स्कूल में विभिन्न प्रकार की साब्जियां उगाते हैं, इतना ही नही शब्जियो के लिये उन्होंने कंपोस्ट खाद बनाने का तरीका भी बना रखा है, आरिफ बताते हैं की उन्होंने स्कूल प्रांगण में ही एक बड़ा गड्ढा करा दिया है, और स्कूल के हैंड पम्प से बहने वाले वेस्ट पानी को उस गड्ढे से जोड़ दिया है, और रोजाना स्कूल के प्रांगण में पेड़ से गिरने वाले पत्तों को उसी गड्ढे में डाल दिया जाता है, और कुछ महीने बाद गड्ढे में कंपोस्ट खाद तैयार हो जाता है, जिसका उपयोग वो अपनी बागवानी में करते हैं, हालाकी गर्मियों की छुट्टियों में बागवानी पूरी तरह सूख जाती है, और नष्ट हो जाती है, लिहाजा स्कूल खुलने के बाद हर वर्ष वो फिर से बीज और पौधों का रोपण करते हैं।

बहरहाल सरकार ने पहल अच्छी की है, इससे ना सिर्फ सेहत मंद खाना मिलेगा बल्कि सरकार का वित्तीय भार भी कम होगा, लेकिन योजना कितनी कारगर साबित होगी ये तो सरकारी कर्मचारियों और जमीनी अमले पर निर्भर है।




Body:बाईट01_संजय गुप्ता (जिला शिक्षाधिकारी सरगुज़ा)

बाईट02_मेराज अंसारी ( शिक्षक माध्यमिक शाला रकेली)

बाईट03_मो. आरिफ (शिक्षक माध्यमिक शाला बरगीडीह)

देश दीपक सरगुज़ा


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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