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गोदना आर्ट से पूरा होगा सुंदर कल का सपना, महिला कैदियों की जिंदगी बदल रही ये कला - महिला बंदी

अंबिकापुर के सेंट्रल जेल का माहौल किसी जेल की तरह नहीं बल्कि एक आर्ट वर्कशॉप की तरह हो गया है. जहां हर कोई अपने हुनर को तराशने में लगा है. इस कलात्मक माहौल में ढलकर महिला बंदी अपनी जिंदगी के सुनहरे भविष्य का सपना बुन रही हैं. महिला बंदी जेल से छूटने के बाद किसी और के ऊपर आश्रित न होकर आत्मनिर्भर रहना चाहती हैं.

कला में पारंगत होती महिला बंदी
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Published : Sep 17, 2019, 1:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

अंबिकापुर: केंद्रीय जेल की महिला बंदी इन दिनों गोदना आर्ट में पारंगत हो रही हैं. इन महिलाओं का ज्यादातर समय सिलाई, कढ़ाई सहित ऐसी कक्षाओं में बीतता है जो जेल इंपोरियम का आकर्षण है. इसमें इन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है. गोदना आर्ट की कला की बारीकी से अवगत होने के बाद ये महिलाएं इसमें इतना रम गई हैं कि पेंट ब्रश से नाता बन गया है.

सेंट्रल जेल की बंदी महिलाए गोदना कला से गढ़ रही अपना कल

आर्ट को कपड़ों पर उतार कर दे रहे स्वरोजगार
गोदना आर्ट के बारे में सभी जानते हैं. महिलाएं अपने शरीर पर गोदना बनवाती थी और उनका मानना था कि उनके मरने के बाद गोदना ही वो गहना होगा जो उनके साथ जाएगा. लेकिन आज यह पूरी तरह से विलुप्त होता जा रहा है. अब इस गोदना आर्ट को कपड़े में उतार कर महिला बंदियों को स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया जा रहा है.


वंदना ने उठाया शिल्प में माहिर करने का बीड़ा
समाज सेविका वंदना दत्ता ने महिला बंदियों को गोदना शिल्प में माहिर करने का बीड़ा उठाया है. महिलाओं के उत्थान की दिशा में अग्रसर रहने वाली वंदना दत्ता बंदी महिलाओं के बीच पहुंकर इन्हें गोदना आर्ट सिखाती हैं. सप्ताह में 2 दिन उनके आने का इंतजार जेल में बंद महिलाओं को रहता है.

किसी पर आश्रित नहीं रहना चाहती महिलाएं
बंदी महिलाओं की सोच है कि जाने अनजाने में हुए अपराध को लेकर समाज के बीच लोगों की जो भी सोच हो, वे यहां से बाहर निकले के बाद किसी के रहमो करम पर आश्रित नहीं रहना चाहती हैं.

सामानों को ऑनलाइन बेचने की भी सुविधा
जेल के इंपोरियम में रखे इन सामानों को बेचने के लिए ऑनलाइन सिस्टम पर भी जोर दिया जा रहा है. इसमें इन पेंटिग्स को ऑनलाइन बेचने की प्रक्रिया भी शुरू की जाने वाली है. अब दूर बैठे लोग भी अंबिकापुर के जेल में बने इन सामानों को ऑनलाइन खरीद सकेंगे.

अंबिकापुर: केंद्रीय जेल की महिला बंदी इन दिनों गोदना आर्ट में पारंगत हो रही हैं. इन महिलाओं का ज्यादातर समय सिलाई, कढ़ाई सहित ऐसी कक्षाओं में बीतता है जो जेल इंपोरियम का आकर्षण है. इसमें इन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है. गोदना आर्ट की कला की बारीकी से अवगत होने के बाद ये महिलाएं इसमें इतना रम गई हैं कि पेंट ब्रश से नाता बन गया है.

सेंट्रल जेल की बंदी महिलाए गोदना कला से गढ़ रही अपना कल

आर्ट को कपड़ों पर उतार कर दे रहे स्वरोजगार
गोदना आर्ट के बारे में सभी जानते हैं. महिलाएं अपने शरीर पर गोदना बनवाती थी और उनका मानना था कि उनके मरने के बाद गोदना ही वो गहना होगा जो उनके साथ जाएगा. लेकिन आज यह पूरी तरह से विलुप्त होता जा रहा है. अब इस गोदना आर्ट को कपड़े में उतार कर महिला बंदियों को स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया जा रहा है.


वंदना ने उठाया शिल्प में माहिर करने का बीड़ा
समाज सेविका वंदना दत्ता ने महिला बंदियों को गोदना शिल्प में माहिर करने का बीड़ा उठाया है. महिलाओं के उत्थान की दिशा में अग्रसर रहने वाली वंदना दत्ता बंदी महिलाओं के बीच पहुंकर इन्हें गोदना आर्ट सिखाती हैं. सप्ताह में 2 दिन उनके आने का इंतजार जेल में बंद महिलाओं को रहता है.

किसी पर आश्रित नहीं रहना चाहती महिलाएं
बंदी महिलाओं की सोच है कि जाने अनजाने में हुए अपराध को लेकर समाज के बीच लोगों की जो भी सोच हो, वे यहां से बाहर निकले के बाद किसी के रहमो करम पर आश्रित नहीं रहना चाहती हैं.

सामानों को ऑनलाइन बेचने की भी सुविधा
जेल के इंपोरियम में रखे इन सामानों को बेचने के लिए ऑनलाइन सिस्टम पर भी जोर दिया जा रहा है. इसमें इन पेंटिग्स को ऑनलाइन बेचने की प्रक्रिया भी शुरू की जाने वाली है. अब दूर बैठे लोग भी अंबिकापुर के जेल में बने इन सामानों को ऑनलाइन खरीद सकेंगे.

Intro:अम्बिकापुर - बंदियों को हुनरमंद बनाने की दिशा में अंबिकापुर केंद्रीय जेल की महिला बंदी भी गोदना आर्ट से पारंगत हो रही है। इन महिलाओं का अधिकांश समय सिलाई कढ़ाई सहित ऐसी कक्षाओं में बितता है जो जेल इंपोरियम का आकर्षण है। इसमें इन्हें अच्छी खासी आय हो रही है। गोदना आर्ट की कला की बारीकी से अवगत होने के बाद ये महिलाएं इसमें इतना रम गई है कि पेंट ब्रश से नाता बन गया है। जेल में बैरक के पीछे अनुशासन में रहकर किसी हुनर में माहिर होना आसान नहीं ऐसे में समाज सेवा के क्षेत्र में कई आयामों को तय की है वंदना दत्ता ने। इन्हों ने गोदना शिल्प में माहिर करने का बीड़ा उठाया  महिलाओं के उत्थान की दिशा में अग्रसर रहने वाली वंदना दत्ता बंदी महिलाओं के बीच पहुंची और इन्हें गोदना आर्ट से परिचित कराया। इसके बाद सप्ताह में 2 दिन उनके आने का इंतजार जेल में बंद महिलाओं को रहता है।Body:गोदना आर्ट के बारे में सभी जानते हैं जो पारंपरिक शिल्प हुआ करते थे जिसमें महिलाएं अपने शरीर पर गोदना बनवाती थी और अपनी मृत्यु के साथ गोदना रूपी  कहने वाली गोदना आर्ट को अपने साथ  लेकर  जाती थी। लेकिन  आज यह पूरी तरफ से विलुप्त होता जा रहा है अब इस गोदना आर्ट को कपड़े में उतार कर महिला बंदियों को स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया जा रहा है जिसे अम्बिकापुर शहर की  सामाजिक कार्यकर्ता वंदना दत्ता ने महिला बंदियों को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर कर दिया है। महिला बंदियों के द्वारा बनाए गए इन गोदना आर्ट को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और ऑर्डर देकर इसे बनवाने की मांग की जाती है।
बंदी महिलाओं की सोच है कि जाने अनजाने में हुए अपराध को लेकर समाज के बीच लोगों की सोच जो हो पर वे यहां से बाहर निकले के बाद किसी के रहमों करम पर आश्रित नहीं रहना चाहती है। जिसे भी जेल में ही रहकर हुनरमंद तरीके से गोदना आर्ट को कपड़ों में उकेर रही है ऐसे में कुशल और अकुशल महिलाओं को मजदूरी देकर उन्हें आर्थिक मजबूती भी प्रदान की जा रहा है। जेल के इंपोरियम में रखे इन सामानों को बेचने के लिए अब ऑनलाइन  डिजिटल  का भी ध्यान रखा गया है जिसमें इन्हें ऑनलाइन बेचने  की प्रक्रिया  भी शुरू की जाने वाली है अब दूर बैठे लोग भी अंबिकापुर के  जेल में बने इन  सामानों  को ऑनलाइन खरीद सकेंगे।Conclusion:अंबिकापुर जेल का माहौल किसी जेल की तरह नहीं बल्कि एक आर्ट वर्कशॉप की तरह नजर आता है, जहां हर कोई अपने हुनर को तराशने में लगा है। और इस कलात्मक माहौल में ढ़लकर अपनी जिंदगी को सुनहरे भविष्य का सपना इस जेल में बंद महिला बंदी बुन रही हैं। और जेल से छूटने के बाद किसी और के ऊपर आश्रित ना होकर खुद से आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहे हैं।

बाइट01 सुधा चौहान (महिला बंदी)

बाइट02वंदना दत्ता (गोदना आर्ट प्रशिक्षक)

बाइट03 राजेश पांडे (डिवीजन कमांडेंट होमगार्ड)

बाइट 04राजेंद्र गायकवाड (अधीक्षक सेंट्रल जेल अम्बिकापुर)
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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