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सरगुजा के साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा का कमाल : बैक्टीरियल ई बॉल से तालाब के गंदे पानी को बनाया पीने योग्य

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Published : Apr 21, 2022, 8:01 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा के साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा ने ऐसा कमाल किया है. जिससे जल प्रदूषण की समस्या से निजात मिल सकेगी. इसके साथ ही पेयजल संकट को भी दूर किया जा सकता है. जानिए प्रशांत शर्मा ने ऐसा क्या कारनामा किया है.

Bacterial Eball made dirty water to drinking water
बैक्टीरियल ई बॉल का अविष्कार

सरगुजा : स्वच्छता का संदेश देने के लिए अम्बिकापुर ने कई (surguja scientist Prashant Sharma invented bacterial Eball ) प्रयोग किए हैं. ऐसे मॉडल प्रस्तुत किये गए हैं. जिन्हें सम्पूर्ण देश मे लागू किया गया है. ऐसा ही एक और अनूठा प्रयोग यहां के साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा ने किया है. जिससे अब बड़ी आसानी से नाली या गंदे तालाब के (bacterial Eball for cleaning dirty water) पानी को साफ कर लिया जायेगा. साइंटिस्ट ने 12 वर्ष की मेहनत के बाद यह फॉर्मूला तैयार किया है. लगभग 2 महीने पहले इसका ट्रायल शुरू किया गया और अब यह ट्रायल बेहद सफल दिख रहा है.

बैक्टीरियल ई बॉल से गंदा पानी हुआ साफ
गंदा पानी हुआ पीने योग्य: साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा ने यह प्रयोग किया एक बैक्टीरियल बॉल तैयार कर. जिसे अम्बिकापुर की नालियों और गंदे तालाबों में डाला गया. जिस तालाब से कभी बदबू आती थी आज उस तालाब का पानी क्रिस्टल क्लियर हो चुका है. पानी की शुद्धता नापने पर ड्रिंकिंग वाटर जैसी शुद्धता इस तालाब के पानी से आ रही है. तालाब के पानी का पीएच लेबल 6.86 और टीडीएस लेबल 250 के आस पास बता रहा है. जो पीने के लिए उपयुक्त माना जाता है.

सरगुजा शहर में रात में क्यों शुरू हुआ साफ सफाई का काम ?



मौके पर ईटीवी भारत ने की पड़ताल: ETV भारत साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा के साथ तालाब में पहुंचा और मौके पर तालाब के पानी की जांच कराई. जिसमे वाकई परिणाम आश्चर्यजनक थे. जिस तालाब में लोग घरों का गंदा पानी छोड़ देते हैं. कुछ महीने पहले जिसमे से बदबू आती थी. आज उस तालाब का पानी पीने योग्य हो चुका है. हमारे कैमरे में ही साइंटिस्ट ने परीक्षण कर के दिखाया की इस तालाब के पानी का पीएच और टीडीएस लेबल ड्रिंकिंग वाटर के मानक तक पहुंच चुका है.

SPECIAL: बस्तर की इस बेटी ने किसानों के लिए वो किया, जो 27 साल में न हुआ


ई बॉल का प्रयोग सेफ: ई बॉल का (Bacterial eball safe to use) प्रयोग पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है. जलीय जीवों को इससे कोई खतरा नहीं है. बल्कि ई बॉल के प्रयोग से पानी को जब साफ करने के बाद में वाटर सोर्स में छोड़ा जाएगा तो नदियों का प्रदूषण भी कम होगा. नमामि गंगे जैसी योजनाओं में यह प्रयोग बेहद बड़ा सहयोग कर सकता है. पूरे देश मे इस ई बॉल का उपयोग किया जा सकता है और नदियों को प्रदूषण से बचाया जा सकता है. खासकर गंगा को साफ रखने में अम्बिकापुर की यह मुहिम कारगर साबित होगी. क्योंकि सरगुज़ा गंगा बेसिन में शामिल है. यहां के नदी नालों का पानी अंततः गंगा में जाकर मिलता है

बहरहाल एक बेहद सस्ता फॉर्मूला साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा ने ईजाद कर लिया है. जिसके प्रयोग भी सफल हैं. अब देखना यह होगा की राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस प्रयोग को कितना प्रोत्साहित करती है और इस छोटी सी बॉल का उपयोग कब तक पूरे देश में शुरू होगा.

सरगुजा : स्वच्छता का संदेश देने के लिए अम्बिकापुर ने कई (surguja scientist Prashant Sharma invented bacterial Eball ) प्रयोग किए हैं. ऐसे मॉडल प्रस्तुत किये गए हैं. जिन्हें सम्पूर्ण देश मे लागू किया गया है. ऐसा ही एक और अनूठा प्रयोग यहां के साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा ने किया है. जिससे अब बड़ी आसानी से नाली या गंदे तालाब के (bacterial Eball for cleaning dirty water) पानी को साफ कर लिया जायेगा. साइंटिस्ट ने 12 वर्ष की मेहनत के बाद यह फॉर्मूला तैयार किया है. लगभग 2 महीने पहले इसका ट्रायल शुरू किया गया और अब यह ट्रायल बेहद सफल दिख रहा है.

बैक्टीरियल ई बॉल से गंदा पानी हुआ साफ
गंदा पानी हुआ पीने योग्य: साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा ने यह प्रयोग किया एक बैक्टीरियल बॉल तैयार कर. जिसे अम्बिकापुर की नालियों और गंदे तालाबों में डाला गया. जिस तालाब से कभी बदबू आती थी आज उस तालाब का पानी क्रिस्टल क्लियर हो चुका है. पानी की शुद्धता नापने पर ड्रिंकिंग वाटर जैसी शुद्धता इस तालाब के पानी से आ रही है. तालाब के पानी का पीएच लेबल 6.86 और टीडीएस लेबल 250 के आस पास बता रहा है. जो पीने के लिए उपयुक्त माना जाता है.

सरगुजा शहर में रात में क्यों शुरू हुआ साफ सफाई का काम ?



मौके पर ईटीवी भारत ने की पड़ताल: ETV भारत साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा के साथ तालाब में पहुंचा और मौके पर तालाब के पानी की जांच कराई. जिसमे वाकई परिणाम आश्चर्यजनक थे. जिस तालाब में लोग घरों का गंदा पानी छोड़ देते हैं. कुछ महीने पहले जिसमे से बदबू आती थी. आज उस तालाब का पानी पीने योग्य हो चुका है. हमारे कैमरे में ही साइंटिस्ट ने परीक्षण कर के दिखाया की इस तालाब के पानी का पीएच और टीडीएस लेबल ड्रिंकिंग वाटर के मानक तक पहुंच चुका है.

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ई बॉल का प्रयोग सेफ: ई बॉल का (Bacterial eball safe to use) प्रयोग पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है. जलीय जीवों को इससे कोई खतरा नहीं है. बल्कि ई बॉल के प्रयोग से पानी को जब साफ करने के बाद में वाटर सोर्स में छोड़ा जाएगा तो नदियों का प्रदूषण भी कम होगा. नमामि गंगे जैसी योजनाओं में यह प्रयोग बेहद बड़ा सहयोग कर सकता है. पूरे देश मे इस ई बॉल का उपयोग किया जा सकता है और नदियों को प्रदूषण से बचाया जा सकता है. खासकर गंगा को साफ रखने में अम्बिकापुर की यह मुहिम कारगर साबित होगी. क्योंकि सरगुज़ा गंगा बेसिन में शामिल है. यहां के नदी नालों का पानी अंततः गंगा में जाकर मिलता है

बहरहाल एक बेहद सस्ता फॉर्मूला साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा ने ईजाद कर लिया है. जिसके प्रयोग भी सफल हैं. अब देखना यह होगा की राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस प्रयोग को कितना प्रोत्साहित करती है और इस छोटी सी बॉल का उपयोग कब तक पूरे देश में शुरू होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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