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TS Singhdeo On Election Campaign : अंबिकापुर से टिकट मिलने पर बोले टीएस सिंहदेव, आसान नहीं कोई चुनौती - विधानसभा चुनाव

TS Singhdeo On Election Campaign अंबिकापुर में कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को एक बार फिर टिकट दिया है. ऐसे में टीएस सिंहदेव ने अपना चुनाव प्रचार शुरु किया है.चुनाव प्रचार के दौरान टीएस सिंहदेव ने ईटीवी भारत से खास चर्चा में कहा कि कोई भी चुनौती सरल नहीं होती. Surguja News

TS Singhdeo On Election Campaign
अंबिकापुर से टिकट मिलने पर बोले टीएस सिंहदेव
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 16, 2023, 7:00 PM IST

Updated : Nov 16, 2023, 12:21 PM IST

अंबिकापुर से टिकट मिलने पर टीएस सिंहदेव का बयान

सरगुजा : छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को एक बार फिर अंबिकापुर विधानसभा से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है. सरगुजा संभाग की बात करें तो कांग्रेस की पहली सूची में दो दिग्गज नेताओं के नामों का ऐलान हुआ है. जिनमें से सीतापुर विधानसभा से अमरजीत भगत को टिकट मिला है.ऐसे में टीएस सिंहदेव ने टिकट मिलने के बाद सरगुजा विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क किया. इस दौरान उन्होंने क्षेत्र का दौरा करने के बाद ईटीवी भारत से खास चर्चा की.जिसमें उन्होंने कहा कि अबकी बार वो दिल्ली से छुट्टी लेकर अपने विधानसभा में ध्यान देंगे.

हर चुनाव एक चुनौती : विधानसभा चुनाव के दौरान किस तरह की चुनौती रहती है.इस सवाल के जवाब में टीएस सिंहदेव ने कहा कि हर चुनाव के चुनौती रहती है. कहीं शिथिलता की गुंजाइश नही रहती है. सामने वाले भी प्रतिद्वंद्वी हैं. उनका भी आधार रहता हैं.तो ये सोचना कि आसान होगा ऐसा नहीं होता. कोई चीज आसान नहीं होती. जीवन में कुछ आसान नहीं होता, हर जगह परिश्रम करने की आवश्यकता होती है.


सवाल : आपके खिलाफ अभी तक बीजेपी प्रत्याशी नहीं उतार पाई ?

जवाब : 5 सीट में उन्होंने तय नहीं किया है. एक समय था उन्होंने 85 में कर लिया था. कांग्रेस एक भी नहीं कर पाई थी. समय और कई कारण रहते हैं जैसे हम लोग पितृ पक्ष के लिए रुके हुये थे. हम लोग 30 सीट कर लिये थे 60 हमारी अब भी बची है.

सवाल :ऐसी चर्चा शहर में रहती है कि दोनों तरफ में खिलाड़ी आप ही तय करेंगे, आप के खिलाफ कौन खेलेगा?

जवाब : ऐसा कैसे हो सकता है ?


सवाल : नेता और जनता के बीच संवाद की कमी हो जाती है इसको कैसे मैनेज करते हैं?

जवाब : बात समय की रहती है कि आपको जैसी जिम्मेदारी मिलती है तो आपका समय कुछ चीजों में लग जाता है. जैसे आप विधायक हैं तो आपकी बाकी जिम्मेदारी नहीं रहती. आप क्षेत्र में ज्यादा समय दे सकते हैं. मेरे सन्दर्भ में आप लेंगे तो नेता प्रतिपक्ष बन गये. विधानसभा के साथ प्रदेश को भी आपको समय देना होगा. नेता प्रतिपक्ष में आपको फाइल नहीं करना है. डिपार्टमेंट का मीटिंग नही लेना है"

सवाल : जनता के प्रति क्या जिम्मेदारी है ?

जवाब : इस बार आप मंत्री बन गए तो ये काम भी आपकी जवाबदारी बन गई. पब्लिक के लिये कर रहे हैं. अपने क्षेत्र के लोगों के लिये भी कर रहे हैं. लेकिन समय जो होता है वो बंट जाता है. पब्लिक ये देखती है कि विधायक के रूप में ये हमारे पास ज्यादा आता था. उस स्थिति में लोग ये आंकलन करते हैं कि ये घूम फिर रहा है या काम कर रहा है. इसे समझ कर पब्लिक का साथ मिलता है. शारीरिक रूप से आप पब्लिक से कटते हो लेकिन अब नया जमाना हो गया मोबाइल वाला.जब पहली बार विधायक बनने का मौका मिला तो मेरे फोन में 2 हजार नंबर थे. आज 20 हजार से ज़्यादा लोगों का नम्बर है. तो इससे संपर्क बना रहता है. तो लोगों को ये नहीं लगता कि हमसे कट गये. कमी रहती है लोगों को ये लगता है कि बाबा आते तो अच्छा रहता लेकिन वो सोंचेंगे की उनके लिये ही काम कर रहे हैं.



सवाल : विधायकों की टिकट और 14 सीटो का आंकलन क्या है?

जवाब : हम लोग तो चाहेंगे की 14 में 14 जीतें ये स्वाभाविक है कि जिस लक्ष्य तक आदमी पहुंच जाता है. तो वो उसे दोबारा पाना चाहता है. लेकिन कठिन है. विधायकों की सीट में इस बार सर्वे का आकलन हैं. हम लोग प्रदेश के सीनियर लीडर जो बोलते हैं अब वो एक हिस्सा हो गया. पहले वो बड़ा हिस्सा होता था. अब सर्वे महत्वपूर्ण और बड़ा हो गया है.अब निर्णय सर्वे के आधार पर होंगे. हम लोग बात रखते हैं लेकिन अगर वो सर्वे से मेल नही खाते.

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सवाल : क्या 17 को बाकी की लिस्ट आ जायेगी, आप लगातार दिल्ली जा रहे हैं अपने क्षेत्र में प्रचार कर से करेंगे ?

जवाब : नाम कब आयेंगे ये मैं कह नहीं सकता. लेकिन 17 को बैठक है. हो सकता है लिस्ट 18 को आये या 19 को आये.अबकी बोलकर आऊंगा कि अब मीटिंग में नहीं आ पाऊंगा. अभी तक तो ये जिम्मेदारी मिली कि यहां के लोगों ने 10 साल तक नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में काम करने का मौका दिया. विधायक के रूप में काम करने का मौका दिया. फिर आगे बढ़ाया.इनका ही सहारा है कि लोगों को ये लगा कि लोग इसको अपना मानते हैं इसको और जिम्मेदारी दे दो. अब दिल्ली की जिम्मेदारी दी. बड़ी बात है कि आप सेंट्रल कमेटी के मेम्बर हो जहां दूसरे राज्य की टिकट पर चर्चा करनी होती है.

अंबिकापुर से टिकट मिलने पर टीएस सिंहदेव का बयान

सरगुजा : छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को एक बार फिर अंबिकापुर विधानसभा से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है. सरगुजा संभाग की बात करें तो कांग्रेस की पहली सूची में दो दिग्गज नेताओं के नामों का ऐलान हुआ है. जिनमें से सीतापुर विधानसभा से अमरजीत भगत को टिकट मिला है.ऐसे में टीएस सिंहदेव ने टिकट मिलने के बाद सरगुजा विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क किया. इस दौरान उन्होंने क्षेत्र का दौरा करने के बाद ईटीवी भारत से खास चर्चा की.जिसमें उन्होंने कहा कि अबकी बार वो दिल्ली से छुट्टी लेकर अपने विधानसभा में ध्यान देंगे.

हर चुनाव एक चुनौती : विधानसभा चुनाव के दौरान किस तरह की चुनौती रहती है.इस सवाल के जवाब में टीएस सिंहदेव ने कहा कि हर चुनाव के चुनौती रहती है. कहीं शिथिलता की गुंजाइश नही रहती है. सामने वाले भी प्रतिद्वंद्वी हैं. उनका भी आधार रहता हैं.तो ये सोचना कि आसान होगा ऐसा नहीं होता. कोई चीज आसान नहीं होती. जीवन में कुछ आसान नहीं होता, हर जगह परिश्रम करने की आवश्यकता होती है.


सवाल : आपके खिलाफ अभी तक बीजेपी प्रत्याशी नहीं उतार पाई ?

जवाब : 5 सीट में उन्होंने तय नहीं किया है. एक समय था उन्होंने 85 में कर लिया था. कांग्रेस एक भी नहीं कर पाई थी. समय और कई कारण रहते हैं जैसे हम लोग पितृ पक्ष के लिए रुके हुये थे. हम लोग 30 सीट कर लिये थे 60 हमारी अब भी बची है.

सवाल :ऐसी चर्चा शहर में रहती है कि दोनों तरफ में खिलाड़ी आप ही तय करेंगे, आप के खिलाफ कौन खेलेगा?

जवाब : ऐसा कैसे हो सकता है ?


सवाल : नेता और जनता के बीच संवाद की कमी हो जाती है इसको कैसे मैनेज करते हैं?

जवाब : बात समय की रहती है कि आपको जैसी जिम्मेदारी मिलती है तो आपका समय कुछ चीजों में लग जाता है. जैसे आप विधायक हैं तो आपकी बाकी जिम्मेदारी नहीं रहती. आप क्षेत्र में ज्यादा समय दे सकते हैं. मेरे सन्दर्भ में आप लेंगे तो नेता प्रतिपक्ष बन गये. विधानसभा के साथ प्रदेश को भी आपको समय देना होगा. नेता प्रतिपक्ष में आपको फाइल नहीं करना है. डिपार्टमेंट का मीटिंग नही लेना है"

सवाल : जनता के प्रति क्या जिम्मेदारी है ?

जवाब : इस बार आप मंत्री बन गए तो ये काम भी आपकी जवाबदारी बन गई. पब्लिक के लिये कर रहे हैं. अपने क्षेत्र के लोगों के लिये भी कर रहे हैं. लेकिन समय जो होता है वो बंट जाता है. पब्लिक ये देखती है कि विधायक के रूप में ये हमारे पास ज्यादा आता था. उस स्थिति में लोग ये आंकलन करते हैं कि ये घूम फिर रहा है या काम कर रहा है. इसे समझ कर पब्लिक का साथ मिलता है. शारीरिक रूप से आप पब्लिक से कटते हो लेकिन अब नया जमाना हो गया मोबाइल वाला.जब पहली बार विधायक बनने का मौका मिला तो मेरे फोन में 2 हजार नंबर थे. आज 20 हजार से ज़्यादा लोगों का नम्बर है. तो इससे संपर्क बना रहता है. तो लोगों को ये नहीं लगता कि हमसे कट गये. कमी रहती है लोगों को ये लगता है कि बाबा आते तो अच्छा रहता लेकिन वो सोंचेंगे की उनके लिये ही काम कर रहे हैं.



सवाल : विधायकों की टिकट और 14 सीटो का आंकलन क्या है?

जवाब : हम लोग तो चाहेंगे की 14 में 14 जीतें ये स्वाभाविक है कि जिस लक्ष्य तक आदमी पहुंच जाता है. तो वो उसे दोबारा पाना चाहता है. लेकिन कठिन है. विधायकों की सीट में इस बार सर्वे का आकलन हैं. हम लोग प्रदेश के सीनियर लीडर जो बोलते हैं अब वो एक हिस्सा हो गया. पहले वो बड़ा हिस्सा होता था. अब सर्वे महत्वपूर्ण और बड़ा हो गया है.अब निर्णय सर्वे के आधार पर होंगे. हम लोग बात रखते हैं लेकिन अगर वो सर्वे से मेल नही खाते.

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सवाल : क्या 17 को बाकी की लिस्ट आ जायेगी, आप लगातार दिल्ली जा रहे हैं अपने क्षेत्र में प्रचार कर से करेंगे ?

जवाब : नाम कब आयेंगे ये मैं कह नहीं सकता. लेकिन 17 को बैठक है. हो सकता है लिस्ट 18 को आये या 19 को आये.अबकी बोलकर आऊंगा कि अब मीटिंग में नहीं आ पाऊंगा. अभी तक तो ये जिम्मेदारी मिली कि यहां के लोगों ने 10 साल तक नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में काम करने का मौका दिया. विधायक के रूप में काम करने का मौका दिया. फिर आगे बढ़ाया.इनका ही सहारा है कि लोगों को ये लगा कि लोग इसको अपना मानते हैं इसको और जिम्मेदारी दे दो. अब दिल्ली की जिम्मेदारी दी. बड़ी बात है कि आप सेंट्रल कमेटी के मेम्बर हो जहां दूसरे राज्य की टिकट पर चर्चा करनी होती है.

Last Updated : Nov 16, 2023, 12:21 PM IST
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