अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ में वाइल्ड लाइफ विभाग और वन विभाग के सामने एक मुसीबत खड़ी हो गई है. यहां के रमकोला एलिफेंट रेस्क्यू सेंटर से कुमकी हाथी भाग खड़ा हुआ है. इस सेंटर से फरार होने के बाद कुमकी हाथी तमोर पिंगला अभ्यारण्य में घूम रहे हाथियों के दल में शामिल हो गया है. कुमकी हाथी जो ट्रेंड हाथी है. उसका नाम दुर्योधन है. उसको ट्रेंड कर कुमकी हाथी बनाया गया है.
कुमकी हाथी का क्या मतलब होता है: वन विभाग की मानें तो कुमकी हाथी उस हाथी को कहा जाता है. जो ट्रेंड होते हैं और अपने महावत के इशारों पर काम करते हैं. इस हाथी के फरार होने से वन विभाग की समस्या बढ़ गई है. दुर्योधन हाथी जो कि अब कुमकी बन चुका है. उसको काबू में करने के लिए वन विभाग ने बिलासपुर स्थित नंदन कानन पेंडारी से विशेषज्ञ चिकित्सकों को बुलाया है. लेकिन अभी तक विशेषज्ञ फरार कुमकी हाथी (दुर्योधन) को पकड़ने में सफल नहीं हो सके हैं.
रेस्क्यू सेंटर से फरार हुआ कुमकी हाथी(दुर्योधन एलिफेंट): पूरे राज्य सहित सरगुजा संभाग में हाथियों का हमला होता रहता है. मानव हाथी द्वंद वन विभाग के लिए बड़ी चिंता का विषय रहा है. हथियों से तबाही रोकने एवं जरूरत पड़ने पर उनका रेस्क्यू करने के उद्देश्य से वन विभाग ने सूरजपुर जिले के रमकोला स्थित हाथी पुनर्वास केंद्र में 5 कुमकी हाथियों को रखा था. लेकिन इसमे से आठ दिन पहले एक कुमकी हाथी दुर्योधन अचानक लापता हो गया.
विशेषज्ञों की मदद से कुमकी हाथी दुर्योधन को खोजा जा रहा: कुमकी हाथी दुर्योधन के लापता होने के बाद अधिकारी चुप चाप उसे खोजते रहे. लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो बुधवार को उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई. रेस्क्यू सेंटर से कुमकी हाथी के लापता होने की सूचना से वन अधिकारियों में हड़कंप मच गया. परेशान अधिकारियों ने तत्काल नंदन कानन के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. पीके चंदन को सूचना देकर उन्हें टीम के साथ बुलाया. डॉ. चंदन के साथ विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और रेस्क्यू सेंटर के कर्मचारी पिछले पांच दिन से दुर्योधन हाथी की तलाश कर रहे हैं. यह काम इतने गोपनीय तरीके से किया जा रहा है कि अभी तक किसी को इसकी भनक तक नहीं लग पाई है. अधिकारी भी जंगलों में हैं उनसे फोन पर भी संपर्क नहीं हो पा रहा है.
एलिफेंट रेस्क्यू सेंटर पर लग रहा लापरवाही का आरोप: इस मामले में वन विभाग के अधिकारी एलिफेंट रेस्क्यू सेंटर के प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. वन विभाग के सूत्रों की मानें तो सप्ताह भर पहले से कुमकी हाथी दुर्योधन उग्र हो गया था. तथा अपने महावत की बात भी नहीं मान रहा था. उसने महावत पर कई बार हमला करने की कोशिश भी की थी. पिछले सोमवार को महावत रोज की तरह सभी कुमकी हाथियों को पास के जंगल में ले गए थे. जंगल में कुमकी हाथियों को पेड़ पौधे से भूख मिटाने के लिए आजाद छोड़ दिया. इस दौरान सभी महावत आपस में बात कर रहे थे. तभी दुर्योधन अपने साथी कुमकी हाथियों को छोड़कर भाग गया और कुछ दूरी पर घूम रहे 25 वाइल्ड हाथियों के दल में शामिल हो गया.
हाथी को ट्रेंक्यूलाइज करना जरूरी: इस मामले में वन विभाग की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है. अब वन विभाग की चिंता है कि कुमकी हाथी दुर्योधन को ट्रेंक्यूलाइज कैसे करें. क्योंकि वह 25 जंगली हाथियों के साथ है. जरा सी भी चूक हुई तो प्रयास जानलेवा साबित हो सकता है. कुमकी हाथी दुर्योधन जितना अधिक जंगली हाथियों के संपर्क में रहेगा. वह और भी हमलावर और आक्रामक होता जाएगा.ऐसे में उसको काबू में रखना कठिन हो जायेगा. सूत्र बताते हैं कि दुर्योधन लम्बे समय से काफी उग्र हो चुका था. लेकिन रेस्क्यू सेंटर के अधिकारियों ने उस पर ध्यान नहीं दिया. जिसके कारण ये स्थिति बन गई. टीम जंगलों में 25 हथियों के दल से कुमकी हाथी दुर्योधन को अलग करने की तरकीब सोच रहा है. अब देखना यह है कि टीम को सफलता कब मिलती है.