सरगुजा : अंबिकापुर में मुस्लिम समाज ने अनोखी मिसाल पेश की है. मुस्लिम समाज ने एकजुट होकर फैसला किया है कि अपने किसी भी जुलूस में धूमाल और डीजे का इस्तेमाल नहीं करेंगे. हजरत पैगम्बर मोहम्मद साहब के जन्म का पर्व ईद मिलादुन्नबी के दौरान ये फैसला लिया गया. आपको बता दें कि शहर के कई हिस्सों में जुलूस निकालकर मुस्लिम समाज हजरत पैगंबर मोहम्मद का जन्मदिन मनाता है. लेकिन इस बार सीरतुन्नबी कमेटी ने आह्वान किया कि अमन और शांति के संदेश के साथ बिना डीजे और धूमाल बैंड के पर्व मनाया जायेगा.
बिना धूमाल के निकाली जुलूस : गुरुवार सुबह से ही लोग जुलूस की शक्ल में खुशियां मनाते निकले. लेकिन किसी भी जुलुस में डीजे या धूमाल बैंड नहीं था. सभी शांतिपूर्ण वातावरण में स्थानीय कला केन्द्र मैदान पहुंचे. कला केंद्र मैदान में सर्व समाज भी इस आयोजन में शामिल हुआ. इस दौरान 10 वीं और बारहवीं के टॉपर और सीजीपीएससी में चयनित लोगों का सम्मान किया गया.
धूमाल बैंड से होती है परेशानी : आपको बता दें कि अक्सर इस तरह के आयोजन में तेज साउंड वाले डीजे और धूमाल बैंड देखे जाते हैं.जिनकी आवाज इतनी तेज होती है कि आस पास के लोग काफी परेशान होते हैं.साथ ही साथ बेजुबान जानवर और पशु पक्षियों पर भी इस तेज आवाज का बुरा असर पड़ता है. लेकिन मुस्लिम समाज ने अपने आयोजन में डीजे और धूमाल बैंड प्रतिबंधित कर ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है.
''हम लोगों ने बैठक की और उसमें सुझाव रखा कि डीजे की वजह से ना सिर्फ हल्ला होता है बल्कि जुलूस को अतिरिक्त समय भी लगता है. लिहाजा सभी ने इसका समर्थन किया.इसके बाद अमन और शांति के संदेश के साथ बिना डीजे और धूमाल के पर्व मनाया गया"-मोहम्मद इस्लाम,सदर सीरतुन्नबी कमेटी
पुराने तरीके से निकाला गया जुलूस : मुस्लिम समाज ने अपने जुलूस में डीजे की जगह पुराने समय में इस्तेमाल होने वाले माइक और चोंगे का इस्तेमाल किया. इस दौरान सीरतुन्नबी कमेटी के सदर मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि गणेश विसर्जन और ईद मिलादुन्नबी दोनों ही एक दिन हैं. शांति समिति की बैठक में यह तय हुआ था कि दोपहर 2 बजे तक मुस्लिम समाज अपना आयोजन करेगा. 2 बजे के बाद गणेश विसर्जन होगा.