सरगुजा: कोई कहता है कि दूसरा जन्म होता है, कोई कहता है कि 50 हड्डियां के टूटने जितना दर्द होता है. जन्म देने में मां कितना दर्द सहती है इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. मां को समाज में सबसे ऊंचा स्थान दिया जाता है. किसी भी बच्चे को जन्म देने के दौरान एक महिला सबसे अधिक पीड़ा सहती है. इस दौरान उसके आस-पास मौजूद लोगों की बड़ी भूमिका होती है, जो मदद करती हैं प्रसव में. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम आपको उनसे मिलवाने जा रहे हैं जो सिजेरियन डिलीवरी के इस जमाने में दर्द से कराह रही प्रसूताओं के माथे पर ममता भरा हाथ रख कर सामान्य प्रसव में मदद करती है. कम संसाधनों में जच्चा का ध्यान रखती हैं और बच्चे का दुनिया में स्वागत करती हैं.
सरगुजा की ANM रजनी कुशवाहा के पास दूर-दराज से महिलाएं आती हैं. ये अपने अस्पताल में प्रसव कराने वाली महिलाओं से बहन जैसा बर्ताव करती हैं, जिससे ऐसे नाजुक समय में प्रसूताओं के साथ उनका आत्मिक लगाव हो और विश्वास के साथ सुरक्षित प्रसव कराया जा सके.
लॉकडाउन के बाद से करा चुकी हैं 72 सफल प्रसव
ANM रजनी कुशवाहा सरगुजा जिले के परसोढी खुर्द गांव के सब हेल्थ सेंटर में पदस्थ हैं. सेवा भाव और अपने मरीजों के प्रति रजनी का ऐसा लगाव है कि 4 गांव के अलावा दूर-दूर से महिला प्रसव कराने इनके पास आती हैं. यही कारण है कि मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद से अब तक रजनी ने कुल 72 सुरक्षित प्रसव कराए हैं और बड़ी बात यह है कि इनमें से सभी जच्चा-बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हैं.
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समाज सेवा ही है जीवन का लक्ष्य
रजनी बताती हैं कि जब वो किसी का प्रसव कराती हैं तो उन्हें आत्मिक सुख मिलता है. सड़क दुर्घटना में अपनी बेटी को खोने के बाद अब रजनी के जीवन में समाज की सेवा के सिवा और कोई लक्ष्य नहीं बचा है. नतीजन वो अपने मरीजों को ही अपना परिवार समझती हैं और इनके साथ ही वो अपना जीवन बिता रही हैं. गांव के एक छोटे से सरकारी सब हेल्थ सेंटर में महज 11 महीने में 72 प्रसव कराना बड़ी उपलब्धि है. इससे साबित होता है कि रजनी कुशवाहा जैसी महिलाएं पूरे देश के शासकीय सेवकों के लिए एक उदाहरण हैं.
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रजनी ने गर्भवती महिलाओं को दी खास सलाह
एक तरफ सरकारी अस्पतालों की बदहाली के किस्से हम सुनते हैं तो दूसरी तरफ परसोढी खुर्द जैसे सब हेल्थ सेंटर भी हैं, जहां लोगों को बेहतर इलाज मिल रहा है. जाहिर सी बात है कि सुविधा और संसाधन हर शासकीय अस्पताल में एक जैसे होते हैं लेकिन इन्हें खास बनाते हैं यहां काम करने वाले कर्मचारी. कर्मचारी अगर अपनी जिम्मेदारी बेहतर ढंग से निभाते हैं तो रजनी जैसे कर्मवीर के किस्से सामने आते हैं.
रजनी ने शहरी महिलाओं को सलाह दी है कि गर्भावस्था में वे आलस बिल्कुल न करें, काम करती रहें, जिससे गर्भ में बच्चे का मूवमेंट बना रहे. ऐसा करने पर नार्मल डिलीवरी कराई जा सकती है और बेवजह ऑपरेशन की स्थिति नहीं बनती है. महिला दिवस पर हम रजनी जैसी कर्मवीर महिलाओं को सलाम करते हैं, जो समाज के लिए निस्वार्थ भावना से अपना योगदान दे रहे हैं.