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SPECIAL: उस शिक्षक को सलाम, जिसकी मेहनत ने दिलाई सरगुजिहा बोली को विशेष पहचान - सरगुजिहा बोली

शिक्षक दिवस पर हम आपको ऐसे शिक्षक की कहानी बताने जा रहे हैं. जिसकी अथक प्रयासों की वजह से सरगुजिहा बोली को विशेष पहचान मिल पाई है.

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Published : Sep 5, 2019, 12:08 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: हम बात कर रहे हैं रिटार्यड शिक्षक रंजीत सारथी की उन्होंने शासकीय सेवा में रहते हुए सिर्फ अपना फर्ज निभाया, बल्कि उन्होंने सरगुजा की पहचान को आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए.

शिक्षक संजीत सारथी पर स्पेशल स्टोरी

पढ़ें: जाति मामला : अजीत जोगी को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत, कार्रवाई पर स्टे देने से किया इंकार

ये रंजीत की कोशिशों का ही नतीजा था कि पाठ्य पुस्तक निगम ने कक्षा तीसरी से पांचवी तक के पाठ्यक्रम में सरगुजिहा बोली को स्थान दिलाया. ये इनके प्रयासों का ही नतीजा था कि, सरगुजा में बच्चे हिंदी के साथ-साथी सरगुजिहा बोली में भी पढ़ाई करते हैं.

स्थानीय भाषा में सरल लगती है पढ़ाई
स्थानीय बोली में पाठ्यक्रम के अनुवाद से बच्चों को पढ़ाई जहां सुलभ लगती है, तो वहीं शहरी बच्चों में सरगुजिहा बोली जिंदा रहती है. हालांकि वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार भी शिक्षा की दिशा में स्थानीय भाषाओं और संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयासरत हैं.

सरगुजिहा बोली में तैयार कर रहे पाठ्यक्रम
इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिया गया और शायद यही वजह है कि पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से रंजीत से सरगुजिहा बोली में पाठ्यक्रम तैयार करने को कहा गया है.

रिटायर्मेंट के बाद भी कर रहे प्रयास
बहरहाल शिक्षक दिवस पर रंजीत सारथी जैसे शिक्षक भी सरगुजा में याद किए जाने चाहिए क्योंकि उन्होंने सरगुजा की पहचान बचाए रखने के लिए अहम योगदान देने के साथ ही रिटायरमेंट के बाद भी अपने सपने साकार करने के लिए कोशिश कर रहे हैं.

सरगुजा: हम बात कर रहे हैं रिटार्यड शिक्षक रंजीत सारथी की उन्होंने शासकीय सेवा में रहते हुए सिर्फ अपना फर्ज निभाया, बल्कि उन्होंने सरगुजा की पहचान को आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए.

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ये रंजीत की कोशिशों का ही नतीजा था कि पाठ्य पुस्तक निगम ने कक्षा तीसरी से पांचवी तक के पाठ्यक्रम में सरगुजिहा बोली को स्थान दिलाया. ये इनके प्रयासों का ही नतीजा था कि, सरगुजा में बच्चे हिंदी के साथ-साथी सरगुजिहा बोली में भी पढ़ाई करते हैं.

स्थानीय भाषा में सरल लगती है पढ़ाई
स्थानीय बोली में पाठ्यक्रम के अनुवाद से बच्चों को पढ़ाई जहां सुलभ लगती है, तो वहीं शहरी बच्चों में सरगुजिहा बोली जिंदा रहती है. हालांकि वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार भी शिक्षा की दिशा में स्थानीय भाषाओं और संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयासरत हैं.

सरगुजिहा बोली में तैयार कर रहे पाठ्यक्रम
इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिया गया और शायद यही वजह है कि पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से रंजीत से सरगुजिहा बोली में पाठ्यक्रम तैयार करने को कहा गया है.

रिटायर्मेंट के बाद भी कर रहे प्रयास
बहरहाल शिक्षक दिवस पर रंजीत सारथी जैसे शिक्षक भी सरगुजा में याद किए जाने चाहिए क्योंकि उन्होंने सरगुजा की पहचान बचाए रखने के लिए अहम योगदान देने के साथ ही रिटायरमेंट के बाद भी अपने सपने साकार करने के लिए कोशिश कर रहे हैं.

Intro:सरगुजा : शिक्षक दिवस पर हम आपको मिलवाने जा रहे हैं, सरगुजिहा शिक्षक से, सरगुजिहा शिक्षक इन्हें इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकी इन्होंने शासकीय सेवा में रहते हुये अपनी सेवा की सिर्फ रस्म अदायगी नही की बल्कि अपने क्षेत्र की पहचान को विख्यात करने ऐसा प्रयास किया की छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक की किताबों में कक्षा तीसरी से पांचवीं तक के पाठ्यक्रम में सरगुजिहा बोली को स्थान दिलाया, और सरगुजा में बच्चे अपने पाठ्यक्रम को हिंदी के साथ साथ सरगुजा की स्थानीय बोली में भी पढ़ते हैं।

स्थानीय बोली के इस प्रयास से जहां पाठ्यक्रम बच्चों को सुलभ लगता है तो वहीं शहरी बच्चों में सरगुजिहा बोली जिंदा रहती है। शिक्षक रंजीत सारथी जिन्होंने शासकीय शिक्षक रहते हुये सिर्फ अध्यापन का काम ही नही किया बल्कि सरगुजा की संस्कृति को संजोने की दिशा में प्रयास किया।

Body:रंजीत सारथी चाहते हैं की सरगुजा की स्थानीय बोली को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके और विश्व पटल पर सरगुजा की बोल चाल की भाषा को स्थान मिले। हालाकी वर्तमान छत्तीसगढ़ की सरकार भी स्थानीय भाषाओं और संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयासरत है, और इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिया गया है। रंजीत सारथी को रिटायरमेंट के बाद भी शासन ने सरगुजिहा बोली में पहली और दूसरी के पाठ्यक्रम तैयार कर रायपुर बुलाया है और उम्मीद है की जल्द ही कक्षा पहली और दूसरी में सरगुजिहा पाठ्यक्रम शामिल होने के साथ ही बच्चों को पहली से पांचवी तक स्थानीय बोली में अध्यन का अवसर मिलेगा।

Conclusion:बहरहाल शिक्षक दिवस पर रंजीत सारथी जैसे शिक्षक भी सरगुजा में याद किये जाने चाहिए, क्योंकी उन्होंने सरगुजा की पहचान बचाये रखने की दिशा में अहम योगदान दिया है। और रिटायरमेंट के बाद भी अपने सपने को साकार करने में वो पीछे नही हट रहे हैं।

121_रंजीत कुमार सारथी (शिक्षक)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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