ETV Bharat / state

बाल दिवस विशेष: जिन्हें मां-बाप बोझ समझ छोड़ देते हैं, उन्हें यहां मिलती है नई जिंदगी - अनाथ आश्रम

बाल दिवस देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस पर मनाया जाता है. बाल दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसी संस्था के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उन बच्चों का सहारा बनती है, जिनका कोई नहीं होता.

पालना घर की तस्वीर
author img

By

Published : Nov 14, 2019, 1:08 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: हर बच्चे को जीने का अधिकार दीजिए, इस सोच के साथ सेवा भारती संस्था मानवता के सही मायनों को साकार कर रही है. नवजात बच्चे, जिन्हें यह भी नहीं पता कि वो इस दुनिया कैसे आया, इन्हें जब लोग झाड़ियों, नालियों में फेंक देते हैं, पालने में छोड़ जाते हैं. ऐसे बच्चों को मातृ छाया में आसरा दिया जाता है. इनका लालन-पालन किया जाता है. इतना ही नहीं यहां बच्चों को सेहतमंद खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान भी रखा जाता है.

बाल दिवस पर स्पेशल स्टोरी

महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से संचालित इस संस्था में काम करने वाले लोग इन बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. बता दें कि साल 2013 में संस्था ने यहां काम शुरू किया था और अब तक इसमें कुल 86 बच्चे आ चुके हैं, जिनमें 40 बालक और 46 बालिका हैं. संस्था की ओर से कारा (भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए कार्यरत शासकीय संस्था) के माध्यम से अब तक 36 बच्चों को गोद लिया जा चुका है, जिसमें से 33 बच्चे देश, तो वहीं 3 बच्चों को विदेशी दंपति गोद लेकर अपने साथ विदेश ले जा चुके हैं.

अब तक गोद लिए गए 33 बच्चे
देश में गोद लिए गए 33 में से 15 बालक और 18 बालिका शामिल हैं, तो वहीं 2 बालक और 1 बालिका को स्पेन और अमेरिका में परिवार मिला है. वर्तमान में संस्था में 11 बच्चे हैं, जिसमें 7 लड़कियां और 4 लड़के हैं, इसमें 6 बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया चल रही है और 5 बच्चे अस्थाई रूप से यहां रखे गए हैं.

संस्था करती है बच्चों की देखभाल
बहरहाल जिस सेवा भाव से बच्चों की देख-रेख इस संस्था में होती है. ऐसे लोग बच्चों को जन्म देकर लावारिस फेंक देते हैं, उनसे हम यह अपील जरूर करेंगे, कि वो अपने बच्चे को मातृ छाया के पालन में रख दें.

सरगुजा: हर बच्चे को जीने का अधिकार दीजिए, इस सोच के साथ सेवा भारती संस्था मानवता के सही मायनों को साकार कर रही है. नवजात बच्चे, जिन्हें यह भी नहीं पता कि वो इस दुनिया कैसे आया, इन्हें जब लोग झाड़ियों, नालियों में फेंक देते हैं, पालने में छोड़ जाते हैं. ऐसे बच्चों को मातृ छाया में आसरा दिया जाता है. इनका लालन-पालन किया जाता है. इतना ही नहीं यहां बच्चों को सेहतमंद खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान भी रखा जाता है.

बाल दिवस पर स्पेशल स्टोरी

महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से संचालित इस संस्था में काम करने वाले लोग इन बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. बता दें कि साल 2013 में संस्था ने यहां काम शुरू किया था और अब तक इसमें कुल 86 बच्चे आ चुके हैं, जिनमें 40 बालक और 46 बालिका हैं. संस्था की ओर से कारा (भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए कार्यरत शासकीय संस्था) के माध्यम से अब तक 36 बच्चों को गोद लिया जा चुका है, जिसमें से 33 बच्चे देश, तो वहीं 3 बच्चों को विदेशी दंपति गोद लेकर अपने साथ विदेश ले जा चुके हैं.

अब तक गोद लिए गए 33 बच्चे
देश में गोद लिए गए 33 में से 15 बालक और 18 बालिका शामिल हैं, तो वहीं 2 बालक और 1 बालिका को स्पेन और अमेरिका में परिवार मिला है. वर्तमान में संस्था में 11 बच्चे हैं, जिसमें 7 लड़कियां और 4 लड़के हैं, इसमें 6 बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया चल रही है और 5 बच्चे अस्थाई रूप से यहां रखे गए हैं.

संस्था करती है बच्चों की देखभाल
बहरहाल जिस सेवा भाव से बच्चों की देख-रेख इस संस्था में होती है. ऐसे लोग बच्चों को जन्म देकर लावारिस फेंक देते हैं, उनसे हम यह अपील जरूर करेंगे, कि वो अपने बच्चे को मातृ छाया के पालन में रख दें.

Intro:सरगुज़ा : 14 नवम्बर बाल दिवस के अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं उस संस्था के बारे में जो किसी खास मौके पर नही बल्कि हमेशा बाल संरक्षण के लिये पूरी सामाजिक जिम्मेदारी के साथ मुस्तैद रहती है, सेवा भारती संस्था के द्वारा संचालित मातृछाया दत्तक एजेंसी में अनाथ अनचाहे बच्चों को बेहतर परवरिश दी जा रही है, जन्मे अजन्मे बच्चों को जीने का अधिकार दीजिये इस सोच के साथ सेवा भारती मानवता के सही मायनों को साकार करती है, और बेजुबान बेकसूर नवजात बच्चे जिन्हें यह भी नही पता होता की वो इस दुनिया मे क्यों जन्मा है, ऐसे बच्चों को जब लोग झाड़ियों में, नालीयों में फेंक देते हैं तब मातृ छाया में उन्हें आसरा दिया जाता है, इतना ही नही यहां बच्चों को सेहतमंद खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।

महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से संचालित इस संस्था को शासकीय सहयोग प्राप्त होता है लेकिन यहां कार्यरत लोगो की सेवा बहोत कठिन है, उनका परिश्रम और दूसरों के बच्चो के प्रति उनका प्रेम और जिम्मेदारी काबिले तारीफ है।

वर्ष 2013 में संस्था ने यहां कार्य शुरु किया था और अब तक इसमें कुल 86 बच्चे आ चुके हैं, जिनमे 40 बालक और 46 बालिका है। संस्था के द्वारा कारा (भारत मे बच्चे को गोद लेने के लिए कार्यरत शासकीय संस्था) के माध्यम से अब तक 36 बच्चों को दत्तक ग्रहण कराया गया है, जिसमे 33 बच्चे देश मे तो वहीं 3 बच्चों को विदेशी दंपत्ति गोद लेकर अपने साथ विदेश ले जा चुके है। देश में गोद लिए गए 33 में से 15 बालक और 18 बालिका शामिल है तो वहीं 2 बालक और 1 बालिका स्पेन और अमेरिका में अपना परिवार पा चुके हैं।

वर्तमान में संस्था में 11 बच्चे हैं जिसमे 7 बालिका और 4 बालक है, इसमें दत्तक ग्रहण प्रक्रिया में 6 बच्चे ही है बाकी के 5 बच्चे अस्थाई रूप से यहां रखे गए हैं।

बहरहाल जिस सेवा भाव से बच्चों की देख रेख इस संस्था में होती है इसे सभी को एक बार जरूर देखना चाहिए क्योंकी ऐसे लोग बच्चों को जन्म देकर लावारिश फेंक देते है वो अपने बच्चे को मातृ छाया के पालन में रख दें कम से कम उस बेगुनाह को जिंदा रहने का अधिकार तो मिल सकेगा और वो बच्चा समाज की मुख्य धारा से जुड़कर दुनिया को देख सकेगा।




Body:बाईट01_वंदना दत्ता (संचालिका सेवा भारती मातृ छाया अम्बिकापुर)

पी2सी_देश दीपक सरगुज़ा


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.