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कोविड केयर के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता का खामियाजा भुगत रहा अंबिकापुर का SNCU - Maternal Child Hospital

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Sarguja) के अंबिकापुर (Ambikapur) संभाग में कोविड केयर (Covid care) के नाम पर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की उदासीनता का खामियाजा संभाग मुख्यालय के SNCU को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल, मेडिकल कॉलेज (Medical college) में संचालित एसएनसीयू (SNCU) व एनआईसीयू (NICU) के कंबाइंड सेटअप पर पूरे संभाग का लोड पड़ा हुआ है.

health department apathy
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता
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Published : Oct 22, 2021, 9:10 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Sarguja) के अंबिकापुर (Ambikapur) संभाग में कोविड केयर (Covid care) के नाम पर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की उदासीनता का खामियाजा संभाग मुख्यालय के SNCU को भुगतना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज (Medical college) में संचालित एसएनसीयू (SNCU) व एनआईसीयू (NICU)के कंबाइंड सेटअप पर पूरे संभाग का लोड पड़ा हुआ है. हाल ही में इस अस्पताल में 3 दिन में 7 बच्चों की मौत होने से प्रदेश में हंगामा खड़ा हो गया था.

अंबिकापुर का SNCU

हंगामे के बाद स्वास्थ्य मंत्री को दिल्ली से अचानक वापस लौटना पड़ा. साथ ही जिले के प्रभारी मंत्री आनन-फानन में सड़क मार्ग से राजधानी से 350 किलोमीटर का सफर कर यहाँ पहुंचे. तमाम तरह की समीक्षा हुई, जांच टीम बनाई गई, जांच हुई, कुछ जांच गोपनीय तरीके से फिलहाल जारी भी है. कुछ अधिकारी औचक निरीक्षण को भी अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन इस दिशा में एक ऐसी जांच करनी थी, जिस ओर शायद अब तक किसी का ध्यान नहीं गया है.

मातृ शिशु अस्पताल को कोविड केयर सेंटर बनाया गया था

ETV भारत ने जब इस बात की पड़ताल की, तो पता चला की संभाग के 5 में से 4 जिलों के मातृ शिशु अस्पताल को कोविड केयर सेंटर बनाया गया था. कोविड के मरीज आने का क्रम तो काफी पहले ही बंद हो चुका था, लेकिन यहां पर भी आपदा में अवसर का मौका अधिकारियों ने नहीं छोड़ा और अब तक कोविड केयर सेंटर में तब्दील किये गये मातृ शिशु अस्पताल अपने पूर्व स्वरूप में नही आ सका है.

अंबिकापुर में नवजात की मौत का मामला : निरीक्षण को पहुंचे स्टेट चाइल्ड हेल्थ नोडल, इन्फेक्शन से बचाव के दिये निर्देश

घटना के बाद सजग हुआ विभाग

अंबिकापुर की घटना के बाद विभाग सजग हुआ और आनन-फानन में संभाग के जिलों के मातृ शिशु अस्पताल खोलने की कवायद शुरू की गई. संयुक्त संचालक कहते हैं की 1 को छोड़कर सभी अस्पताल पहले ही खोल दिये गये थे, लेकिन सच्चाई कुछ और है, मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ आर मूर्ति ने अम्बिकापुर के अस्पताल में बढ़े लोड के पीछे में कारण बताते हुए यह भी बताया की संभाग के ज्यादातर अस्पताल इस घटना के पहले तक तो संचालित नही हो रहे थे, लिहाजा सभी जगहों से बच्चे यहां लाये जा रहे थे, ऐसे में सीमित संसाधन और मेडिकल स्टाफ के साथ काम करने में दिक्कत हो रही है.

गलती छिपाने का प्रयास कर रहा विभाग

फिलहाल विभाग इस गलती को छिपाने की पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन सवाल यह है की क्यों अब तक या 10 दिन पहले तक भी बच्चों का अस्पताल बंद रखा गया था. जब कोविड के मरीजों की संख्या जुलाई के बाद एकदम से कम हो गई. सरगुजा में तो यह संख्या शून्य तक पहुंच गई थी. फिर भी कोविड केयर सेंटर इतने दिनों तक अस्तित्व में क्यों था. क्यों बच्चों के अस्पताल को कोविड केयर से मुक्त करके तुरंत नही खोला जा सकता था. वहीं.अस्पताल की इस लापरवाही का खामियाजा ना सिर्फ अम्बिकापुर के मातृ शिशु अस्पताल के स्टाफ बल्कि यहां इलाजरत बच्चों के भी सेहत पर पड़ा है. जहां संभाग के हर जिले में ही बच्चों का इलाज हो जाना था वहां उन सबको मुख्यालय के एक ही अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ा. स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री को अपने संभाग में हुई इस लापरवाही पर संज्ञान लेना चाहिये, ताकि दोबारा इस तरह की लापरवाही करने से अधिकारी बचें.

सरगुजा: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Sarguja) के अंबिकापुर (Ambikapur) संभाग में कोविड केयर (Covid care) के नाम पर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की उदासीनता का खामियाजा संभाग मुख्यालय के SNCU को भुगतना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज (Medical college) में संचालित एसएनसीयू (SNCU) व एनआईसीयू (NICU)के कंबाइंड सेटअप पर पूरे संभाग का लोड पड़ा हुआ है. हाल ही में इस अस्पताल में 3 दिन में 7 बच्चों की मौत होने से प्रदेश में हंगामा खड़ा हो गया था.

अंबिकापुर का SNCU

हंगामे के बाद स्वास्थ्य मंत्री को दिल्ली से अचानक वापस लौटना पड़ा. साथ ही जिले के प्रभारी मंत्री आनन-फानन में सड़क मार्ग से राजधानी से 350 किलोमीटर का सफर कर यहाँ पहुंचे. तमाम तरह की समीक्षा हुई, जांच टीम बनाई गई, जांच हुई, कुछ जांच गोपनीय तरीके से फिलहाल जारी भी है. कुछ अधिकारी औचक निरीक्षण को भी अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन इस दिशा में एक ऐसी जांच करनी थी, जिस ओर शायद अब तक किसी का ध्यान नहीं गया है.

मातृ शिशु अस्पताल को कोविड केयर सेंटर बनाया गया था

ETV भारत ने जब इस बात की पड़ताल की, तो पता चला की संभाग के 5 में से 4 जिलों के मातृ शिशु अस्पताल को कोविड केयर सेंटर बनाया गया था. कोविड के मरीज आने का क्रम तो काफी पहले ही बंद हो चुका था, लेकिन यहां पर भी आपदा में अवसर का मौका अधिकारियों ने नहीं छोड़ा और अब तक कोविड केयर सेंटर में तब्दील किये गये मातृ शिशु अस्पताल अपने पूर्व स्वरूप में नही आ सका है.

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घटना के बाद सजग हुआ विभाग

अंबिकापुर की घटना के बाद विभाग सजग हुआ और आनन-फानन में संभाग के जिलों के मातृ शिशु अस्पताल खोलने की कवायद शुरू की गई. संयुक्त संचालक कहते हैं की 1 को छोड़कर सभी अस्पताल पहले ही खोल दिये गये थे, लेकिन सच्चाई कुछ और है, मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन डॉ आर मूर्ति ने अम्बिकापुर के अस्पताल में बढ़े लोड के पीछे में कारण बताते हुए यह भी बताया की संभाग के ज्यादातर अस्पताल इस घटना के पहले तक तो संचालित नही हो रहे थे, लिहाजा सभी जगहों से बच्चे यहां लाये जा रहे थे, ऐसे में सीमित संसाधन और मेडिकल स्टाफ के साथ काम करने में दिक्कत हो रही है.

गलती छिपाने का प्रयास कर रहा विभाग

फिलहाल विभाग इस गलती को छिपाने की पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन सवाल यह है की क्यों अब तक या 10 दिन पहले तक भी बच्चों का अस्पताल बंद रखा गया था. जब कोविड के मरीजों की संख्या जुलाई के बाद एकदम से कम हो गई. सरगुजा में तो यह संख्या शून्य तक पहुंच गई थी. फिर भी कोविड केयर सेंटर इतने दिनों तक अस्तित्व में क्यों था. क्यों बच्चों के अस्पताल को कोविड केयर से मुक्त करके तुरंत नही खोला जा सकता था. वहीं.अस्पताल की इस लापरवाही का खामियाजा ना सिर्फ अम्बिकापुर के मातृ शिशु अस्पताल के स्टाफ बल्कि यहां इलाजरत बच्चों के भी सेहत पर पड़ा है. जहां संभाग के हर जिले में ही बच्चों का इलाज हो जाना था वहां उन सबको मुख्यालय के एक ही अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ा. स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री को अपने संभाग में हुई इस लापरवाही पर संज्ञान लेना चाहिये, ताकि दोबारा इस तरह की लापरवाही करने से अधिकारी बचें.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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