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SPECIAL: जेल में बदल रहा जिंदगी का रुख, इस तरह मुख्यधारा से जुड़ रहे कैदी - कैदी

मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत जेल में कैदियों को विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार संबंधित प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं.

कैदी
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Published : May 14, 2019, 12:35 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

अंबिकापुर: जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड की पहल पर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे सैकड़ों कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार संबंधित प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं, जिससे कैदी जेल से रिहा होने के बाद अपने पैरों पर खड़े हो सकें.

जेल में बदल रहा जिंदगी का रुख

कैदियों को स्वावलंबी बनाने को दिया जा रहा प्रशिक्षण
अंबिकापुर सेंट्रल जेल में कैदियों को मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें मजबूत बनाने के लिए पहल की जा रही है. जेल के अंदर कैदियों को फर्नीचर बनाना ,मशरूम उत्पादन, काष्ठ कला, चित्रकला, सिलाई सहित अन्य उद्योग के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सजा काट रहे कैदियों को विशेषज्ञों के माध्यम से प्रशिक्षण दिला, स्वावलंबी बनाने का काम किया जा रहा है.

जेल में कैदी अर्जित कर रहे आय
जेल में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जेल के अंदर संचालित हो रहे विभिन्न उद्योगों के जरिए कैदी आय अर्जित कर रहे हैं, ये राशि सीधे उनके खाते में जमा हो रही है. इस राशि का एक हिस्सा कैदी स्वयं के लिए रखते हैं और दूसरा हिस्सा पीड़ित पक्ष को भेज दिया जाता है.

अंबिकापुर: जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड की पहल पर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे सैकड़ों कैदियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार संबंधित प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं, जिससे कैदी जेल से रिहा होने के बाद अपने पैरों पर खड़े हो सकें.

जेल में बदल रहा जिंदगी का रुख

कैदियों को स्वावलंबी बनाने को दिया जा रहा प्रशिक्षण
अंबिकापुर सेंट्रल जेल में कैदियों को मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें मजबूत बनाने के लिए पहल की जा रही है. जेल के अंदर कैदियों को फर्नीचर बनाना ,मशरूम उत्पादन, काष्ठ कला, चित्रकला, सिलाई सहित अन्य उद्योग के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सजा काट रहे कैदियों को विशेषज्ञों के माध्यम से प्रशिक्षण दिला, स्वावलंबी बनाने का काम किया जा रहा है.

जेल में कैदी अर्जित कर रहे आय
जेल में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जेल के अंदर संचालित हो रहे विभिन्न उद्योगों के जरिए कैदी आय अर्जित कर रहे हैं, ये राशि सीधे उनके खाते में जमा हो रही है. इस राशि का एक हिस्सा कैदी स्वयं के लिए रखते हैं और दूसरा हिस्सा पीड़ित पक्ष को भेज दिया जाता है.

Intro:अम्बिकापुर- अंबिकापुर सेंट्रल जेल में अपराध कर सजा काट रहे कैदी महिला एवं पुरुषों को सही रास्ते पर लाने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री कौसल विकास के तहत पुनर्वास कराने विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार संबंधित प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं जिससे बंधी जेल से रिहा होने के बाद अपने पैरों पर खड़े हो सके।

दरअसल जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड की पहल पर सैकड़ों कैदियों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर जेल के भीतर कैदियों को फर्नीचर निर्माण ,मशरूम उत्पादन, काष्ठ कला, चित्रकला ,सिलाई सहित अन्य उद्योग के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है । सजा काट रहे कैदियों को विशेषज्ञों के माध्यम से प्रशिक्षण दिला, स्वावलंबी बनाने का काम किया जा रहा है ताकि जेल से बाहर निकलने के बाद इस हुनर को वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर जीविकोपार्जन का माध्यम बना सके।

जेल में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जेल के भीतर में ही संचालित हो रहे विभिन्न उद्योगों में कैदी कुशल अकुशल दर पर आय अर्जित कर रहे हैं जो सीधे उनके खाते में जमा हो रहा है । इस राशि का एक हिस्सा कैदी स्वयं के लिए रखते हैं और दूसरा हिस्से की राशि पीड़ित पक्ष को भेज दिया जाता है।

फिलहाल अंबिकापुर सेंट्रल जेल में कैदियों को मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें मजबूत बनाने के लिए जो पहल किया जा रहा है वो काबिले तारीफ है।

बाईट01- कविता( सिलाई ट्रेनर)

बाईट02- मदनलाल ध्रुव (जेल उप अधीक्षक उद्योग)

बाईट03- राजेंद्र गायकवाड (जेल अधीक्षक)






Body:अम्बिकापुर- अंबिकापुर सेंट्रल जेल में अपराध कर सजा काट रहे कैदी महिला एवं पुरुषों को सही रास्ते पर लाने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री कौसल विकास के तहत पुनर्वास कराने विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार संबंधित प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं जिससे बंधी जेल से रिहा होने के बाद अपने पैरों पर खड़े हो सके।

दरअसल जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड की पहल पर सैकड़ों कैदियों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर जेल के भीतर कैदियों को फर्नीचर निर्माण ,मशरूम उत्पादन, काष्ठ कला, चित्रकला ,सिलाई सहित अन्य उद्योग के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है । सजा काट रहे कैदियों को विशेषज्ञों के माध्यम से प्रशिक्षण दिला, स्वावलंबी बनाने का काम किया जा रहा है ताकि जेल से बाहर निकलने के बाद इस हुनर को वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर जीविकोपार्जन का माध्यम बना सके।

जेल में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जेल के भीतर में ही संचालित हो रहे विभिन्न उद्योगों में कैदी कुशल अकुशल दर पर आय अर्जित कर रहे हैं जो सीधे उनके खाते में जमा हो रहा है । इस राशि का एक हिस्सा कैदी स्वयं के लिए रखते हैं और दूसरा हिस्से की राशि पीड़ित पक्ष को भेज दिया जाता है।

फिलहाल अंबिकापुर सेंट्रल जेल में कैदियों को मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें मजबूत बनाने के लिए जो पहल किया जा रहा है वो काबिले तारीफ है।

बाईट01- कविता( सिलाई ट्रेनर)

बाईट02- मदनलाल ध्रुव( जेल उप अधीक्षक उद्योग)

बाईट03- राजेंद्र गायकवाड (जेल अधीक्षक)






Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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