सरगुजा : राम वन गमन परिपथ बनाने के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार इस परिपथ के महत्वपूर्ण स्थलों के विकास में भी आगे बढ़ रही है. रामगढ़ में भगवान राम की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी इसके साथ ही रामगढ़ को पर्यटकों के हिसाब से आकर्षक बनाया जाएगा. इस काम के लिये वन विभाग और टूरिज्म डिपार्टमेंट दोनों मिलकर काम करेंगे.
25 फीट ऊंची होगी भगवान राम की मूर्ति: रामगढ़, राम वन गमन परिपथ का महत्वपूर्ण हिस्सा है. अब इसे पर्यटन औऱ धार्मिक दोनों लिहाज से विकसित किया जा रहा है. यहां भगवान राम की 25 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा का निर्माण किया जाएगा. प्रतिमा जिस स्थान पर रहेगी वहां 100 हेक्टेयर का ओपन कॉरिडोर बनाया जाएगा. इसके साथ ही कॉटेज, शॉपिंग स्टॉल भी बनाये जायेंगे. भगवान राम के भव्य मुख्य द्धार का भी यहां निर्माण होगा.
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सरगुजा से कितनी दूरी पर स्थित है रामगढ़: संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है रामगढ़ पर्वत. मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम यहां आए थे और अपनी सेना के साथ यहीं पर विश्राम किया था. इस पर्वत पर कई अलग अलग गुफाएं हैं. माना जाता है कि राम लक्ष्मण सीता इन गुफाओं में निवास करते थे. इन गुफाओं में मिलने वाले छिद्र इनके इंटरकनेक्ट होने के दावे की पुष्टि करते हैं.
एक दूसरे से जुड़ी थी गुफाएं: किदवंती है कि एक गुफा से दूसरी गुफा में संवाद स्थापित करने के लिये गुफाओं में लंबा छिद्र कर गुफाओं को आपस मे इंटरकनेक्ट किया गया था. जो आज के मोबाइल फोन जैसा काम करता था. इसलिए यहां स्थित गुफाओं को सीताबेंगरा और लक्षमण बेंगरा कहा जाता है.
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रामगढ़ पर्वत पर मौजूद हैं नाट्यशाला: रामगढ़ पर्वत पर जाने पर सबसे पहले एक नाट्यशाला दिखाई देती है. जिसे देखकर ही लगता है कि, किसी बड़े आयोजन के लिये यहां मंच और लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई होगी. नाट्यशाला में जाने पर वहां पर गूंजती आवाज साउंड सिस्टम का अहसास कराती है. इन अद्भुत खूबियों की वजह से यह भी माना जाता है कि भरत मुनि ने इसी नाट्यशाला से प्रभावित होकर नाट्य शास्त्र की रचना की थी.
रामगढ़ में मेघदूत की हुई थी रचना !: मान्यता यह भी है कि इसी पर्वत पर बैठकर महाकवि कालिदास ने महाकाव्य मेघदूतम की रचना यहीं की थी. विरह में वो मेघों (बादलों) में पत्र लिख रहे थे और वो मेघ यहां से संदेशा लेकर जा रहे थे. इस अद्भुत संयोग को भी रामगढ़ से जोड़ा जाता है. जब कालिदास पत्नी विरह में मेघ ओर पत्र लिख रहे थे वो दिन भी आषाढ़ महीने का पहला दिन था. काले घने मेघ आसमान में उमड़ रहे थे. इसलिए हर वर्ष जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग आषाढ़ महीने के पहले दिन यहां विभिन्न सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजन कराता है. जिसमे देश भर के साहित्यकार रामगढ़ पर अपने अपने शोध प्रस्तुत करते हैं.