सरगुजा: आम तौर पर एयरपोर्ट, प्राइवेट शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स में जैसे शौचालय और यूरिनल हम देखते हैं उनसे भी अधिक सुविधा जनक शौचालय और यूरिनल अंबिकापुर शहर में पब्लिक के इस्तेमाल के लिये नगर निगम ने बनवाये हैं. सामुदायिक शौचालय या यूरिनल का नाम सुनते ही अब तक हमारे जहन में गंदगी, बदबू और अव्यवस्था का आलम ही आता था, लेकिन अगर आप अम्बिकापुर आने वाले हैं तो यहां के सामुदायिक शौचालय और यूरिनल का इस्तेमाल बेझिझक करें, क्योंकि इन्हें देखकर आपको भी यकीन नहीं होगा कि ये पब्लिक टॉयलेट है.
एयरपोर्ट जैसा यूरिनल
बस स्टैंड का यूरिनल नगर निगम ने बनवाया है. इस यूरिनल के अंदर जाने के बाद ऐसा लगता है मानो बस स्टैंड में नहीं बल्कि किसी एयरपोर्ट के यूरिनल में खड़े हों. इतनी साफ सफाई, इतना बेहतर यूरिनल, किसी बस स्टैंड में कल्पना से परे है.
थर्ड जेंडर के लिये टॉयलेट
देश में स्वच्छ भारत मिशन की अलख जगाने में सबसे अग्रणी शहर अंबिकापुर सफाई के हर पैमानों को बारीकी से बदल रहा है. नित नये प्रयोग नगर निगम करता आ रहा है. साल 2016 में ही यहां महिलाओं के लिये विशेष टॉयलेट बनाया गया था. जिसे पिंक टॉयलेट का नाम दिया गया था. लेकिन अब बात पुरानी हो गई. अब तो इस शहर के हर शौचालय में महिलाओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है. वर्तमान में अंबिकापुर नगर निगम के शौचालय कहीं ज्यादा अपग्रेड हो चुके हैं. यहां हर शौचालय में महिला, दिव्यांग, थर्ड जेंडर, सीनियर सिटीजन के लिये खास इंतजाम हैं. बच्चों के लिए भी विशेष व्यवस्था देखी. छोटे साइज के वॉश बेसिन, छोटे वेस्टर्न कमोड में बच्चों के बैठने की व्यवस्था यहां की गई है.
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बच्चों का टॉयलेट
हाइजीन का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. हैंडवॉश सहित अन्य साफ सफाई के केमिकल्स हर शौचालय में उपलब्ध है. अंबिकापुर में हर जगह घर जैसा साफ शौचालय मिलेगा. इसके साथ ही दिव्यांग, सीनियर सिटीजन और बच्चों के लिये वो व्यवस्था दिखेगी जो शायद घर में भी ना हो.
सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन
महिलाओं को हर शौचालय में सेनेटरी नैपकिन की वेंडिंग मशीन मिलेगी. जो 5 रुपए के सिक्के से सेनेटरी नैपकिन का एक पैड देगी. यूज किये हुये सेनेटरी नैपकिन को डिस्पोज करने के लिए यहां डिस्पोजल मशीन लगाई गई हैं. जिससे संक्रमण फैलने की स्थिति भी नहीं रहेगी.
हर शौचालय में फीडबैक मशीन
अंबिकापुर नगर निगम ने हर शौचालय में फीडबैक मशीन लगा दी है. जिसमे 3 स्विच है. हरा, पीला और लाल, मतलब अगर शौचालय बहुत साफ है तो हरा बटन दबाना है. थोड़ा ठीक है तो पीला बटन और अगर गंदा है तो लाल बटन दबा दीजिए. बटन दबाते ही फीडबैक सीधे नगर निगम के डाटा सेंटर में बैठे अधिकारी के कम्यूटर में जाता है.अलर्ट अलार्म के जरिये अधिकारी को तुरंत ये पता लग जाता है की कौन सा शौचालय गंदा है. चंद मिनटों में ही संबंधित शौचालयों की सफाई हो जाएगी.
काम से मिला खिताब
बहरहाल स्वच्छता सर्वेक्षण में अपनी कैटेगरी में अंबिकापुर हर बार पूरे देश में नंबर वन यूं ही नहीं रहता. यहां इस तरह के प्रयोग किये जाते हैं. उन प्रयोगों को लगातार सफल करने की कवायद भी की जाती है. तभी तो कचरे से कमाई में भी अंबिकापुर का कोई जवाब नहीं है.