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सरगुजा: आदिवासियों ने राज्योत्सव की जगह मनाया राज्य बचाओ उत्सव, 22वें दिन भी जारी रहा आंदोलन - सरगुजा आदिवासी आंदोलन

सरगुजा हसदेव वन क्षेत्र में जमीनों के अधिग्रहण के खिलाफ आदिवासियों ने बीते 22 दिनों से उग्र आंदोलन छेड़ रखा है. आदिवासी पेसा कानून के उल्लंघन से खासे नाराज हैं. और साउथ कोल खनन परियोजना को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं.

आदिवासियों ने मनाया राज्य बचाओ उत्सव
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Published : Nov 4, 2019, 5:06 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: जिले में जल, जंगल और जमीन को बचाने के आदिवासियों द्वारा शुरु किया गया आंदोलन 14 अक्टूबर से अब तक जारी है और सोमवार को आंदोलन का 22वां दिन रहा.

आदिवासियों ने मनाया राज्य बचाओ उत्सव

आदिवासी पेसा कानून के उल्लंघन से खासे नाराज हैं. और साउथ कोल खनन परियोजना को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. आदिवासी पतुरिया, गिधमूड़ी, मदनपुर साउथ कोल खनन परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं.

राज्योत्सव की जगह मनाया राज्य बचाओ उत्सव
1 नवंबर यानि राज्य के स्थापना दिवस और धरने के 19वें दिन प्रदर्शनकारियों ने धरनास्थल पर जल, जंगल और जमीन की रक्षा और इसके साथ ही सरकारी उपक्रमों में निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी के विरोध में राज्योत्सव की जगह राज्य बचाओ उत्सव मनाया.

पढ़ें- VIDEO: पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटी ने दी मुखाग्नि

आदिवासियों को मिल रहा कई संगठनों का साथ

जैसे जैसे आदिवासियों का आंदोलन तेज होता जा रहा है वैसे वैसे इस विरोध प्रदर्शन को कई और संगठनों का समर्थन मिल रहा है. दलित आदिवासी मंच , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), छत्तीसगढ़ किसान सभा और श्रमिक संघ सीटू ने आदिवासियों के इस आंदोलन को समर्थन दिया है.

सरगुजा: जिले में जल, जंगल और जमीन को बचाने के आदिवासियों द्वारा शुरु किया गया आंदोलन 14 अक्टूबर से अब तक जारी है और सोमवार को आंदोलन का 22वां दिन रहा.

आदिवासियों ने मनाया राज्य बचाओ उत्सव

आदिवासी पेसा कानून के उल्लंघन से खासे नाराज हैं. और साउथ कोल खनन परियोजना को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. आदिवासी पतुरिया, गिधमूड़ी, मदनपुर साउथ कोल खनन परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं.

राज्योत्सव की जगह मनाया राज्य बचाओ उत्सव
1 नवंबर यानि राज्य के स्थापना दिवस और धरने के 19वें दिन प्रदर्शनकारियों ने धरनास्थल पर जल, जंगल और जमीन की रक्षा और इसके साथ ही सरकारी उपक्रमों में निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी के विरोध में राज्योत्सव की जगह राज्य बचाओ उत्सव मनाया.

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आदिवासियों को मिल रहा कई संगठनों का साथ

जैसे जैसे आदिवासियों का आंदोलन तेज होता जा रहा है वैसे वैसे इस विरोध प्रदर्शन को कई और संगठनों का समर्थन मिल रहा है. दलित आदिवासी मंच , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), छत्तीसगढ़ किसान सभा और श्रमिक संघ सीटू ने आदिवासियों के इस आंदोलन को समर्थन दिया है.

Intro:

सरगुज़ा : हसदेव अरण्य क्षेत्र के परसा कोल ब्लॉक के लिए पांचवी अनुसूची और पेसा कानून का उल्लंघन कर की जा रही भूमि अधिग्रहण एवं स्वीकृति की अन्य प्रक्रियाओं को रद्द करने एवं क्षेत्र में प्रस्तावित पतुरिया, गिधमूड़ी, मदनपुर साउथ कोल खनन परियोजनाएं निरस्त करने की मांग पर पिछले 14 अक्टूबर से शुरू हुआ आंदोलन आज 22 वे दिन भी जारी हैं। 1नवंबर से राज्य के स्थापना दिवस और धरने के 19 वें दिन प्रदर्शन कारियों ने धरनास्थल पर जल जंगल ,जमीन की रक्षा तथा सरकारी उपक्रमों में निजी कम्पनियों के बढ़ती भागीदारी के विरोध में राज्योत्सव की जगह राज्य बचाओ उत्सव मनाया। शुक्रवार को आंदोलन को समर्थन देने दलित आदिवासी मंच की राजिम तांडी, देवेन्द बघेल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) कोरबा इकाई से जनकदास कुलदीप, प्रशांत झा , श्रीमती धनबाई कुलदीप , गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन पोड़ी के अध्यक्ष विनोद कुमार, मनोज, छत्तीसगढ़ किसान सभा के महासचिव कामरेड ऋषिगुप्ता, कोयला श्रमिक संघ (सीटू) के कार्यकारी अध्यक्ष कामरेड ललन सोनी सहित कई संगठनों के लोग शामिल हुए थे। लिहाजा अब आदिवासी आंदोलन को अलग अलग संगठनों का भी समर्थन प्राप्त हो चुका है।

Body:बाइट01_राचिम (दलित आदिवासी मंच बलौदाबाजार)

बाइट02_ललन सिंह (कोयला श्रमिक संघ सीटू)

देश दीपक सरगुज़ा

Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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