सरगुजा: पर्यटन स्थल मैनपाट में आलू अनुसंधान केन्द्र के साथ शीतोष्ण फलों की खेती भी की जा रही है. ठंडे प्रदेशों में जो भी फलों की खेती होती है उसी फलों की खेती अब यहां भी की जा रही है.
इस खेती का मुख्य उद्देश्य मैनपाट के किसानों को फलों की खेती से जोड़कर आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में मजबूत बनाना है. इसी के तहत मैनपाट के बरिमा स्थित आलू और शीतोष्ण फल अनुसंधान केन्द्र में सेब, अंगूर, नाशपाती, आलू बुखारा के बाद अन्नानस की खेती का प्रयोग किया जा रहा है.
फलों की खेती के लिए उपयुक्त है जलवायु
मैनपाट की जलवायु ठंडी होने की वजह से कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ठंडे क्षेत्रों में लगाए जाने वाले फल की खेती पिछले कई साल से कर रहे हैं. सेब, अंगूर, आलू बुखारा, नाशपाती के बाद पहली बार अनानास के 800 पौधे लाकर यहां लगाए गए है, जिसमें अब फल आने लग गए हैं. मैनपाट की जलवायु अनानास की खेती के लिए भी उपयुक्त पाया गया है. यही वजह है कि यहां पदस्थ वैज्ञानिक नया प्रयोग कर रहे हैं. इसके पीछे मंशा है कि इन फलों की खेती को बढ़ावा दिया जाए. इनका उत्पादन मैनपाट में हो और फलों की खेती के लिए यहां की जलवायु उपयुक्त है.
आर्थिक स्थिति हो मजबूत
मैनपाट केंद्र के प्रभारी और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पी सी चौरसिया ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने ड्रिप पद्धति से अन्नानस (पाइनएप्पल) के पौधे लगाए थे. अत्याधुनिक तकनीकी से अन्नानस के पौधे को लगाए जाने और देख-रेख के कारण अन्नानास के फल लगने शुरू हो गए हैं. इससे यहां के वैज्ञानिकों में काफी उत्साह है, जिसके बाद कृषि वैज्ञानिकों ने सरगुजा संभाग के समस्त पाठ एरिया जहां ठंड होती है, फलों की खेती करने का निर्णय लिया है. इससे सरगुजा संभाग के किसान अधिक से अधिक फलों की खेती करेंगे, जिससे उनकी आर्थिक सशक्तिकरण मजबूत हो सके.